चेहरे पर गजब का निखार… एक दम फिट और ज्यादा सुंदर नजर आते हैं Saint Msg

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बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। संत हमेशा सबका भला करने के लिए इस दुनिया में आते हैं। इस सृष्टि के सभी जीव,पशु, पक्षी, जानवर जो भी परमात्मा की औलाद हैं संतों उन्हें अपनी औलाद समझते हैं। संतों का एक ही उद्देश्य होता है सदीयों से बिछड़ी हुई रुहों को प्रभु से मिलवाना। संतों का मार्ग प्रेम का मार्ग होता है। वह अपनी मधुर वाणी से हर जीव का दुख दूर करते हैं और जन्म मरण के चक्कर से मुक्ति दिलवाने के लिए इंसान को राम नाम से जोड़ते हैं। संत पीर फकीर हर इंसान का भला करते हैं कभी अपने पाक वचनों से कभी आशीर्वाद से और कभी अपनी कृपा दृष्टि से। वह हमेशा अपने शिष्यों को रूहानी व दुनियावी रहमतों से मालामाल करते रहते हैं। वहीं पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां बरनावा आश्रम से आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से हर रोज रूहानी सत्संग फरमाते हैं और लाखों लोगों का नशा छुड़वाते हैं।

एक दम फिर नजर आते हैं गुरु जी

पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को लाइव देखने के बाद साध-संगत की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। लोग अपनी अपनी भाषा में पूज्य गुरू जी का धन्यवाद कर रहे हैं तथा अपनी अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं। पूज्य गुरू जी के यूट्यूब, फेसबुक एवं इंस्टाग्राम सहित वीडियोज पर लाखों लोगों ने अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं। पूज्य गुरू जी पहले से भी ज्यादा एक दम फिर और ज्यादा सुंदर नजर आते हैं। साध-संगत अपने सतगुरू का दर्श-दीदार करने के लिए सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती है। पता नहीं होता कि पूज्य गुरू जी किस प्लेटफार्म पर आकर दर्शन दे।

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संत इन्सान को सच से जोड़ते हैं : पूज्य गुरु जी

पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा (यूपी) से आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से फरमाया कि संत सच्चा कौन सा होता है? संतों का काम क्या होता है? संत किसलिए दुनिया में आते हैं? संतों का मकसद क्या होता है इस समाज में आने का, इस धरती पर आने का? संत-जिसके सच का कोई अन्त ना हो, सन्त-जो सच से जुड़ा हो, संत, जो सदा सबके भले की चर्चा करे, सन्त-जो सबकुछ त्याग कर सिर्फ और सिर्फ ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम की औलाद का भला करे, सन्त-जो सच्ची बात कहे, चाहे कड़वी लगे या मीठी लगे, सन्त-जो सच से जोड़ दे और सच क्या है, ये भी सन्त बताए, कि भाई ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम, गॉड, ख़ुदा, रब्ब सच था और सच ही रहेगा।

उसको छोड़कर चन्द्रमा, सूरज, नक्षत्र, ग्रह, पृथ्वी जितना भी कुछ नज़र आता है, जो कुछ भी आप देखते हैं सबने बदल जाना है और जो बदल जाता है, उसे सच नहीं कहा जा सकता। सच तो वो ही है जिसे एक बार सच कह दो तो हमेशा सच ही रहता है। तो सन्तों का काम सच से जोड़ना होता है। सन्त हमेशा सबका भला मांगते हैं। ‘‘सन्त ना छोड़े संतमयी, चाहे लाखों मिलें असन्त’’ सन्तों का काम सन्तमत पर चलना होता है, सबको बताना कि ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम, वो ओउम वो दाता आपके अन्दर है, उसको देखना चाहते हो तो आप भला करो, मालिक के नाम का जाप करो तो आपके अन्दर से ही वो नज़र आ जाएगा।

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