मंडी में नहीं पानी निकासी का ठोस प्रबंध, फसलों को पहुंचा नुकसान
- मूंगी की फसल भी हुई प्रभावित
- एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंंडी में प्रबंध अधूरे
जगरावां (जसवंत राए)। गत दिवस आए तेज तूफान व बारिश के कारण एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अनाज मंडी में खुले आसमान के नीचे पड़ी मक्की की 10 हजार के करीब बोरियों के नुक्सान होने का अंदाजा लगाया जा रहा है। बारिश के कारण जहां मूंग की दाल की फसल प्रभावित हुई वहीं धान की रोपाई ने भी तेजी पकड़ ली।
जानकारी देते हुए अनाज खरीद एसोसिएशन जगरावां के प्रधान कन्हैया लाल ने बताया कि जगरावां की मंडी का बहुत बुरा हाल है क्योंकि यहां न तो शैड सही हैं और न ही तरपालों की व्यवस्था, जिस कारण खुले आसमान के नीचे पड़ी किसानों की फसलों को भारी नुक्सान होता है।
मायूसी से घर वापिस लेकर गए फसल
उन्होंने बताया कि जब तेज आंधी आई तो मक्की पर पड़ी तरपालें उड़ गई और बारिश के कारण 10 हजार के करीब बोरियों का नुक्सान हो गया। उन्होेंने बताया कि यह मंडी व्यापारियों के लिए नहीं बनी, जहां कोई प्रबंध नहीं, जिस कारण किसानों सहित व्यापारियों का भी भारी नुक्सान होता है। मंडी में मक्की की फसल बहुत ज्यादा आने कारण सारी मंडी फसल के साथ भरी पड़ी है।
जगरावां की मंडी में जो किसान घर से मक्की और मूंग की दाल की सूखी फसल बेचने के लिए लेकर गए थे शाम के समय बारिश के साथ भीगी फसल को घर को बहुत मायूसी और उदास चेहरो के साथ ट्रालियों में लोड कर वापिस ले गए। किसान प्रितपाल सिंह ने बताया कि सोचा था कि आज मक्की की फसल बेचकर लोगों का कर्ज उतार देंगे, लेकिन उल्टा बारिश के साथ मक्की की फसल भीग कर खराब हो गई जिस के हजारों रुपए मिलने थे अब सैंकड़े भी मिलेंगे मुश्किल हो गए हैं।
पानी निकासी का कोई प्रबंध नहीं
मींह के पानी में मक्की की डूबी फसल को मजदूरों की मदद से बहार निकालते प्रितपाल सिंह ने बताया कि 100 क्विंटल के करीब मक्की की फसल बेचने प्रात:काल मंडी आए थे। बारिश के पानी ने सारी फसल का नुकसान कर दिया। उन्होंने कहा कि मार्केट समिति जगरावां द्वारा पानी की निकासी का कोई ठोस प्रबंध न होने के कारण मक्की की फसल का ज्यादा नुक्सान हुआ है।
किसान रुककर फसल लाएं: प्रधान कलेर
आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान सुरजीत सिंह कलेर ने कहा कि उन्होंने दो तीन दिन पहले भी किसान भाइयों से अपील की थी कि वह रुक-रूककर अपनी फसल लाएं, क्योंकि मंडी में फसल रखने की कोई जगह नहीं थी लेकिन किसानों ने अपील के ध्यान न दिया जिस कारण फसल का नुकसान ज्यादा हुआ है।
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