भगवान के लिए वैराग्य पैदा करें: पूज्य गुरु जी
बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने रूहानी मजलिस में फरमाया कि एक कहावत है जब तक बच्चा रोता नहीं, माँ दूध नहीं पिलाती। क्योंकि माँ को भी नहीं पता चलता कि बच्चा भूखा है। बच्चा रोता है तो माँ दूध पिलाती है। लेकिन यहां तो थोड़ा उल्टा सिस्टम है, रोने की जरूरत नहीं, उसके (भगवान के) लिए तड़पिए, वैराग्य पैदा कीजिये। रोने को वैराग्य कहा जाता है सूफियत में, रूहानियत में। जो ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु राम के लिए तड़पते हैं, आँखों से जो मोती बरसते हैं, वो वैराग्य होते हैं। खुशक नवाजे, खुशक इबादत, तरी के मुकाबले कहीं भी नहीं रहती। जो वैराग्य के साथ प्रभु को, परमात्मा को, राम को, अल्लाह, गॉड, खुदा, रब्ब को याद करते हैं, बहुत जल्दी उसको पा लेते हैं।
देवी-देव प्रभु के हुक्म से निभाते हैं ड्यूटियां
आपजी ने फरमाया कि आज संसार में चारों ओर नशा, बुराई दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और इसका कारण है कि इन्सान प्रभु-परमात्मा, अल्लाह, वाहेगुरु, राम की भक्ति को बोरिंग समझता है, कि ये तो फिजूल की बात है, कौन इतना समय लगाए? तो मालिक की भक्ति को भी हाईटेक करने की जरूरत है। बहुत सारे लोगों को ये पता नहीं होता, कई बार पूछते हैं कि गुरु जी धर्मों में तो ये लिखा है कि चन्द्रमा देवता है, लेकिन वो तो पत्थर है, खोज कर ली गई है। तो आप में से भी बहुत लोगों को शायद ही पता हो, पर हमारे पवित्र वेदों में, पवित्र धर्म के महान ग्रन्थों में सब जगह लिखा हुआ है, अगर गौर से पढ़ा जाए, कि ये जो दिखते हैं ये चन्द्र तो जरूर हैं, लेकिन इनको जो चलाने वाला है, वो चन्द्रमा है, वो चन्द्र देव है। रिमोट कंट्रोल से वो इन्हें चलाते हैं।
क्या आपमें से बहुत से पढ़े-लिखे लोग जानते हैं कि आमतौर पर जो जहाज हैं, हवाई जहाज, उनको कंप्यूटराइज्ड छोड़ दिया जाता है, आॅटोमैटिकली वो दूरियां तय करते हैं, एटोमैटिकली वो उन रास्तों पर चले जाते हैं, सिर्फ लैंडिंग के टाइम या टेक आॅफ के टाइम ही उन्हें मैन्यूअल किया जाता है। अदरवाइज वो कंप्यूटराइज्ड भी चलते हैं और मैन्यूअल भी चलते हैं। तो वहां से वो चढ़े, उनको कंप्यूटराइज्ड कर दिया गया और वो वहां पहुंच गए और पहुंचने के बाद उतारने के टाइम फिर से वो मैन्युअल करके पायलट उनको उतारते हैं। मोस्टली जो हम देखा करते थे, कई बार मौका मिला, उनके पास जाने का, तो ये ऐसा ही होता है। तो इधर भी ऐसा ही है।
ये चन्द्रमा है, ये सूरज है, ये नक्षत्र हैं, ये ग्रह हैं, इनको देवी-देव चलाते हैं। तो आदमी अगर कंप्यूटराइज्ड कर सकता है तो क्या देवी-देवता नहीं कर सकते? आप रिमोट से टीवी चला सकते हैं, तो आप देवता को इतना ही कमजोर समझते हैं, वो रिमोट से चन्द्रमा को भी चलाते हैं, सूर्य देव सूरज को चलाता है। अपनी-अपनी ड्यूटियां हैं उनकी। ओउम, उस सुप्रीम पावर, जिसे ओउम, एकोंकार, द् सुप्रीम पावर गॉड या एक अल्लाह ताअला, वो ऐसी शक्ति है, जिसके अधीन हैं सारे देवी-देव। तो वो जैसा जिसकी ड्यूटी यहां लगा देता है, वो उस ड्यूटी का निर्वाह करते हैं। तो अब बताइये चन्द्र देव किसे कहा गया है? आपको भी जवाब आ जाएगा। सूरज देव किसे कहा गया? आप भी समझ गए होंगे। तो क्या पृथ्वी है, नक्षत्र हैं, क्या ग्रह हैं, चन्द्र, सूरज जैसे लाखों चन्द्रमा, सूरज हैं। तो उस सबको कंट्रोल करने वाले जो हैं, वो हैं देव, वो हैं देवता। पर इसकी तह तक तभी आदमी जाता है जब भगवान से रिश्ता जोड़ लेता है, भगवान से नाता जोड़ लेता है।
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