संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित हो चुके जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर भारत में कई आतंकी हमलों को अंजाम दे चुका है। इसी वर्ष पुलवामा में आतंकी मसूद अजहर द्वारा प्रशिक्षित आतंकियों ने केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के काफिले पर बड़ा हमला करके भारत सरकार को चुनौती दी थी। इसकी जिम्मेदारी भी मसूद के संगठन जैश ने ली थी। मसूद 2001 में संसद पर हुए हमले का भी दोषी है। इसके अलावा जनवरी 2016 में जैश के आतंकियों ने पंजाब के पठानकोट एयरबेस और इसी साल सितंबर में उरी में सेना के मुख्यालय पर हमला किया था। भारत के लिये एक और बड़ी जीत यह भी है कि यह वही आतंकी है जिसे कन्धार विमान अपहरण मामले में छोड़ा गया था।
भारत में कई बड़े आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर आखिरकार अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित हो चुका है। विश्व जगत में इस कदम को भारत की बड़ी जीत और पाकिस्तान की बड़ी हार के रुप में देखा जा रहा है। यह सर्वविदित है कि पाकिस्तान की ढाल बने चीन ने कई बार यह भरपूर प्रयास किया कि आतंकी सरगना मसूद अजहर को अतंरराष्ट्रीय आतंकी घोषित नहीं किया जाए। इसके लिए चीन ने वीटो पॉवर का भी अनावश्यक उपयोग किया, लेकिन भारत की वैश्विक कूटनीति के चलते पाकिस्तान और चीन को आड़े हाथ लिया जाने लगा, तब चीन अपनी जिद से पीछे हट गया और संयुक्त राष्ट्र ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया। जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर के अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होते ही उस पर वे तमाम प्रतिबंध स्वत: ही लागू हो जाएंगे, जो एक आतंकी पर होते हैं।
पाकिस्तान में खुलेआम आतंकी प्रशिक्षण शिविरों का संचालन करने वाले मसूद अजहर को अब पाकिस्तान में भी प्रतिबंधित जीवन जीना होगा। लेकिन सवाल पाकिस्तान की नीयत का है कि वह मसूद अजहर के खिलाफ कितनी कठोरता से कार्यवाही करता है। वर्तमान पाकिस्तान सरकार के बारे में हमेशा यही कहा जाता है कि वह आतंकियों के सहयोग से बनी है। इस कारण पाकिस्तान की इमरान सरकार चाहते हुए भी कोई कार्यवाही नहीं कर सकती। हम जानते हैं कि ओसामा बिन लादेन और हाफिज सईद के बारे में भी पाकिस्तान वैसी कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं कर सका, जैसी विश्व के देशों द्वारा अपेक्षा की जा रही थी।
अब मसूद अजहर के बारे में भी पाकिस्तान की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि भारत में आतंकी घटना करवाने के बाद भी पाकिस्तान द्वारा उसे बचाने का प्रयास किया गया। हालांकि संयुक्त राष्ट्र के इस निर्णय के बाद पाकिस्तान ने भी जैश-ए-मोहम्मद सरगना अजहर पर सख्ती की बात कही है, जिस चीन के कारण वह बचा हुआ था, उसने भी निर्णय से पहले यह संकेत दे दिए थे कि वह इस बार मसूद का नाम प्रतिबंधित सूची में शामिल करवाने की कोशिशों में रोड़ा नहीं बनेगा। इससे पहले चीन ने चार बार भारत की कोशिशों को तकनीकी कारण बताकर रोका था। चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य है। मसूद अजहर द्वारा जिस ताजा हमले की साजिश रची गई, वह पुलवामा फिदायीन हमला है। यह सही है कि संयुक्त राष्ट्र ने किसी एक हमले के आधार पर उसे वैश्विक आतंकी घोषित नहीं किया। संयुक्त राष्ट्र समिति ने अजहर को अलकायदा के साथ संबंधों, आतंकी हमले की साजिश, उसके लिए फंड मुहैया व हथियार आपूर्ति करने, आतंकियों की भर्ती और आतंकी गतिविधियों से जुड़े रहने के चलते वैश्विक आतंकी घोषित किया।
उधर पाकिस्तान ने आतंकी मसूद अजहर के अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने पर कहा है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा लगाए गए प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से लागू किए जाएंगे। अब वह न तो विदेश यात्रा कर पाएगा और न ही हथियारों की आपूर्ति कर पाएगा। जैश-ए-मोहम्मद सरगना अजहर मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करवाने के लिए भारत ने अब तक चार बार प्रयास किए और उसे चौथी बार के प्रयास में सफलता हाथ लगी है। इससे यही प्रमाणित होता है कि पूर्व के प्रयासों में भारत उतनी वजनदारी नहीं दिखा पाया, जितना दिखाना चाहिए था। पहली बार मनमोहन सरकार ने मुंबई हमले के बाद 2009 में अजहर मसूद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पेश किया। दूसरी बार 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद मोदी सरकार ने इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र में पेश किया। तीसरी बार 2017 में उड़ी में सेना के कैंप में हमले के बाद ये प्रस्ताव पेश किया गया। चौथी बार पुलवामा हमले के बाद पेश किया गया।
आतंकी मसूद अजहर अपने द्वारा प्रशिक्षित आतंकियों के माध्यम से भारत में 25 साल में 20 से ज्यादा बड़े आतंकी हमले कर चुका है। केवल इतना ही नहीं वह अपने मदरसों और आतंकी प्रशिक्षण शिविरों में भी भारत के विरोध में जहरीली भाषा का उपयोग करता रहा है। इसलिए वह भारत के लिए मोस्ट वांटेड की सूची में है। अब पाकिस्तान को उसके विरोध में उचित कार्यवाही करनी ही है तो वह भारत में उसके द्वारा किए गए हमलों में अपराधी मानकर उसे भारत के हवाले करना चाहिए और आतंकी हमलों पर उसे सजा दिलवाने का प्रयास भी करना चाहिए। नहीं तो यही समझा जाएगा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के अंतर्गत पाकिस्तान आतंकी मसूद अजहर के विरोध में ठोस कार्यवाही करने की मानसिकता में नहीं है।
सुरेश हिन्दुस्थानी
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