मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को भेजा पत्र
सरसा (सच कहूँ न्यूज)। पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ी श्रेणी के लोगों के लिए विभिन्न प्रकार के पदों के लिए आरक्षण दिलवाने को लेकर पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा के प्रदेशाध्यक्ष प्रो. आरसी लिंबा ने मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव हरियाणा को एक पत्र भेजा है। पत्र की कॉपी उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चैटाला, रणबीर सिंह गंगवा, उपाध्यक्ष, विधानसभा, मदन चौहान, प्रदेशाध्यक्ष, पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ, बीजेपी, चैयरमेन, हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग, चैयरमेन राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, नई दिल्ली, लोकेश प्रजापति उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, नई दिल्ली व सुधा यादव सदस्य, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, नई दिल्ली को भी प्रेषित की गई हैं। मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को भेजे पत्र में प्रो. लिंबा ने बताया कि हरियाणा राज्य में पंचायती राज एक्ट 1994 लागू होने के उपरांत, पंचायती राज संस्थाओं/स्थानीय निकायों के स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से चुनाव करवाने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग हरियाणा का गठन किया गया तथा प्रथम आम चुनाव 1994 इसी आयोग की देखरेख में संपन्न करवाए गए थे। एक्ट की धारा 9 के तहत ग्राम पंचायतों के सरपंचोंं-पंचों के पद बनाए गए। उनमें सरपंचों के 20 प्रतिशत पदों को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया था तथा इनमें से भी एक तिहाई अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। अनुसूचित जाति के लिए 20 प्रतिशत का प्रावधान इसलिए किया गया है क्योंकि मौजूदा समय में हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति की जनसंख्या का अनुपात 20 प्रतिशत के आस-पास है। इसके पश्चात जो 80 प्रतिशत सरपंचों के पद किसी भी खंड में या जिले में या पूरे प्रांत में शेष बचते हैं, वे अनारक्षित रखे गए हैं तथा इनमें भी 33 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं।
आगे जो ग्राम पंचायतों के वार्डों का अवधारण किया गया है प्रत्येक ग्राम पंचायत में अनुसूचित जाति के लिए उस ग्राम पंचायत में उतने ही वार्ड आरक्षित किए गए हैं जितनी कि उस ग्राम पंचायत में अनुसूचित जाति की जनसंख्या का अनुपात है। इनमें फिर वही 33 प्रतिशत पदों को अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। लिंबा ने कहा कि मौजूदा समय में जो पिछड़ी श्रेणी के लिए प्रावधान किया गया है, वह किसी भी ग्राम पंचायत में केवल एक वार्ड पिछड़ी श्रेणी के लिए आरक्षित किया है। बशर्ते कि उस ग्राम पंचापयत में पिछड़ी श्रेणी की कम से कम 2 प्रतिशत जनसंख्या हो। उन्होंने मांग की है कि तुरंत 1994 के एक्ट में संशोधन कर पिछड़ा वर्ग को आरक्षित सीटों पर चुनाव लडऩे का अधिकार दिया जाए।
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