उपभोक्ताओें का अधिकार है पक्का बिल
अधिनियम के अंतर्गत फोरम में करें शिकायत
घर परिवार की जरूरतों के लिए आप हर माह सामान की खरीदारी करते हैं। जैसे किराना, कॉस्मेटिक, बर्तन,कपड़ा, इलेकिट्रक व अन्य सामान। गये, दुकानदार को सामान बताया और बिल चुकाकर सामान लेकर आ गये। लेकिन इस तरह की खरीदारी में कुछ बातें ध्यान रखने लायक होती हैं जिनसे आप अपनी खरीदारी को बेहतर बनाने के साथ-साथ और फालतू खर्च व फालतू के झमेलों से भी बच सकते हैं। यदि सामान बेकार निकल आया या दुकानदार ने दाम अधिक वसूल लिए तो आप परेशान हो जाते हैं और दुकानदार आपकी कोई बात नहीं सुनता। आज हम आपको खरीदारी के कुछ ऐसे ही जरूरी टि΄सों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो अपनाइए ये टि΄स व बनिए जागरूक ग्राहक।
चाहे एक रूपए का सामान हो या लाख-दस लाख, करोड़ का, खरीदारी करते समय एक बात अवश्य ध्यान रहे कि दुकानदार आपको अंकित मूल्य से अधिक कीमत में सामान तो नहीं दे रहा है, या खरीदी गई वस्तु की मात्रा से कम तोलकर दे रहा है, या पक्का बिल देने से मना कर रहा है, या गलत वस्तु बेच देता है, या गारंटी के सामान को बदलने, ठीक करने से मना करता है तो आप इसके लिए मुआवजे के हकदार हंै। आप दुकानदार व कंपनी आदि से लिए गए सामान का पक्का बिल लेना न भूलें क्योंकि ये आपका अधिकार है। और पक्के बिल पर टिन नंबर देखना ना भूलें। कई बार दुकानदार सफेद कागज के टुकड़े पर आपको कच्चा बिल बनाकर दे देते हैं जो कि सही नहीं है। आप ऐसे दुकानदार की उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता फोरम में खुद या वकील के माध्यम से शिकायत दर्ज करा सकते हैं। शिकायत करने के लिए आपको कोई ठोस दस्तावेज जो आपकी शिकायत की पुष्टि करता हो उसकी एक प्रति देनी होगी जैसे कोई बिल, रसीद या कोई अन्य दस्तावेज। आपको अपनी शिकायत की तीन प्रतियां फोरम में जमा करानी होगी। एक कॉपी जिसके खिलाफ आप शिकायत कर रहे हैं उसके लिए, दूसरी फोरम आॅफिस के लिए तथा तीसरी कॉपी आपकी होती है। शिकायत के साथ पोस्टल आॅर्डर या डिमांड ड्राफ्ट के रुप में फीस जमा कराना होता है। हालांकि ऐसे दुकानदारों व इकाईयों पर नकेल कसने के लिए केंद्र सरकार जीएसटी बिल लेकर आ रही है जिसके तहत पक्का बिल देना अनिवार्य होगा। बिल के लागू होते ही दुकानदार टैक्स चोरी नहीं कर सकेंगे।
किसके खिलाफ हो शिकायत ?
कंज्यूमर फोरम में दुकानदार, मैन्युफैक्चर्स, डीलर या फिर सर्विस प्रवाइडर के खिलाफ शिकायत की जा सकती है।
कौन कर सकता है शिकायत ?
पीड़ित कंज्यूमर
कोई फर्म, भले ही यह रजिस्टर्ड न हो
कोई भी व्यक्ति, भले ही वह खुद पीड़ित न हुआ हो
को-आॅपरेटिव सोसाइटी या लोगों को कोई भी समूह
राज्य या केंद्र सरकारें
कंज्यूमर की मौत हो जाने की स्थिति में उसके कानूनी वारिस
कहां कर सकते हैं शिकायत
20 लाख की रकम तक के लिए जिला उपभोक्ता फोरम
20-01 करोड़ की रकम के लिए स्टेट कंज्यूमर फोरम
एक करोड़ से अधिक के लिए नैशनल कंज्यूमर फोरम में।
तथ्यों को शिकायत संग जमा करें
इस चरण में आवेदक को अपनी शिकायत का पूरा ब्यौरा लिख कर देना होता है। जैसे उसके साथ क्या गलत हुआ, कितना नुकसान हुआ आदि और साथ मे दर्ज की जाने वाली शिकायत की सच्चाई साबित हो सके उसके लिये सारे सबूत भी देने होंगे ।
गलत शिकायत न करें
अगर किसी ग्राहक के साथ किसी भी प्रकार की धोखाधाड़ी होती है तो डरे बिना उपभोक्ता कोर्ट या फोरम का रुख करना चाहिये, पर उसके पहले ये सुनिश्चित करना चाहिये कि खुद कहीं पर गलत नहीं है। ध्यान रहे किसी भी व्यापारी / विक्रेता / कंपनी पर गलत आरोप लगा कर शिकायत करना गैर कानूनी है, ऐसा करने पर ग्राहक को भी जुमार्ना और सजा हो सकती है, इसलिए झूठी शिकायत बिलकुल न करें। नुकसान के सारे तथ्यों को शिकायत करने से पूर्व संकलित करें, आॅफलाइन शिकायत कर रहे हैं तो उपभोक्ता फोरम कार्यालय से फॉर्म की फीस भर कर शिकायत को प्रोसेस करे, ओर आॅनलाइन शिकायत के लिये : नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन वेबसाइट पर लॉगआॅन करें ।
कैसे करें शिकायत ?
