धारा 370 की  पसोपेश में भाजपा

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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लोक सभा चुनावों को लेकर हुई पठानकोट रैली में धारा 370 को हटाने का ब्यान एक बार फिरदिया है। यह वायदा भाजपा ने चुनावी मैनीफैस्टो में भी किया है। दरअसल यह मुद्दा अपने आप में जितना जटिल है उतना ही भाजपा के लिए दुविधा वाला भी है। भाजपा ने 2014 में बहुमत प्राप्त कर केन्द्र में सरकार बनाई। पूर्ण बहुमत होते हुए भी भाजपा ने गठबंधन सरकार चलाई परंतु पांच साल तक भाजपा धारा 370 के मुद्दे पर चुप रही और अब धड़ाधड़ बयान दे रही है। भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में भी गठबंधन उस पार्टी से किया, जो धारा 370 हटाने के सख्त खिलाफ है।

भाजपा-पीडीपी सरकार कार्यकाल पूरा किए बिना टूट गई तब भाजपा ने 370 धारा तोड़ने की घोषणा कर दी। जब भाजपा व केंद्र की मोदी सरकार यह मानती है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है तब फिर उक्त धारा हटाने में इतनी देरी क्यों? बयान केवल राजनीतिक नहीं बल्कि जमीनी भी होने चाहिए। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के अपने एजेंडे को लेकर बीजेपी ने ना पहली बार वादा किया है, ना नया कुछ कहा है तो फिर ऐसा क्या है कि अबकी बार कश्मीरी नेता इस पर आर-पार में जुटे हैं? विगत 5 साल में मोदी सरकार ने कश्मीर को लेकर नर्म और गर्म दोनों नीतियां अपनाई।

अकल्पनीय तौर पर पीडीपी के साथ जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने सरकार तक बना डाली। शुरूआती दिनों में पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने को लेकर सरकार एक कदम आगे, दो कदम पीछे करती दिखी। इन्हीं सब बातों के मद्देनजर 5 साल में बीजेपी पर कश्मीर के अपने ही एजेंडे से हटने का ऐसा आरोप भी लगा जिस पर वो कई दफा बगलें झांकती दिखी। भाजपा एक वर्ग विशेष के वोट बैंक को लुभाने के इस मुद्दे को बार-बार तूल दे रही है। जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियां भी भाजपा के इस बयान पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रही हैं। इसका लाभ केवल भाजपा को ही नहीं बल्कि कश्मीर की उन पार्टियों को भी होना है जो धारा 370 को बरकरार रखने की दुहाई देकर खुद को कश्मीरियों की हमदर्द बता रही हैं। इस बार अनंतनाग सीट पर मात्र 12 प्रतिशत ही वोटिंग हुई। वोटिंग प्रतिशत में गिरावट से यह समझने की आवश्यकता है कि कश्मीरियों का दिल जीतना है तब कुछ दीर्घकालीन एवं अच्छा विकास मॉडल देना होगा।

केवल धारा 370 हटाने से कश्मीर की समस्या का हल नहीं होगा। जब पूरा देश एक है तब कानून भी एक ही होना चाहिए, लेकिन पूरा देश यह जानना चाहता है कि आखिर कांग्रेस, यूपीए, एनडीए सरकार में भी धारा 370 क्यों नहीं हटाई जा सकी? मामला केवल कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों के विरोध का नहीं बल्कि संबंधित धारा के तकनीकी पहलू का भी है। चुनाव में तकनीकी पहलुओं का जिक्र ही नहीं किया जाता और नारेबाजी ज्यादा होती है। कांग्रेस व भाजपा दोनों पार्टियों को धारा 370 पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

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