जानिये, बैंंगन की खेती कब और कैसे की जाती है | Baigan Ki Kheti Kaise Karen

बैगन की खेती

दीपक त्यागी
सरसा। आज हम आपको बैगन की खेती, बैंगन की खेती करते समय कौन सी दवा का उपयोग करना चाहिए, बैगन की खेती कैसे करनी चाहिए, बैगन की खेती कब और किस समय करनी चाहिए इन्हीं सभी बारे में अवगत कराएंगे। बैगन सब्जी एक अति महत्वपूर्ण फसल है। भारत में लगभग सभी घरों में बैगन की सब्जी बनती है। अन्य सब्जियों की तुलना में इसका यातायात आसान है। इसमें विटामिन ए, बी, सी, कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज, लवण काफी मात्रा में पाए जाते हैं। बैगन का उपयोग मधुमेह बीमारी में किया जाता है इसकी वर्ष में कई फसल ली जा सकती है।

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मुख्य बिंदू

  • बैंगन की उत्पत्ति भारत और चीन के उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में मानी जाती है।
  • बैंगन को सभी प्रकार की जमीन पर उगाया जा सकता है।
  • अच्छी पैदावार भूमि, अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि अधिक उपयुक्त होती है।
  • बैंगन के पौधे की अच्छी वृद्धि के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5-6.0 के बीच होना चाहिए।

जानें बैगन की खेती के लिए उन्नत किसमे | Baigan Ki Kheti Kaise Karen

1. पूसा पर्पिल, पूसा पर्पिल लांग, पीएच-4, पूसा अनमोल, क्लस्टर, पन्नत बैगन, लम्बे फल वाली किसमे, पंजाब चमकिला, पन्त सम्राट इत्यादि।

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बैगन की खेती के लिए भूमि

  • बैंंगन की फसल कई महीनों तक जमीन पर खड़ी रहती है।
  • बैंगन की खेती करने के लिए जमीन की अच्छी तैयारी की आवश्यकता पड़ती है।
  • बैंगन की खेती करने के लिए मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए।
  • चार से पांच जुताई देशी हल से करना चाहिए, लेकिन पहली जुताई करने के बाद करनी चाहिए।
  • पाटा का उपयोग करके खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए।
  • समतल की गई भूमि में उचित आकार की क्यारिया बनानी चाहिए।
  • ऐसा करने से पौधो को दीमक और अन्य कीड़ों से बचाया जा सकता हे।

बैंगन की खेती की दवा (खाद उर्वरक)

बैगन की खेती की उचित पैदावार के लिए हमें खाद और उर्वरकों का समय पर उपयोग करना अति महत्वपूर्ण है। बैगन की अच्छी फसल के लिए निम्नलिखित मात्रा में प्रति हेक्टर खाद व उर्वरक देना चाहिए।

  • गोबर का खाद: 200-250 क्विंटल
  • नाइट्रोजन: 100 किलोग्राम
  • फास्फोरस: 50 किलोग्राम
  • पोटाश: 50 किलोग्राम

पशुओं के गोबर से बनी खाद तैयार करते समय रोपाई से 20-21 दिन पूर्व डालकर मिट्टी में अच्छी तरह से मिला दें।-नैटोजेम की आधी मात्रा व फास्फोरस व पोटाश की पूर्ण मात्रा पौधे रोपने से पूर्व आखिरी जुताई के समय मिट्टी में मिला दे।  शेष आधी नैटोजेम की मात्रा 2 बार में रोपाई के 30 व 60 दिन बाद डाले। ध्यान रहे कि उर्वरक पत्तियों पर न पड़े।

