बरोदा उपचुनाव : जीत के लिए सियासी पार्टियों ने लगाया दमखम, धुरंधरों को प्रचार में उतारा

Baroda by-election political parties put up power to win

जेजेपी के वोट बैंक ने बढ़ाया भाजपा का सिरदर्द (Baroda by-Election)

  •  कांग्रेस को शिफ्ट हुआ तो बिगड़ जाएंगे पूरे समीकरण
  • पिछले चुनाव में तीसरे नंबर पर रहा था जजपा प्रत्याशी
अश्वनी चावला चंडीगढ़। बरौदा उपचुनाव में भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा अपने ही सहयोगी पार्टी (Broda by-elecion) जननायक जनता पार्टी के वोट बैंक की चिंता खाए जा रही है। भाजपा का अनुमान है कि अगर जननायक जनता पार्टी का वोट बैंक बरोदा में इनेलो की तरफ चला गया तो भाजपा को इससे कोई ज्यादा खतरा नहीं होगा। लेकिन अगर यह वोट बैंक कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो गया तो सीधा भाजपा को नुकसान होने से उसके समीकरण गड़बड़ा जाएंगे। क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी का उम्मीदवार इस सीट से जहां तीसरे नंबर पर रहा था। वहीं उसने 32 हजार से ज्यादा वोट प्राप्त की थी। भाजपा को इन 32 हजार वोटों में से कोई ज्यादा वोट अपनी तरफ आती हुई दिखाई नहीं दे रही हैं, क्योंकि यह शुरू से ही इनेलो का कैडर रहा है। अब परेशानी ये है कि यह वोट वापस इनेलो के उम्मीदवार की तरफ जाती है या फिर कांग्रेस की तरफ शिफ्ट होंगी, इसी को लेकर भाजपा पिछले कई दिनों से मंथन कर रही है।
बरोदा विधानसभा सीट पर कांग्रेस या फिर इनेलो का ही दबदबा रहा है और पूर्व में सरकारें भी इन दोनों पार्टियों की चलती रही हैं। जिस कारण भाजपा इस सीट से पहले कभी नहीं जीत पाई है। गत वर्ष हुए चुनाव में भी कांग्रेस उम्मीदवार ने यहां से जीत दर्ज की थी। इस बार उपचुनाव होने के कारण भाजपा इस सीट पर पूरा जोर लगा रही है, क्योंकि उसे उम्मीद है कि सत्ता में होने के चलते यहां का वोटर उन्हें वोट देगा। वहीं दूसरी ओर जजपा का वोट बैंक सिरदर्दी बढ़ा रहा है। भाजपा को पता है कि जजपा नेता के फील्ड में उतरकर उनके पक्ष में प्रचार का भी उसे ज्यादा फायदा नहीं होने वाला है, क्योंकि ये वोट बैंक अब इनेलो की तरफ डायवर्ट होने के ज्यादा आसार दिख रहे हैं। इसलिए भाजपा अब इनेलो की तरफ नजरें गड़ाए बैठी है, क्योंकि जजपा इनेलो से ही निकली है और ये वोट बैंक इनेलो का ही था। यदि इनेलो के बड़े नेता यहा प्रचार करते हैं तो इसमें भाजपा अपना फायदा देख रही है, क्योंकि इससे जजपा का वोट इनेलो की तरफ जाने के ज्यादा आसार होंगे। इससे जहां कांग्रेस का वोट घटेगा, वहीं भाजपा की जीत की राह भी आसान होगी।

किसानों का आंदोलन बना गले की फांस

पूरी तरह से देहाती सीट होने के कारण बरोदा उपचुनाव में कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन भाजपा के गले की फांस बनता नजर आ रहा है। हरियाणा और पंजाब में किसान सड़कों पर उतरकर आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में इस उपचुनाव को लेकर भाजपा को डर खाए जा रहा है कि कहीं इस आंदोलन के चलते देहाती इलाके का वोटर भाजपा को वोट देने की जगह कांग्रेस के हक में न चला जाए। अगर ऐसा होता है तो भाजपा के लिए और भी ज्यादा मुश्किलें होंगी। इस सीट पर शहरी क्षेत्र बहुत कम है।

जाट नेताओं को किया जा रहा आगे

भाजपा की तरफ से इस सीट पर जाट नेताओं को आगे किया जा रहा है, क्योंकि इस सीट पर जातिगत समीकरण भी काफी अहम् माना जा रहा है। शुरू में इस विधानसभा सीट पर संसद सदस्य संजय भाटिया को आगे किया गया था। परंतु अब उन्हें बैकफुट पर लाकर जाट नेता कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल को आगे कर दिया गया है। यह सीट देहाती होने के साथ-साथ जाट सीट भी मानी जाती है। ऐसे में जातीय समीकरण बिठाना यहां पर जरूरी था, जिसको भांपते हुए भाजपा ने पिछले सप्ताह ही चुनाव प्रक्रिया को देख रहे नेताओं में फेरबदल कर दिया है।

पिछली बार दूसरे नंबर पर रही थी भाजपा

भाजपा बरोदा विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रही थी और इस सीट को कांग्रेस न हासिल किया था। इस सीट पर अबकी बार कांग्रेस और भी ज्यादा मजबूत मानी जा रही है, क्योंकि जननायक जनता पार्टी मैदान में नहीं है तो दूसरी तरफ किसान आंदोलन बड़े स्तर पर चल रहा है। ऐसे में कांग्रेस की तरफ ज्यादा वोट जा सकती है, जिस कारण ही भाजपा के लिए यह सीट बड़ी चुनौती मानी जा रही है। इस सीट को जितने के लिए भाजपा को अपना पूरा जोर लगाना होगा, तभी भाजपा कोई करिश्मा कर पायेगी।

 

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