पंचायती चुनावों की आहट के बाद गांव की चौपालों में सरपंची को लेकर चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं। चुनावों का समय निकट देखकर भावी सरपंचों ने लोगों से हालचाल पूछना शुरू कर दिया है। इसी बहाने लोगों की नब्ज टटोलने की भी कोशिश की जा रही है। अपने कार्यकाल में मौजूदा पंचायतों ने गांवों में क्या विकास करवाया और क्या अभी अधूरा है, इस पर सच-कहूँ अपने पाठकों को गांवों की विकास कार्यांे की ग्राउंड रिपोर्ट से अवगत करवा रहा है।
इसी के तहत हम आज आपको बडागुढ़ा खंड के गांव कर्मगढ़ में मौजूदा ग्राम पंचायत के कार्यकाल मेंं हुए विकास कार्यांे से रू-ब-रू करवा रहे हंै। इस गांव से वैसे तो कोई बड़ी शख्सियत या कोई उच्च पद पर नहीं है, लेकिन गांव में जब दान की बात आती है तो दानवीर शोभराज मैहता क ा नाम सामने आता है। यहां की सरपंच द्वारा अपने कार्यकाल में विकास पर करीब 2 करोड़ से अधिक राशि खर्च करने का दावा किया गया है। इसी पर सच-क हूँ संवाददाता राजू ओढां की एक खास रिपोर्ट :-
करीब 2 करोड़ रूपये की राशि गांव के विकास पर खर्च
गांव में बेसहारा पशुओं की समस्या व कर्मगढ़ रोड का निर्माण बड़ी उपलब्धि
सच कहूँ/राजू ओढां। बडागुढ़ा खंड का गांव कर्मगढ़ आबादी के लिहाज से भले ही छोटा-सा गांव है, लेकिन यहां विकास कार्यांे पर करोड़ों रूपये की राशि खर्च हुई है। इस गांव की शिक्षित बहु ने परिजनों के कहने पर सरपंच पद का चुनाव लड़ा था। सरपंच बनकर गांव की बागडोर संभालते हुए रानी देवी ने विकास पर करोड़ों रूपये खर्च कर गांव की सूरत बदलने का दम भरा। पूर्व पंचायत व मौजूदा पंचायत के बीच विकास कार्यांे की तुलना करने पर सामने आया कि मौजूदा पंचायत के समय में गांव विकास के पथ पर अग्रसर हुआ है। करीब 1800 की आबादी वाले इस गांव में पंचायत द्वारा अब तक करीब 2 करोड़ रूपये की राशि विकास पर खर्च किए जाने का दम भरा गया है।
गांव के विकास पर एक नजर
गांव की निकासी संबंधि समस्या को सरपंच ने प्राथमिकता से लेते हुए इस पर करीब 30 लाख रूपये की राशि खर्च की। जिसके बाद अब गांव की निकासी संबंंधि का स्थायी हल हो गया है। गांव का गंदा व बरसाती पानी गांव से बाहर पंचायती भूमि पर बनाए गए जोहड़ में जाता है। इस पानी को लोग सिंचाई के रूप में प्रयोग करते हैं। इसके अलावा पंचायत द्वारा बस स्टैंड के निर्माण पर करीब 5 लाख रूपये की राशि खर्च की गई है। इससे पूर्व बस स्टैंड के अभाव में लोग यहां गर्मी, सर्दी या बरसात में सड़क पर खड़े रहने को विवश होते थे। पंचायत द्वारा करीब 20 लाख रूपये की लागत से जल घर मेें एक नया टैंक व एक पुराने टैंक की मुरम्मत आदि का कार्य करवाया गया।
14 लाख से 2 प्राईमरी स्कूलों की चारदीवारी का करवाया निर्माण
करीब 14 लाख रूपये की लागत से गांव के 2 प्राईमरी स्कूलों की चारदीवारी का निर्माण, करीब 10 लाख रूपये की लागत से शिवपुरी में एक शैड, सड़क का निर्माण, बिजली, पानी व पौधरोपण, करीब 4 लाख रूपये की लागत से आंगनवाड़ी व दोनों स्कूलों में सोलर पैनल, करीब 10 लाख रूपये की लागत से जोहड़ से पंचायती भूमि में भूमिगत पाईप लाईन डालकर सिंचाई का प्रबंध, करीब 15 लाख से 4 इंटरलॉकिं ग गलियों का निर्माण, करीब 5 लाख रूपये से गोशाला में शैड व पानी का प्रबंध, करीब 18 लाख से पंचायत घर व मुख्य चौपाल में शैडों का निर्माण, करीब 2 लाख रूपये की लागत से पंचायत घर में एक कमरा व सड़क का निर्माण, करीब 35 लाख रूपये की फि रनी का कार्य करवाया गया। इसी प्रकार पंचायत द्वारा गांव में अन्य छोटे-मोटे विकास कार्य करवाए गए जिन पर लाखों रूपये की राशि खर्च हुई है।
