पैरा ओलपिंक खेलों के ताईक्वांडो में 47 वर्ष बाद भारत करेगा अरूणा के माध्यम से प्रतिनिधित्व
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परिजनों को बधाई देने वालों का तांता लगा
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हरियाणा के 19 खिलाड़ियों को मिला ओलंपिक का टिकट
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अरूणा के पिता प्राईवेट कंपनी में ड्राईवर, माता गृहणी है
भिवानी (इन्द्रवेश)। हरियाणा प्रदेश से 19 खिलाड़ियों का टोक्यो ओलंपिक में भारत देश के लिए चयन हुआ है। इन्ही में से एक अरूणा तंवर टोक्यो पैरा ओलंपिक के ताईक्वांडो खेल में 49 किलोग्राम भार वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। भिवानी जिला के गांव दिनोद की दिव्यांग खिलाड़ी अरूणा तंवर ने एक साधारण परिवार से उठकर ओलंपिक तक का सफर तय किया हैं। इस सफर के पीछे अरूणा तंवर के परिवार व खुद का संघर्ष भी छिपा हुआ हैं। अरूणा तंवर के पैरा ओलंपिक में चयन पर उनके परिवार ने खुशी की लहर दौड़ गई हैं तथा परिजनों को उम्मीद है कि अरूणा टोक्यो पैराओलंपिक में देश के लिए मैडल लेकर आएंगी।
अरूणा की उपलब्धियों की बात करें तो वर्ष 2017-18 में पांचवे राष्ट्रीय पैरा ओलंपिक ताईक्वांडो प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल, वर्ष 2018-19 में छठे राष्ट्रीय पैरा ओलंपिक ताईक्ववांडो प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल, वर्ष 2018 में वियतनाम में हुई चौथे एशियन पैरा ओलंपिक ताईक्वांडो प्रतियोगिता में सिल्वर मैडल, फरवरी 2019 में टर्की में आयोजित वर्ल्ड पैरा ताईक्वांडो चैंपियनशिप में ब्रांज मैडल, मार्च 2019 में ईरान में हुई प्रेजीडेंट एशियन रीजन जी-टू कप में सिल्वर मैडल, वर्ष 2019 में ही जार्डन में हुई अमान एशियन पैरा ताईक्वांडो चैंपियनशिप में ब्रांज मैडल हासिल करने में सफलता प्राप्त की हैं। अब अगस्त-सितंबर में टोक्यो में आयोजित होने वाले पैरा ओलंपिक खेलों में अरूणा तंवर देश के लिए मैडल लाने के लिए कड़े संघर्ष में जुट गई हैं। इन दिनों वे रोहतक व दिल्ली में प्रैक्ट्सि कर रही हैं।
अरूणा के पिता नरेश कुमार व माता सोनिया देवी ने बताया कि 21 वर्षीय अरूणा इन दिनों खेल प्रशिक्षक का कोर्स की पढ़ाई में दाखिला लिए हुए हैं। उन्होंने बचपन में ही खेल की शुरूआत कर ली थी। वर्ष 2016 में उन्होंने ताईक्वांडो खेल को अपनाया। इससे पहले वे दिव्यांग होते हुए भी सामान्य वर्ग में खेलती रही थी। ओलंपिक में चयन के बाद अरूणा के परिजनों को उम्मीद है कि देश के लिए गोल्ड मैडल लाने का कार्य अरूणा टोक्यो ओलंपिक में करेंंगी। अरूणा के पिता एक निजी कंपनी में ड्राईवर है तथा माता घरेलू महिला हैं। अरूणा के परिजनों ने कर्ज लेकर व आभूषण को गिरवी रखकर अरूणा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए धन जुटाया।
परिजनों का संघर्ष ही है कि आज अरूणा देश के लिए ओलंपिक मैडल लाने की लाईन में खड़ी हैं। अरूणा की इन उपलब्धियों से पहले परिजनों को अरूणा के दिव्यांग होने का दुख होता था, परन्तु अरूणा की मेहनत व उपलब्धियों ने उनके परिजनों की चिंता को न केवल दूर किया, बल्कि दिव्यांगता को ही वरदान बना दिया हैं। अरूणा के ओलंपिक में चयन के बाद परिजनों को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ हैं। गौरतलब है कि 47 वर्ष के बाद पैरा ताईक्वांडो प्रतियोगिता में अरूणा भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
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