जयपुर (सच कहूँ न्यूज़)। जोरावर सिंह गेट स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (डीयू) (National Institute of Ayurveda) ओर जेएनयू कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में गुरूवार को एनआईए में एक विशेष सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में ऑन्कोलॉजी के विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम में मुख्य वक्ताओं ने कैंसर निदान, उपचार एवं रोकथाम के आधुनिक तरीकों से जुड़ी जानकारी दी। Jaipur News
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के प्रतिकुलपति प्रो. पी. हेमंता ने कैंसर और आयुर्वेद विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा कैंसर प्रबंधन में एक प्रभावी सहायक भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की समग्र चिकित्सा पद्धति, जिसमें आहार, दिनचर्या, पंचकर्म, शल्यकर्म और आयुर्वेदिक औषधीयों का उपयोग शामिल है, जो कैंसर रोगियों की जीवन गुणवत्ता में सुधार कर सकती है और उपचार के दुष्प्रभावों को कम करने में सहायक हो सकती है।
प्रो. हेमंता ने बताया कि आधुनिक चिकित्सा के साथ आयुर्वेद का समन्वय कर इंटीग्रेटिव ऑनकोलॉजी (समग्र कैंसर चिकित्सा) को विकसित किया जा सकता है, जिससे रोगियों को बेहतर उपचार मिल सके। उन्होंने जेएनयू कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र के इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम चिकित्सा जगत में नए विचारों और शोध के द्वार खोलते हैं, जिससे भविष्य में कैंसर के अधिक प्रभावी इलाज की संभावनाएं बन सकती हैं।
जेएनयू कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र जयपुर से कार्यशाला में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में नवीनतम प्रगति पर डॉ. संदीप जैन, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के आधुनिक दृष्टिकोण पर डॉ. मनीष कौशिक, वरिष्ठ परामर्शदाता, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, मेडिकल ऑन्कोलॉजी और कीमोथेरेपी में नवाचार पर डॉ. सुभाष चंद बैरवा, वरिष्ठ परामर्शदाता, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम एवं जागरूकता विषय पर डॉ. मीना नाइक, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, प्रसूति एवं स्त्री रोग, कैंसर निदान और स्टेजिंग में पीईटी-सीटी की भूमिका पर डॉ. हिमांशु बंसल, वरिष्ठ परामर्शदाता, न्यूक्लियर मेडिसिन समग्र चिकित्सा (इंटीग्रेटिव मेडिसिन) की दृष्टि और जेएनयू की सुविधाएं के विषय मे ब्रिगेडियर (डॉ.) एस.बी. महाजन (निदेशक) ने जानकारी दी।
डॉ. शरद पोर्ट एवं डॉ. सर्वेश अग्रवाल ने संस्थान में कैंसर रोग के उपचार एवं शोध कार्यो की जानकारी देते हुए कार्यशाला में उपस्थित सभी चिकित्सा विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं से आग्रह किया कि वे आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा के बीच सामंजस्य स्थापित करें, ताकि कैंसर के उपचार में अधिक प्रभावी और समग्र समाधान विकसित किए जा सकें।
कार्यक्रम के दौरान कैंसर से संबंधित नवीनतम उपचार तकनीकों पर विस्तार से चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने कैंसर रोगियों की बेहतर देखभाल और इलाज हेतु आधुनिक शोधों एवं तकनीकों के उपयोग पर बल दिया। एकदिवसिय कार्यशाला में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के चिकित्सक, शोधार्द्यी और विद्यार्थी उपस्थित रहे, जिन्होंने ऑन्कोलॉजी से संबंधित नवीनतम जानकारियों का लाभ उठाया। Jaipur News
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