शिकायत के साथ आपको ऐसे डॉक्युमेंट्स की कॉपी देनी होगी, जो आपकी शिकायत का समर्थन करें। इनमें कैश मेमो, रसीद, अग्रीमेंट्स वैगरह हो सकते हैं। शिकायत की 3 कॉपी जमा करानी होती हैं। इनमें एक कॉपी आॅफिस के लिए और एक विरोधी पार्टी के लिए होती है। शिकायत व्यक्ति अपने वकील के जरिए भी करवा सकता है और खुद भी दायर कर सकता है। शिकायत के साथ पोस्टल आॅर्डर या डिमांड ड्राफ्ट के जरिए फीस जमा करानी होगी। डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल आॅर्डर प्रेजिडंट, डिस्ट्रिक्ट फोरम या स्टेट फोरम के पक्ष में बनेगा। हर मामले के लिए फीस अलग-अलग होती है, जिसका ब्यौरा हम नीचे दे रहे हैं।अगर उपभोक्ता किसी विक्रेता के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाना चाहते हंै तो उसको को नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर लॉगआॅन करना होगा और वेबसाइट के मुख्य पृष्ठ पर ऊपर शिकायत रजिस्ट्रेशन टैब पर क्लिक करना होगा। तुरंत ही अगले स्क्रीन पर दो विकल्प प्रदर्शित होंगे। अगर आवेदक नई शिकायत रजिस्टर करना चाहते है तो आ΄शन 1 पर क्लिक करे और अगर उसने पहले ही वेबसाइट पर शिकायत जमा कर रखी है तो आ΄शन 2 पर क्लिक करें। शिकायत जमा करने के लिए लगने वाली फीस शिकायत जमा करने के लिये आवेदक को फोरम/ कोर्ट मे मामूली फीस जमा करनी पड़ती है, जो की कितनी होगी उसके बारे मे शिकायत करने वाले पेज पर बताया होता है।
उपभोक्ता फोरम में करें शिकायत ?
आपका पैसा आपकी मेहनत है। जब आप बाजार में कुछ खरीद रहे होते हैं, तो दरअसल आप अपनी मेहनत के बदले खरीद रहे होते हैं। इसलिए आप चाहते हैं कि बाजार में आपको धोखा न मिले। इसके लिए आप पूरी सावधानी बरतते हैं। लेकिन बाजार तो चलता ही मुनाफे पर है। अपना मुनाफा बढ़ाने के चक्कर में दुकानदार, कंपनी, डीलर या सर्विस प्रवाइडर्स आपको धोखा दे सकते हैं। हो सकता है आपको बिल्कुल गलत चीज मिल जाए। या फिर उसमें कोई कमी पेशी हो। अगर ऐसा होता है और कंपनी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है, तो चुप न बैठें। आपकी मदद के लिए कंज्यूमर फोरम मौजूद हैं, यहां शिकायत करें।
उपभोक्ता मांग सकता है मुआवजा
उपभोक्ता अपने साथ हुई परेशानी के लिये विक्रेता पर मुआवजे का दावा भी कर सकता है और साबित हो जाने पर विक्रेता को फोरम या कोर्ट के द्वारा लगाए जाने वाले जुमार्ने का भुगतान करना पड़ता है, और अगर मामला गंभीर हो तो विक्रेता को जुमार्ना और जेल तक हो सकती है। इसके लिए उपभोक्ता को सबसे पहले अपनी लिखित शिकायत का नोटिस, विक्रेता को देना होता है, उसके बाद ही विक्रेता के खिलाफ उपभोक्ता कोर्ट या फोरम में शिकायत कर सकते हंै। यह इसलिये जरूरी होता है क्योंकि कई बार उपभोक्ता के शिकायत करे जाने की बात जानते ही विक्रेता अपनी गलती सुधार लेते हैं और शिकायत की नौबत ही नहीं आती।
क्या है उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम
उपभोक्ता/ग्राहक जब कोई वस्तु खरीदता है, तो उस वस्तु का तत्व, गुणधर्म, प्रकार, वजन / नाप, के बारे मे पूछ कर या सामान के कवर पर छपी जानकारी से वस्तु का मूल्य कितना है, ये जान सकता है, लेकिन कई बार विक्रेता इरादतन या गैर इरादतन वस्तु / सेवा को गलत जानकारी के साथ बेचते पाये जाते है, या फिर दी जानकारी सही है के नहीं इस विषय पर ध्यान नहीं देते, ऐसा होने से उपभोक्ता के अधिकारो का हनन होता है, और गलत जानकारी वाली वस्तु खरीदने से उपभोक्ता नुकसान भी उठाता है। ऐसी परिस्थिति से उपभोक्ता को संरक्षण मिले इस लिये, भारतीय संविधान अनुसार उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 के तहत हर भारतीय उपभोक्ता को संरक्षण दिया जाता है।
उपभोक्ता फोरम मामलों की शिकायत फीस
एक रूपए से एक लाख रुपये तक – 100
पांच लाख रुपये तक के लिए – 200
10 लाख रुपये तक के लिए – 400
10-20 लाख रुपये तक के लिए – 500
20-50 लाख रुपये तक के लिए – 1000
50 लाख -1 करोड़ रुपये तक – 4000
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