बलवान रोजाना 20 किलोमीटर साईकिल चलाकर करते हैं चौकीदारी

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Kurukshetra News : बलवान रोजाना 20 किलोमीटर साईकिल चलाकर करते हैं चौकीदारी

विश्व साईकिल दिवस पर विशेष | Kurukshetra News

  • साईकिल चलाकर बचाएं धन और शरीर को कर लें मजबूत

कुरुक्षेत्र (सच कहूँ/देवीलाल बारना)। Kurukshetra News: एक तरफ जहां आधुनिकता ने अपने पांव खूब पसार लिए हैं और नए नए वाहनों के आने के बाद साईकिल को किनारा सा कर दिया है। हालांकि कई लोग अपने शरीर को फिट रखने के लिए थोड़ा बहुत साईकिल जरूर चला लेते हैं लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है। आज विश्व साईकिल दिवस है तो दैनिक सच कहूँ ने ऐसे व्यक्ति की तलाश की जोकि रोजाना अपने काम के लिए तकरीबन 20 किलोमीटर तक साईकिल चलाते हैं। Kurukshetra News

बात कर रहे हैं कुरुक्षेत्र जिला के गांव बारना निवासी बलवान सिंह, जोकि पिछले 22 सालों से गांव में चौकीदार की ड्यूटी बाखूबी निभा रहे हैं, आज भी अपने सभी काम साईकिल पर पूरे करते हैं। कई किलोमीटर की परिधी में फैले गांव बारना में चौकीदार की भूमिका काफी अहम हो जाती है। कभी कोई अधिकारी या कर्मचारी गांव में आता है तो चौकीदार के पास संदेशा आता है और अधिकारी के साथ चलना चौकीदार का काम होता है। ऐसे में कार, जीप में पहुंचे अधिकारी के आगे-आगे अपने साईकिल को दौड़ाते हुए बलवान चौकीदार गंतव्य तक पहुंच जाते हैं।

रोजाना चलाते हैं तकरीबन 20 किलोमीटर साईकिल | Kurukshetra News

बलवान का कहना है कि गांव से लगभग ढाई किलोमीटर की दूरी पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। सीएचसी में रोजाना कम से कम एक चक्कर लगाते हैं। इसके अलावा डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केंद्र रामनगर भी बलवान के घर से लगभग ढाई किलोमीटर है, एक चक्कर यहां भी किसी न किसी काम से रोजाना लगाते हैं। इन दो स्थानों पर आने जाने में ही रोजाना 10 किलोमीटर वे साईकिल चलाते हैं। इसके अलावा कभी गांव में कोई अधिकारी आता है तो बलवान साथ-साथ हो लेते हैं। गांव मे मुनियादी करनी हो तो भी वे साईकिल पर ही जाते हैं।

किसी जमाने में लग्जरी माना जाता साईकिल वाला घर

आज विश्व साईकिल दिवस है। घर में साईकिल का होना एक जमाने में लग्जरी लाईफ माना जाता है लेकिन आज आधुनिकता के इस दौर में समय के साथ-साथ पुरानी चीजों का महत्व भी कम हो गया है। साईकिल का प्रयोग जहां आपके रोज खर्च को कम करता है वहीं पर्यावरण का साफ रखने के लिए शरीर को मजबूत बनाने के लिए कारगर सिद्ध होता है। लोगों को साइकिल की उपयोगिता समझाने और इसे इस्तेमाल में लाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। विश्व साइकिल दिवस को मनाने की शुरूआत साल 2018 में की गई थी। अप्रैल 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व साइकिल दिवस मनाने का फैसला लिया।

दादा के जमाने से कर रहे हैं चौकीदारी | Kurukshetra News

बलवान सिंह बताते हैं कि पहले उनके दादा मुन्ना राम गांव के चौकीदार थे। उस जमाने में साईकिल उनके परिवार के पास नही था तो मुन्ना राम पैदल जाकर ही गांव में संदेशा पहुंचाते थे। उनके बाद उसके ताऊ रतिराम गांव के चौकीदार बने जोकि पहले पैदल व बाद में साईकिल पर घर-घर जाकर संदेशा पहुंचाते थे। उस जमाने में गांव में पैदा हुए बच्चों का रिकॉर्ड भी चौकीदार ही रखता था।

पंद्रह दिन के दौरान हुए बच्चों का रिकॉर्ड एकत्रित कर चौकीदार नजदीकी थाने में देकर आता था जिसे गौस्वारा लगवा के आना कहा जाता था। रतिराम के बाद बलवान सिंह गांव के चौकीदार बने जोकि आज तक भी साईकिल पर जाकर संदेश पहुंचाने का काम करते हैं। बलवान सिंह बताते हैं कि सरकार की ओर से उसे हर पांच साल में एक साईकिल भी मिलता है। इसलिए वे सरकार द्वारा दिए गए साईकिल पर सवार होकर ही चौकीदारी का काम करते हैं।

साईकिल चलाने की बदौलत 55 साल की उम्र में भी स्वस्थ हैं बलवान सिंह

बलवान सिंह ने कहा कि साईकिल चलाने के अनेक फायदे हैं। हालांकि वे डेरा सच्चा सौदा से जुड़कर नशे पत्ते से तो पहले ही दूर हो चुके हैं लेकिन साईकिल चलाने के कारण वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं। वे 55 साल के हो चुके हैं। ऐसे में हर काम साईकिल पर जाकर कर जहां पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। वहीं पैट्रोल की बचत भी कर रहे हैं। Kurukshetra News

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