सरसा। इंसान जब अपने परम पिता परमात्मा को याद करता है उसके अंदर एक तड़प लगी होती है। तो वो मालिक दया का सागर रहमोकर्म का दाता इंसान को अंदर-बाहर से उसकी तड़प के अनुसार खजाने लुटा देता है। पर ये प्यार, ये मोहब्बत एकरस-एकसार होनी चाहिए। उक्त रूहानी वचन पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शाह सतनाम जी धाम में वीरवार को आयोजित सांयकालीन रूहानी मजलिस में फरमाए। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जो मालिक से प्यार करते हैं। उसकी भक्ति करते हुए उसकी रजा में रहते हुए राम नाम का जाप करते हुए आगे बढ़ा करते हैं।
उनके लिए कोई द्वेष, कोई नफरत, कोई अंहकार की जगह नहीं होती, वो सिर्फ और सिर्फ भगवान से सतगुरु मौला से प्यार करते हैं। उसकी बनाई प्रजा से बेगर्ज प्यार करते हुए सेवा करते रहते हैं तो ऐसे मुरीद ऐसे भक्तजनों की मालिक हर जायज इच्छा पूरी कर देते हैं। और वो भी कहने की जरूरत नहीं पड़ती।
अभी सोचा भी नहीं होता, कल्पना भी नहीं की होती उससे पहले मालिक उनकी इच्छाएं पूरी कर देते हैं, चाहे रूहानी हो या दुनियावी हो।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि दृढ़ यकीन होना अति जरूरी है। यकीन के बिना बात नहीं बनती। दृढ़ यकीन है फिर उसकी भक्ति करते हो, सुमिरन करते हो और उसकी बनाई औलाद की सेवा करते हो। तो यकीनन उसकी दया मेहर रहमत आप पर मूसलाधार बरसेगी ही बरसेगी। सेवा और सुमिरन ऐसी ताकते हैं। जो इस कलयुग मे इंसान के लिए धुरा हैं, एक शक्ति हैं जो उन्हें बुराईयों से हमेशा बचाती रहती हैं। किसी की न सुनो। पीर-फकीर की सुनो, राम की सुनो। कोई सवाल उठे तो फकीर से हल करवाओ, दुनियादारी से सवाल करवाओगे, जो खुद सवालों के मारे हैं वो क्या जवाब देंगे? जिनको खुद टेंशन परेशानियों ने घेर रखा है वो किसी के क्या रौनकें लगा देंगे? क्या खुशियां ला देंगे? इसलिए हमेशा अपने अंत:कर्ण की सुनो, पीर-फकीर की सुनो और वचनों पर सौ प्रसेंट अमल करना सीखो। जो वचनों पर सौ प्रसेंट अमल किया करते हैं वही रूहानियत में तरक्की हासिल करते हैं, जो अमल नहीं करते वो बातों के अलावा और कुछ हासिल नहीं कर पाते। अमल कहता है सेवा करो, सुमिरन करो। मालिक की रियाय यानि प्रजा का भला मांगो और भला करो। सेवा सिमरन करते हुए जो आगे बढ़ते हैं रूहानियत में तरक्की करते हैं वही रूहानियत की खुशियां हासिल करते हैं। और रूहानियत में गम नहीं होता, मालिक उन्हें बेगमपुर का बादशाह बना देता है। तो सुमिरन अवश्य करो चाहे आधा घण्टा सुबह-शाम, मालिक के नाम के साथ हमेशा दृढ़ यकीन रखो ताकि दृढ़ यकीन के कारण आपके बिगड़े हुए कर्म बिगड़ी हुई तकदीर मालिक पल में संवार के रख दें और खुशियों से लबरेज कर दें। अमल करना आपके हाथ में हैं, बताना फकीर का काम होता है।