गर्मी में कैसे करें बैंगन की खेती

वैज्ञानिकों के अनुसार, बैगन की फसल ये अच्छी पैदावार लेने के लिए  इसे गर्म मौसम में लगाया जाता है।  ठंड के मौसम में कम तापमान होने के कारण फलों की  विकृति का कारण बन जाता है  आपको बता दें कि बैगन की नर्सरी में डालते समय 25 डिग्री से अधिक तापमान होना चाहिए। जिससे बीजों का अंकुरण अच्छा हो। अगर 15 डिग्री से  कम तापमान होगा तो पौधे पर फूल बनना बंद हो जाता है। अगर तापमान 18 डिग्री हो तो इसकी रोपाई नहीं करनी चाहिए। लम्बे फल वाली किस्मों की अपेछा गोल फल वाली किस्मे पाले के लिए सहनशील होती है व अधिक पाले के कारण पौध मर जाते हैं।

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बैगन की खेती कब की जाती है

  • बैगन की बुवाई साल में तीन बार की जाती है।
  • जुन, जुलाई, अक्तूबर, नवंबर, फरवरी, मार्च में बुवाई करने का सही समय है।
  • सितम्बर, अक्तूबर, फरवरी, मार्च, जुन, जुलाई में फल मिलाने का समय है।
  • 400-500 ग्राम बीज प्रति हेक्टर उचित होता है बैगन की खेती के लिए तथा उपज भी अधिक होती है।

बैंगन की खेती में सिंचाई

बैन की खेती के लिए सिंचाई भूमि की किस्म और मौसम पर निर्भर करता है। खरीफ की फसल में सिंचाई वर्षा पर निर्भर करती है। वर्षा का अधिक वितरन होने पर प्राय सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। आपको बता दें कि गर्मियों में 7 से 8 दिन के अंतर से व सर्दियों में 10 से 12 दिन के अंतर से सिंचाई करने की आवश्यकता होती है।

बैगन की खेती में होने वाली बीज का उत्पादन | Baigan Ki Kheti Kaise Karen

बैगन चीन के बाद भारत दूसरा ऐसा देश है जिसमें बैगन की फसल होती है।  बीज बनाने के लिए शरद कालीन फसल अच्छी मानी गई है। बैगन का बीज प्राप्त करने के लिए बैगन के स्वस्थ व  पुर्णरूप से पके फलो को तोड़ लेना चाहिए। एक हेक्टेयर बीज वाली फसल से 2 क्विंटल बीज पैदा हो जाता है।

बैगन की खेती का समय

वैज्ञानिकों के अनुसार, बैगन के पौधे को अप्रैल के महीने में नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि ये बरसात के दिनों में पौधों में कीड़े लग जाते हैं।

  • अगस्त और सितंबर में बैगन लगाए।
  • फरवरी में बंपर पैदावार होगी बैगन की फसल
  • बरसात का बैगन नहीं लगाना चाहिए।

बैगन की तुड़ाई  | Baigan Ki Kheti Kaise Karen

किसान के पास अगर मंडी है तो ऐसी स्थिति में बैगन की तुड़ाई सुबह करके मंडियों में बेच देनी चाहिए। परंतु यदि मंडी गांव से बहुत दूर है तो तुड़ाई सायं को कर देनी चाहिए। बैगन की तुड़ाई 3 दिन के अंतराल पर होनी चाहिए। क्योंकि देरे से तुड़ाई करने पर बैगन का रंग हल्के होने लग जाते हैं और मंडियों में इनकी कीमत बहुत कम होती है।

स्टोरेज कैंसे करें

बैगन के पौधे से बैगन की तुड़ाई के बाद सबसे पहले उनकी अच्छे से छंटाई कर लेनी चाहिए। इसके तुरंत बाद इन्हें दूर मंडियों में ले जाना हो तो इन्हें जूट की बोरियों में भरकर पानी से भिगा देना चाहिए। बैगन को कागज के मोटे कार्टून में भरकर पैक कर देना चाहिए।

पौधे की देखभाल 

बैगन के पौधे की देखभाल समय पर खरपतवार निकालते रहना चाहिए। इसके अलावा बैगन में हमेशा हल्की सिंचाई करनी चाहिए। क्योंकि अधिक सिंचाई करने से भी बैगन की फसल में रोग लग जाते है।

