Battery Charging Problem of Electric Vehicles: इलेक्ट्रिक गाड़ियों में ज्यादा समय में होने वाली बैटरी चार्जिंग एक बड़ी समस्या

Battery Charging Problem
Battery Charging Problem of Electric Vehicles: इलेक्ट्रिक गाड़ियों में ज्यादा समय में होने वाली बैटरी चार्जिंग एक बड़ी समस्या

प्रदूषण के संकट में इलेक्ट्रिक क्रांति की अनिवार्यता

Battery Charging Problem of Electric Vehicles: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग अब केवल एक विकल्प नहीं रह गई है, बल्कि यह समय की जरूरत बन चुकी है। पेट्रोल और डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन सीमित संसाधन हैं, और इनके लिए भारत को बड़े पैमाने पर अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। हर साल लगभग 200 अरब डॉलर का कच्चा तेल आयात करना पड़ता है, जो आर्थिक असंतुलन और व्यापार घाटे को बढ़ाता है। लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देकर भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत कर सकता है और स्वच्छ पर्यावरण व आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है। Battery Charging Problem

यदि इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी बढ़ती है, तो भारत करीब 40 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा बचा सकता है, जो आर्थिक विकास के लिए बेहद फायदेमंद होगा। साथ ही, बैटरी निर्माण और चार्जिंग ढांचे के विकास से नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे, जिससे युवाओं को रोजगार मिलेगा और अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी।

बड़े शहरों में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। इसका एक प्रमुख कारण पारंपरिक पेट्रोल-डीजल वाहनों से होने वाला उत्सर्जन है। खासकर दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे महानगरों में वाहनों से होने वाला प्रदूषण सबसे ज्यादा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 भारत में हैं। 2022 में दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से ऊपर रहा, जो गंभीर स्तर को दर्शाता है।

पारंपरिक वाहन वायु प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदान देता है

पारंपरिक वाहनों से निकलने वाला धुआं, जिसमें नाइट्रोजन ऑक्साइड, पार्टिकुलेट मैटर और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे हानिकारक तत्व शामिल हैं, वायु प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदान देता है। लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग से इन हानिकारक उत्सर्जनों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इससे देश में स्वच्छ हवा और बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलेगा। इलेक्ट्रिक वाहन शून्य कार्बन उत्सर्जन करते हैं, और यदि इन्हें सौर व पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों से चार्ज किया जाए, तो ऊर्जा की स्वच्छता और आत्मनिर्भरता में और इजाफा होगा।

पिछले कुछ वर्षों में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह दर्शाता है कि लोग धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर बढ़ रहे हैं। 2020 में देश में लगभग 1.5 लाख इलेक्ट्रिक वाहन बिके थे, जबकि 2023 में यह संख्या 10 लाख से अधिक हो गई। यह उपभोक्ताओं में बढ़ती जागरूकता और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को दिखाता है। सरकार भी इस दिशा में सक्रिय कदम उठा रही है, जैसे सब्सिडी, टैक्स छूट और चार्जिंग ढांचे के विकास को प्रोत्साहन देना। हालांकि, इस क्षेत्र में अभी भी कई चुनौतियां हैं, जैसे चार्जिंग ढांचे की कमी, बैटरियों की ऊंची कीमत, सीमित रेंज और चार्जिंग समय। लेकिन अगर सरकार और निजी कंपनियां मिलकर इन समस्याओं का समाधान करें, तो भारत इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति में अग्रणी बन सकता है। Battery Charging Problem

देश में चार्जिंग स्टेशनों की संख्या अभी बहुत कम है, जिससे लंबी दूरी की यात्रा में मुश्किल होती है। वर्तमान में भारत में करीब 10,000 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन हैं, जबकि कम से कम 50,000 स्टेशनों की जरूरत है। शहरी क्षेत्रों में कुछ चार्जिंग पॉइंट उपलब्ध हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों और हाईवे नेटवर्क में इनकी भारी कमी है। इससे उपभोक्ताओं को लंबी दूरी की यात्रा में असुविधा होती है और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की गति धीमी हो रही है।

बैटरी चार्जिंग में लगने वाला समय भी एक बड़ी समस्या

इसके अलावा, बैटरी चार्जिंग में लगने वाला समय भी एक बड़ी समस्या है। एक सामान्य इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज होने में 4-8 घंटे लगते हैं, जबकि फास्ट चार्जिंग से भी 30-60 मिनट का समय लगता है, जो पारंपरिक वाहनों की तुलना में ज्यादा है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार को हाईवे और शहरों में फास्ट चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ानी होगी। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में भी दीर्घकालिक योजना बनाकर चार्जिंग ढांचा विकसित करना जरूरी है।

इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत अभी भी पारंपरिक पेट्रोल-डीजल वाहनों से ज्यादा है। इसका मुख्य कारण बैटरी की ऊंची लागत है, जो एक इलेक्ट्रिक वाहन की कुल कीमत का 40-50% हिस्सा होती है। इसके अलावा, चार्जिंग की बिजली दरें और होम चार्जिंग सेटअप की लागत भी उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय है। लेकिन बैटरी की कीमत कम करने के लिए स्थानीय स्तर पर बैटरी निर्माण को बढ़ावा देना जरूरी है। अगर सरकार और निजी कंपनियां मिलकर बैटरी उत्पादन की लागत घटाएं और बिजली दरों में रियायत दें, तो इलेक्ट्रिक वाहन अधिक किफायती हो सकते हैं, जिससे उनकी लोकप्रियता में तेजी आएगी।

भारत में सड़क संरचना और ट्रैफिक प्रबंधन भी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चुनौती बने हुए हैं। खराब सड़कों के कारण बैटरी जल्दी डिस्चार्ज होती है, जिससे वाहनों की क्षमता कम हो जाती है। हाईवे पर सड़कें ठीक हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की स्थिति खराब है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उपयुक्त नहीं है। इससे खराब सड़कों पर बैटरी का जल्दी खत्म होना उपभोक्ताओं के लिए बड़ी समस्या है। इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार को सड़क निर्माण और मरम्मत को प्राथमिकता देनी चाहिए। बेहतर सड़कें न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों की दक्षता बढ़ाएंगी, बल्कि इनके उपयोग को ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने में भी मदद करेंगी। Battery Charging Problem

मुनीष भाटिया (यह लेखक के अपने विचार हैं)