अथक सेवादार थे भगत शहीद ‘दीपक इन्सां’

बठिंडा (सच कहूँ /सुखनाम)। आज के घोर कलियुग में दीन-दुखियों की सेवा और मानवता भलाई के लिए अपने आप को समर्पित करने वाले कुछ इंसान ऐसे होते हैं जो अपने किए सामाजिक कार्यों द्वारा अमिट छाप छोड़ जाते हैं। युवा अवस्था में ऐसा ही करके दिखा गया भगत शहीद दीपक इन्सां, उसके द्वारा सेवा के क्षेत्र में किए कार्यों को हमेशा याद रखा जाएगा। 23 अक्तूबर 1986 को पिता सतीश कुमार इन्सां के घर और माता संतोष रानी की कोख से जन्में दीपक इन्सां ने यह सिद्ध कर दिखाया कि उसकी माता ने न केवल भगत ही बल्कि शूरवीर पुत्र को जन्म दिया।

पिता सतीश कुमार द्वारा 1975 में डेरा सच्चा सौदा सरसा से नामदान हासिल करने उपरांत दीपक ने ऐसे माहौल में सूरत संभाली जहां मुर्शिद के वचनों को इलाही समझा जाता, दीन-दुखियों की सेवा को पहला फर्ज और सृष्टि के प्रति स्रेह सत्कार को पहल दी जाती थी। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से 1995 में नाम की अनमोल दात प्राप्त करने के बाद उसने डेरा सच्चा सौदा की मर्यादानुसार सेवा कार्यों में भाग लेना शुरु किया और बाद में मुड़कर पीछे नहीं देखा। शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग का सदस्य होने के नाते वह मानवता भलाई कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता था।

दीपक इन्सां 20 जुलाई 2010 को सदा के लिए बिछुड़ गया

बेशक दीपक इन्सां हमारे से 20 जुलाई 2010 को सदा के लिए बिछुड़ गया था परंतु उसके स्रेह सत्कार की जगाई अलख डेरा सच्चा सौदा सरसा के इतिहास में अन्यों सेवादारों का राह रोशनाती रहेगी। आज 12वीं पुण्यतिथि के मौके पर भगत शहीद दीपक इन्सां के दोस्त, परिवार, रिश्तेदार और बठिंडा ब्लॉक की साध-संगत मलोट रोड पर स्थित नामचर्चा घर में सुबह 9 बजे नामचर्चा कर और अन्य मानवता भलाई कार्य कर श्रद्धांजलि भेंट करेंगे।

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