पराली का धुआं लोगों के लिए बना मुसीबत | Pollution
बठिंडा/पक्का कलां(पुशपिन्दर सिंह)। दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे पराली के धुओं के कारण जहां (Pollution) यातायात बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है वहीं इस धुएं ने लोगों का जीना दुभर कर दिया है और खास कर छोटे -छोटे बच्चे इस धुएं से बहुत परेशान हैं। इस धुएं के साथ लोगों की आंखों में जलन पैदा हो रही हैं और चमड़ी के रोगों का शिकार हो रहे हैं। किसान लगतार पराली को आग लगा रहे हैं और उनका कहना है कि पराली को आग लगाना उनका शौक नहीं बल्कि मजबूरी है जबकि इस धुएं के बुरे प्रभावों से भी अच्छी तरह जानकार हैं। पराली का धुआं असामन में फैलने से दिन में ही रात जैसा माहौल बन गया है और राहगीरों को अपनी मंजिल पर पहुंचने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
लोग घर से बाहर आते समय अपना मुंह व आंखें ढक कर रखें | Pollution
प्रैगमा अस्पताल के छाती के विशेषज्ञ डॉ. सुरेन्द्र कांसल का कहना था कि धुएं से प्रदूषण बढ़ गया है और सांस की बीमारियां बहुत बढ़ गई हैं उन्होंने लोगों को सलाह दी कि लोग घर से बाहर आते समय अपना मुंह व आंखें ढक कर रखें व समय पर डॉक्टर की सलाह लें, जिससे दमे की बीमारी से बचा जा सके। भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के प्रधान बलदेव सिंह सन्दोहा ने कहा कि पराली को जलाना किसानों की मजबूरी बन गई है।
पराली की गठड़ियां बनाने वाली मशीनें काफी महंगी
- उन्होंने कहा सरकार पराली को आग न लाने पर सख्ती तो इस्तेमाल कर रही है
- परंतु इसका पक्का हल नहीं निकाल रही क्योंकि गठड़ियां बनाने वाली मशीनें काफी महंगी हैं
- जो किसानों की पहुंच से बाहर हैं
- परंतु यदि सरकार यह मशीनों सस्ते उपलब्ध करवाए तो
- इस समस्या का कुछ हद तक हल हो सकता है।
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