अच्छी किस्में

  • बैगन की खेती पुरे वर्ष होती है।
  • लेकिन सबसे उपयुक्त समय अगस्त, सितंबर है।
  •  फरवरी और मार्च में भी लगा सकते है।
  • बैगन के बीज, इंडो अमेरिकन, पूसा अनमोल, पूसा श्यामल आपको वैरायटी मिल जाएगी।
  • सेमिनीस, नामधारी, पूसा हाईब्रिड-6 इत्यादि आपको वैरायटी मिल जाएगी।
  • बैगन की खेती से पैसे कमाने के लिए हाइब्रिड खेती करनी चाहिए।
  • हाइब्रिड बैगन का बीज लगाने से इसमें रोग और कीट बहुत कम लगते है।
  • इस बीच से उत्पादन अधिक होता है।

सफेद मक्खी से कैसे बचा जाएं

यह बहुत छोटे-छोटे सफेद रंग के होते हैं। यह पत्तियां से रस तो चूसते हैं साथ ही वायरस भी फैलाते हैं। बैगन की फसल को बचाने के लिए रोगार 1.5 एमएल प्रति 15 लीटर पानी में घोल तैयार करके स्पे्र करना चाहिए।

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झुलसा रोग बैगन की खेती

बैगन की फसल को झुलसा रोग बचाने क लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले यह बात ध्यान में रखनी जरूरी है कि यह रोग सर्दी में लगता है जब तापमान बहुत कम हो। यह फफूंद के कारण होता है इसके प्रकोप से पत्तियां झुलस जाती है। इस रोग से बचने के लिए मेरिवान 10एमएल प्रति 15 लीटर पानी या लूना 15 एमएल लीटर साफ पानी में मिलाकर छिड़काव बैगन की फसल पर करना चाहिए।

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फल और तना छेदक बीमारी  

  • बैगन की फसल में यह सबसे खतरनाक बीमारी होती है।
  • यह एक इल्ली के कारण होती है।
  • यह बैगन की मुलायम टहनियों में छेद करती है।
  • उसके बाद जब फल लगते हैं तो उसमें भी छेद करती है।
  • इस बीमारी से बैगन की पैदावार पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • इससे बचने के लिए डेलिगेट 1एमएल दवा को 15 लीटर पानी या एके-57 प्रति 1 टंकी में घोल बनाकर स्पे्र करना चाहिए।

ठंड से कैसे बचाए

  • रात के समय सब्जी की फसलों को पॉलीथिन से ढक दे।
  • सुबह उन्हें हटा दें ताकि उनकी फसल ठीक रहे।
  • किसान ध्यान रखें कि सरकार ने भी इन फसलों को बढ़ावा देने की स्कीम चलाई है।

छोटे बैंगन बनाने की विधि 

बैगन की सब्जी बनाने के लिए सबसे पहले बैगन को पानी से अच्छे से धोना चाहिए। इसके बाद बैगन को नीचे की तरफ से 4 भागों में काट लें। अब गैस या चूल्हे पर कड़ाही को रखें और फिर इसमें दो बड़े चम्मच सरसों का तेल डालकर पहले अच्छे से गर्म करें। तेल गरम होने के बाद कड़ाही में पूरे बैगन को डालें व इसी में एक चौथाई छोटी हल्दी पाउडर, एक चौथाई छोटी चम्मच लाल मिर्च पाउडर, नमक स्वाद अनुसार डालकर मिलाए। इसके तुरंत बाद कड़ाही के ऊपर ढक्कन लगाकर बैगन को 3 से 4 मिनट तक मध्यम आंच पर पकाएं। इसके बाद बीच-बीच में इसे एक से दो बार चलाते रहें ताकि बैगन जले ना और चारों तरफ से अच्छे से फ्राई करें। बैगन को फ्राई करने के बाद इसे एक प्लेट में निकाल कर किनारे रखें। बैगन की खेती

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