बठिंडा : संसाधनों की कमी से जूझ रही फायर ब्रिगेड बठिंडा

Fire Brigade Bathinda

अग्निशमन कर्मियों को जान जोखिम में डालकर बुझानी पड़ती है आग | Fire brigade Bathinda

  • फायर ब्रिगेड के पास अपनी सुरक्षा के लिए अपेक्षित साजो सामान की भारी कमी

बठिंडा(सच कहूँ/अशोक वर्मा)। बठिंडा में आग बुझाओ दस्तों को जान तली पर रख कर (Fire brigade Bathinda) आग पर काबू पाना पड़ रहा है। शहर के फायर ब्रिगेड के पास अपनी सुरक्षा के लिए अपेक्षित साजो सामान की भारी कमी है। बठिंडा फायर ब्रिगेड के लिए नगर निगम का खजाना खाली है, जिस कारण नयी भर्ती नहीं की गई और न ही अपेक्षित साजो सामान की खरीद हो रही है। जब कहीं आग लग जाती है तो कर्मचारियों के हाथ पांव फूल जाते हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वह हर तरह की स्थिति के साथ निपटने के लिए तैयार हैं उनकी सुरक्षा की तरफ भी ध्यान दिया जाए। स्टेट बैंक आॅफ इंडिया के जोनल कार्यालय में लगी आग को बुझाते समय भी सेक ने फायरमैनों को निर्जीव किए रखा क्योंकि उनके पास खुद के लिए सुरक्षा कवच ही नहीं थे।

यह पहला मामला नहीं है जब भी शहर में कोई भयानक अग्निकांड घटता है तो कर्मचारियों कठिनाईयों में फंस जाते हैं। पंजाब फायर सर्विस के एक पूर्व अधिकारी का कहना था कि जब कर्मचारियों को अपनी सुरक्षा की चिंता सताती रहेगी तो उन के लिए काम करना मुश्किल बनता जाता है। उन्होंने बताया कि बड़ी समस्या शहर की भौगोलिक स्थिति है, जिस कारण अक्सर फायर टैंडर भी आग पर काबू पाते समय कठिनाईयों में फंस जाते हैं ऊपर से स्टाफ की बड़े स्तर पर कमी है जोकि कर्मचारियों की मुश्किलों बढ़ाने वाली साबित हुई है।

अतिसंवदेनशील क्षेत्र में शुमार है बठिंडा | Fire brigade Bathinda

आग लगने की घटनाओं के मामले में पंजाब भर में से बठिंडा अतिसंवेदनशील परिस्थितियों में शुमार हो गया है। शहर की तंग गलियों व बाजार फायर ब्रिगेड की दिक्कतों बढ़ाने वाले साबित हुए हैं। बठिंडा में तेल कंपनियां व तेल डीपू, बठिंडा -कांडला तेल पाईप लाईनों, रिफायनरी, राष्ट्रीय खाद कारखाना, तीन बड़े ताप बिजली घर और इतने ही सौर ऊर्जा वाले बिजली घर हैं। शहर में दर्जनों शिक्षा विभाग, यूनिवर्सिटियां, अस्पताल, उद्योग, कपास मीलें व बैंक हैं। आग से बचाव के प्रबंधों में कोई कमी या लापरवाही तबाही का कारण बन सकती है।

बठिंडा फायर ब्रिगेड के पास मौजूदा समय में 8 गाड़ियां

जानकारी अनुसार बठिंडा फायर ब्रिगेड के पास मौजूदा समय में 8 गाड़ियां हैं। फायर सर्विस के नियमों अनुसार एक गाड़ी के लिए एक सब फायर अधिकारी, तीन फायरमैन, एक चालक और एक लिडिंग फायर मैन सहित आधी दर्जन कर्मचारियों की जरूरत पड़ती है। इस तरह आठ घंटों की एक शिफट के लिए 40 कर्मचारियों के हिसाब से 120 कर्मचारी चाहिए जबकि निगम के पास तो चौथा हिस्सा भी नहीं है। फायर ब्रिगेड के लिडिंग फायरमैन अश्वनी कुमार का कहना था कि 1987 के बाद नयी भर्ती नहीं हुई है जिस कारण कर्मचारी अपनी क्षमता से अधिक काम करने के लिए मजबूर हैं।

फायर टैंडरों को सीढ़ियों का सहारा ही लेना पड़ता है।

  • बठिंडा फायर ब्रिगेड के पास तो फोम टैंडर की भी कमी है।
  • साल 2012 में नगर निगम हाऊस ने फोम टैंडर खरीदने के लिए स्वीकृति दी थी।
  • सात वर्ष बाद मसला स्वीकृति से आगे नहीं बढ़ सका है।
  • फायर ब्रिगेड के एक कर्मचारी ने बताया कि उनके पास सिर्फ 35 फुट तक लगी आग पर काबू पाने के प्रबंध हैं
  • इससे ऊपर जाने के लिए फायर टैंडरों को सीढ़ियों का सहारा ही लेना पड़ता है।
  • उन्होंने कहा कि शहर की भौगोलिक स्थिति और लगातार बन रही
  • बहुमंजिला इमारतों के कारण टीटीऐल गाड़ियां व 52 मीटर लम्बी
  • एक अतियाधुनिक ब्रैंटों स्काई लिफ़्ट की मांग भेजी गई थी जोकि हवा में लटक रही है।
  • इस मामले संबंधी प्रशासन का पक्ष जानने के लिए संपर्क करने पर
  • नगर निगम के कमिशनर बिक्रमजीत सिंह शेरगिल्ल ने फोन नहीं उठाया।

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