मलेरिया, डेंगू व चिकनगुनिया से बचाव के लिए रहें सतर्क: डॉ. योगेश

Dengue
आईआईटी मंडी और डीबीटी-इनस्टेम ने डेंगू मच्छर के पीछे की जैव रसायन का किया खुलासा

करनाल(सच कहूँ न्यूज)। सिविल सर्जन डॉ. योगेश शर्मा ने कहा है कि मच्छर के काटने से Dengue, चिकनगुनिया और Malaria जैसी घातक बीमारियां होती हैं। यह बातें जान लेना इसलिए जरूरी हैं क्योंकि विभिन्न जगहों पर जलभराव की वजह से मच्छर पैदा होते हैं। उन्होंने कहा कि मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों के प्रति लोगों का जागरूक होना जरूरी है।

उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि मलेरिया, डेंगू व चिकनगुनिया से बचाव के लिए पानी के बर्तन, टंकी, घड़ों आदि को ढ़ककर रखें और सप्ताह में एक बार फूलदान, फ्रिज की ट्रे, पशु व पक्षियों के बर्तन व ड्रमों को खाली करके सुखाएं और फिर उनमें पानी डाले। शरीर को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े पहने। ठहरे पानी में लारवा नाशक दवा डाले। उन्होंने बताया कि जहा पानी ठहरेगा। वहीं मच्छर पलेगा और यदि हम पानी ठहरने नहीं देंगे तो मच्छर भी पैदा नहीं होगा।


दिन में काटता है डेंगू का मच्छर: डॉ. राजेश

जाखल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एसएम डॉक्टर राजेश क्रांति ने बताया कि डेंगू (Dengue) एडिज मच्छर के काटने से होता है, जो दिन में काटता है। इस मच्छर के शरीर पर सफेद धारियां होती हैं, जिसके कारण इसे टाइगर मच्छर भी कहा जाता है। यह मच्छर ज्यादा ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता। हेल्थ वर्कर अवतार सिंह ने बताया कि इसके इसका लार्वा साफ पानी में पनपता है। घर के अंदर कूलर, फ्रिज की ट्रे, छत पर रखे पानी का कोई पात्र, पुराना टायर, गमला आदि में लार्वा पनपने की सबसे अधिक आशंका रहती है। काटने पर पांच से छह दिन बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

ये हैं लक्षण

  • त्वचा पर चकत्ते
  • तेज सिर दर्द
  • पीठ दर्द
  • आंखों में दर्द
  • तेज बुखार
  • मसूड़ों से खून बहना
  • नाक से खून बहना
  • जोड़ों में दर्द
  • उल्टी
  • डायरिया

ऐसे करें बचाव

  • फ्रिज की ट्रे व कूलर में इकट्ठा पानी को एक सप्ताह में जरूर बदल दें।
  • सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
  • ऐसे कपड़े पहने जिससें कि शरीर का अधिक से अधिक भाग ढका रहे।
  • मच्छरनाशक दवा छिड़कने वाले कर्मचारी आएं तो उन्हें मना न करें।
  • घर के आसपास पानी न इकट्ठा होने दें।
  • गमलों, पुराने टायर व अन्य पात्रों का पानी बदलते रहें।
  • घर की खिड़कियों पर जाली या स्क्रीन होनी चाहिए।
  • बुखार आने पर कोई भी दर्द निवारक न लें।
  • जलभराव वाले स्थानों को मिट्टी से ढक दें।
  • इकट्ठा पानी पर जला हुआ मोबिल आयल-मिट्टी का तेल डालें।

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