सरकार के डिजिटल इंडिया को पलीता लगा रहे बैंक
मुंबई (एजेंसी)। सरकार डेबिट कार्ड के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के प्रयास में है, लेकिन बैंक न्यूनतम राशि के अभाव में पैसे नहीं निकलने जैसे वाकयों पर ग्राहकों से गैर-वाजिब शुल्क वसूल रहे हैं। अपने बैंक अकाउंट में पर्याप्त रकम नहीं रहने पर ग्राहक जितनी बार कार्ड से पैसे निकालने या पेमेंट करने की कोशिश करता है, उतनी बार 17 से 25 रुपये तक चार्ज कर दिया जाता है। देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक आॅफ इंडिया (एसबीआई) आॅटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम) या पॉइंट आॅफ सेल (पीओएस) टर्मिनल पर डेबिट कार्ड स्वाइप करने के बाद ट्रांजैक्शन डिक्लाइन होने पर 17 रुपये वसूलता है।
आईआईटी बॉम्बे में गणित के प्रफेसर आशीष दास ने कहा, ‘खरीदारी के बाद नकदी रहित भुगतान (नॉन-कैश मर्चेंट ट्रांजैक्शन) के लिए डेबिट कार्ड के इस्तेमाल पर इतने बड़े जुमार्ने का कोई मतलब नहीं है और इससे कार्ड या डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों को कहीं से भी बल नहीं मिलता।’ दास ने बैंक के विभिन्न शुल्कों पर कई रिसर्च रिपोर्ट्स तैयार की हैं। अतीत में वह कानूनी नीतियां करने में भी बड़ी भूमिका निभा चुके हैं। ट्रांजैक्शन डिक्लाइन नहीं होने पर बैंक तब भी वसूली कर रहे हैं जबकि सरकार ने मर्चेंट डिस्काउंट रेट यानी एमडीआर की सीमा तय कर रखी है। एमडीआर वह फी है जो बैंक भुगतान स्वीकार करनेवाले मर्चेंट्स से वसूलते हैं। दूसरी तरफ, बैंक ग्राहकों को शाखा या एटीएम से पैसे निकालकर खरीदारी करने की जगह डेबिट कार्ड से भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित करने का अभियान भी चला रहे हैं।