ऐलनाबाद(सच कहूँ/सुभाष)। गौरैया यानी घरेलू चिड़िया के सिमट रहे प्राकृतिक आवास के कारण हमारे आसपास इनकी चहचहाहट की गूंज कम सुनाई देने लगी है। ऐसे में विलुप्त हो रही गौरैया को बचाने के लिए ऐलनाबाद शहर में सर्वप्रथम रक्तदान की मुहिम चलाने वाले शिक्षाविद बनवारी लाल सहारण ने गौरैया के संरक्षण के लिए अपने निवास को ही गौरेया का आवास यानि घर पर घोंसले बना दिये है। बनवारी लाल सहारण के प्रयासों ने न केवल गौरैया की आबादी बढ़ी, बल्कि घर के अंदर ही चहचहाहट बढ़ गई है। बनवारी लाल सहारण ने गत्ते के डिब्बों से ऐसे घोंसले तैयार किए, जिन्हें गौरैया ने अपना आशियाना बनाने के लिए चुना। बनवारी लाल सहारण शहर में ही एक निजी स्कूल में शिक्षक के साथ-साथ समाजसेवी है। ऐलनाबाद में रक्त दाताओं को जागरूक करने का बीड़ा भी सबसे पहले इन्होंने उठाया था।
किसान की मित्र हैं गौरैया
विशेष वार्तालाप में बनवारी लाल सहारण ने बताया कि उनके साथ इस मुहिम में पूरा परिवार जुड़ा हुआ है। हमारा प्रयास रहता है कि गौरैया को अपने आसपास ही आवास मुहैया कराया जाए। गौरैया किसान की मित्र हैं क्योंकि यह हानिकारक कीड़ों को खाती है। गौरैया का पर्यावरण के साथ गहरा सम्बन्ध है। अमूमन यह पक्षी वहां पर रहना पसंद करता है जहां पर मनुष्यों की आबादी हो। इसलिए यह हमारे घरों में ही अपना छोटा सा आशियाना बनाने की तलाश में रहती है।
ऐसे लगाएं अपने घरों के अंदर गौरैया के घोंसले
बनवारी लाल सहारण ने बताया कि घोंसले लगाते समय हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि किसी तरह के जानवर व बरसात आंधी में गौरैया को कोई नुकसान ना हो। घोंसलों को लगते समय इनके ऊपर गर्मियों में दोपहर व शाम की धूप सीधी न पड़े। जब इनके अंडे देने का समय हो (मार्च से सितंबर) तब घोंसलों में किसी भी तरह की घास फू स न डालने की बजाय 8-10 फुट दूरी पर डाल सकते हैं। ये भी ध्यान रखें कि रात के समय इनके घोंसलों के आसपास तेज लाइट न जलाएं।
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