विदेश जाने के चाह्वान अनजान लोगों से फर्जी एजेंटों द्वारा पैसे ठगने के मामले दिन-प्रतिदिन सामने आ रहे हैं, लेकिन अब महिलाओं को विदेशों में बेचने की आ रही खबरें बेहद खौफनाक हैं। हैदराबाद में आठ महिलाओं को संयुक्त अरब अमीरात में बेचने का मामला सामने आया है। इन महिलाओं को विजिटर वीजा पर भेजा गया था। इससे पहले पंजाब की महिलाओं को एक शेख की ओर से अपने कब्जे में रखने का मामला चर्चा में आया था। इन महिलाओं से 15-15 घंटे पशुओं की तरह काम लिया जा रहा व परिवारों के साथ संपर्क करने से रोका जा रहा। कई एजेंट तो महिलाओं को उनके परिवारों के साथ मिलवाने के भी पैसे मांंगते हैं। वीजा की आड़ में मानव तस्करी पर विदेश मंत्रालय को सख्त से सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार को यूएई से बात कर धोखाधड़ी की शिकार हुई महिलाओं को वापिस लाने के साथ-साथ फर्जी एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। दरअसल विदेश मंत्रालय की ओर से फर्जी एजेंटों के प्रति आमजन को जागरूक करने की खास आवश्यकता है।
भले ही विदेश मंत्रालय की ओर से विगत कुछ सालों पहले इमीग्रेशन के फर्जी सैटरों की लिस्ट जारी की गई थी लेकिन इसका प्रचार बड़े स्तर पर नहीं हुआ। जिला प्रशासन द्वारा वैध इमीग्रेशन सैटरों की सूचि को सार्वजनिक स्थानों पर लगाया जाए ताकि लोग धोखाधड़ी का शिकार होने से बच सकें। दरअसल फर्जी एजेंटों के लुभावने वायदे एवं उनके गांव स्तर तक फैल चुके नेटवर्क के चलते लोग उनमें फंस रहे हैं। हमारा देश गैर कानूनी प्रवास के लिए पहले पांच देशों में शामिल हो चुका है। टेÑनों व बसों में विदेश जाने व भर्ती होने के विज्ञापन आम ही देखे जा सकते हैं, जिनमें न तो कोई संबंंधित कंपनी के कार्यालय का पता होता है व न ही कोई लाईसेंस नंबर। सिर्फ मोबाईल फोन पर ही विदेशों में भेजने का धंधा चलाया जा रहा है। रेलवे का कोई अधिकारी इन धोखाधड़ी वाले विज्ञापनों को हटाने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं करता। आज लोगों में विदेशों में जाने का बहुत ही अधिक चलन है, जिसका नाजायज फायदा फर्जी एजेंट उठा रहे हैं। रेडियो व टेलीविजन पर सरकार जागरूकता के विज्ञापन जारी करे तब शायद देश के अरबों रूपये इस गोरखधंधे में लुटने से बचाए जा सकते हैं।
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