खरखौदा (सच कहूं/हेमंत कुमार)। Kharkhoda News: खांडा मार्ग पर स्थित कल्पना चावला विद्यापीठ में प्रातः कालीन सभा के दौरान बड़े ही उत्साह व जोश के साथ बैसाखी पर्व मनाया गया। सभा का संचालन अध्यापिका शीतल ने किया। इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा अनेक कविताएं, भाषण व नृत्य की प्रस्तुति की गई। छात्राओं द्वारा बैसाखी पर्व पर बहुत ही शानदार भांगड़ा नृत्य की प्रस्तुतियां दी गई। इसके अलावा पंजाबी नृत्य ने तो विद्यालय के वातावरण को और भी आनंदमय कर दिया। स्कूल निदेशक धर्मराज खत्री ने कहा कि बैसाखी पर्व फसल और नए साल का जश्न मनाने का त्यौहार है। Kharkhoda News
हर साल 13 अप्रैल को मनाया जाता है जिसे देश के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले सभी धर्म के लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत देश विभिन्नताओं का देश है। यहा कई धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं और सभी धर्म के अपने-अपने त्यौहार हैं। बैसाखी है नाम वैशाख से बना है बैसाखी मुख्यतः कृषि पर्व है जिसे दूसरे नाम से खेती का प्रभाव भी कहा जाता है। यह पर्व किसान फसल काटने के बाद नए साल की खुशियों के रूप में मानते हैं। यह पर्व रबी की फसल के पकाने की खुशी का प्रतीक है। प्राचार्या उषा वत्स ने बताया कि हिंदुओं के लिए यह त्योहार नववर्ष की शुरुआत है। बैसाखी के पर्व की शुरुआत भारत के पंजाब प्रांत से हुई है और इसे रबी की फसल की कटाई शुरू होने की सफलता के रूप में मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा के अलावा उत्तर भारत में भी बैसाखी के पर्व का बहुत महत्व है।
इस दिन गेहूं, तिलहन, गन्ने आदि की फसल की कटाई शुरू होती है। उन्होंने बताया कि भांगड़ा बैसाखी त्योहार का लोक नृत्य है जिसे पारंपरिक रूप से फसल नृत्य कहा जाता है। नए साल और कटाई के मौसम के लिए , भारत के, पंजाब में कई हिस्सों में मेले आयोजित किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि इसी दिन यानी कि 13 अप्रैल 1699 को दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि शिक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी भाग लेते रहना चाहिए ताकि वे अपनी संस्कृति से जुड़े रहे। इस तरह के कार्यक्रमों में भाग लेने से ग्रामीण बच्चों में छिपी प्रतिभा निकलने का भी अवसर मिलता है। Kharkhoda News
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