सरसा। शनिवार को सरसा में श्रद्धा का ऐसा समुन्द्र बहा कि महाकुंभ का नजारा बन गया। बधाई हो-बधाई हो और ह्यह्यधन-धन सतगुरु तेरा ही आसराह्णह्ण के नारों से आसमां गूंज उठा। सर्व धर्म संगम डेरा सच्चा सौदा में शनिवार को आश्रम का 75वां और जाम-ए-इन्सां का 16वां स्थापना दिवस उत्साह व हर्षोल्लास से पावन भंडारे के रूप में मनाया गया। करोड़ों की संख्या में पहुंची साध-संगत पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन वचनों से निहाल हुई। भंडारे पर साध-संगत के जनसमूह के सामने प्रबंधकीय कमेटी द्वारा किए बड़े स्तर पर प्रबंध भी छोटे पड़ गए। वहीं इस अवसर पर भाई Bal Mukesh ने बहुत सुंदर शब्द गाया जिससे साध-संगत मंत्रमुग्ध हो गई।
ज्य गुरु जी ने चिट्ठी के माध्यम से साध-संगत को एकता में रहने, सभी धर्मों का सत्कार करने का आह्वान किया। इसके अलावा मई महीने को भी डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत को भंडारे के रूप में मनाने के वचन किए हैं। चिट्ठी में पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि 1948 के मई महीने में डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने पहला सत्संग डेरे में फरमाया था, इसलिए इस महीने के आखिरी रविवार को भी साध-संगत भंडारे के रूप में मनाया करेगी।
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पवित्र शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए जा रहे 157 मानवता भलाई कार्यों को गति देते हुए इस पावन अवसर पर 75 जरूरतमंद परिवारों को फूड बैंक मुहिम के तहत राशन, क्लॉथ बैंक मुहिम के तहत 75 बच्चों को मौसम मुताबिक कपड़े दिए गए। साथ ही गर्मी के मौसम को देखते हुए पक्षी उद्धार मुहिम के तहत पक्षियों के रहने के लिए कृत्रिम घोंसले बांटे गए, ताकि भीषण गर्मी की वजह से किसी पक्षी की जान ना चली जाए। इसके अलावा शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल में जन कल्याण परमार्थी शिविर लगाकर हजारों जरूरतमंद रोगियों की नि:शुल्क जांच कर उन्हें सही परामर्श दिया गया। वहीं कैरियर परामर्श कैंप लगाकर हजारों बच्चों को सही कैरियर की राह चुनने के लिए मार्गदर्शन किया।
नामचर्चा कार्यक्रम की शुरूआत में उपस्थित साध-संगत ने एक साथ ऊंची आवाज में इलाही नारा बोलकर पूज्य गुरु जी को रूहानी स्थापना दिवस की बधाई दी। तत्पश्चात कविराजों ने सुंदर भजनवाणी के माध्यम से गुरु महिमा का गुणगान किया गया। इस दौरान पूज्य गुरु जी के अनमोल वचनों को बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीनोंं के माध्यम से चलाया गया। जिसे साध-संगत एकाग्रचित होकर श्रवण किया। इसके पश्चात आई हुई साध-संगत को हजारों सेवादारों ने कुछ ही मिनटों में लंगर भोजन और प्रसाद छका दिया।
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