गांव की बड़ी समस्या का हुआ हल
गांव में बेसहारा घूम रहे पशुओं की समस्या से पूरा गांव परेशान था। इस समस्या के चलते लोगों के आपसी भाईचारे पर भी विपरीत असर पड़ रहा था। मैंने सरपंच बनने के बाद लोगों को इस विषय पर एकत्र करते हुए सभी का सहयोग लिया। इसी के परिणामस्वरूप गांव में गोशाला की स्थापना हुई। जिसके बाद हमारे गांव की पशुओं संबंधि समस्या का न केवल स्थायी समाधान हो गया। अपितु गांव में पशुओं को लेकर झगड़े भी बंद हो गए। मैं अपने कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि इसे ही मानती हूं। इसके अलावा हमारी दौड़-धूप से मोड़ांवाली जाने वाले कच्चे रास्ते पर सड़क का निर्माण कार्य मुक्कमल हुआ। ये कार्य भी किसी उपलब्धि से कम नहीं है।
40 मकानों को मिली स्वीकृति
सरपंच के मुताबिक गांव में पंचायत ने सरकार की योजना के तहत 6 मकान बनवाए तथा 20 मकानों की मुरम्मत करवाई। इसके अलावा 40 जरू रतमंदों के मकानों का प्रस्ताव पारित कर भेज रखे हैं। ये मकान स्वीकृ त हो चुके हैं, लेकिन लॉकडाउन आदि के चलते अभी तक इनकी राशि जारी नहीं हुई है। इसके अलावा कुछ जरूरतमंद लोगों के बीपीएल कार्ड भी बनवाए गए।
मुझे स्कूल के अपग्रेड न होने का हमेशा रहेगा मलाल
सबसे पहले तो मैं ग्रामीणों की आभारी हूं कि उन्होंने मुझे गांव की बागडोर सौंपी। मैंने मैट्रिक तक की परीक्षा अपने मायके गांव ख्योवाली से ग्रहण की थी। मुझे सरपंच पद की कोई इच्छा नहीं थी। मेरा ध्यान पढ़ाई के दौरान खेलों पर काफी था। मेरा बचपन से ही सपना था कि मैं एक कुशल खिलाड़ी बनूं, लेकिन घरेलू मजबूरियोंं के चलते मेरा सपना अधूरा रह गया। परिजनों के कहने पर मैंने सरपंच पद का चुनाव लड़ा।
जिसमें मुझे लोगोंं ने मौका देते हुए गांव की सरपंच चुना। गांव में अब तक विकास कार्य पर करीब 2 करोड़ रूपये की राशि खर्च की जा चुकी है। मैंने अपने कार्यकाल में जितना हो पाया उतना विकास करवाने का प्रयास किया है। लेकिन मेरा स्कूल को अपग्रेड करवाने का सपना अधूरा रह गया। मैंने स्कूल को अपग्रेड करवाने के लिए काफी दौड़-धूप की थी लेकिन संभव नहीं हो पाया। मुझे स्कूल के अपग्रेड न होने का मलाल रहेगा। इसके अलावा गांंव में सामुदायिक भवन, वृद्धाश्रम व पार्क का नवीनीकरण करवाना व कुछ गलियों का निर्माण अभी बाकी है। मैंने गांव के विकास कार्य में प्रतिनिधि गोबिंद राम का अति सराहनीय सहयोग रहा।
-रानी देवी, सरपंच(कर्मगढ़)।
‘‘मैंने अपने कार्यकाल में यथासंभव विकास करवाया था। मैंने गांव के विकास पर करीब 50 लाख रूपये की राशि खर्च क ी थी। जिसमें आंगनवाड़ी, गलियां, पशु अस्पताल शामिल है। मौजूदा समय में पंचायत ने गांव में सराहनीय विकास करवाया है। गांव में कुछ गलियां व छोटे-मोटे कार्य अभी बाकी हैं। मैं विकास के मामले में मौजूदा पंचायत के प्रयासों की सराहना करता हूं।
-राजकुमार मैहता, पूर्व सरपंच
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