Live: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: राम मंदिर विवादित जगह पर ही बनेगा

ayodhya ram mandir ka faisla Sach Kahoon

अयोध्या मामला : 500 साल पुराने विवाद का अंत (Ayodhya Ram Mandir Ka Faisla)

  • अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ (Ram Mandir in Ayodhya)
  • राम मंदिर का निर्माण का जिम्मा सरकार ट्रस्ट को दे
  • मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन (5 acres of land) दी जाएगी
  • मुस्लिमों को दूसरी जगह देने का आदेश
  • 1949 में दो मुर्तियां रखी गई: सुप्रीम कोर्ट
  • बाबर के दौर मस्जिद बनाई गई थी

 नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) ने पांच सौ साल से अधिक पुराने अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद का आज पटाक्षेप करते हुए विवादित भूमि श्रीराम जन्मभूमि (Ram Janma Bhoomi) न्यास को सौंपने और सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए अयोध्या में ही उचित स्थान पर पांच एकड़ भूमि देने का निर्णय सुनाया। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित भूमि श्रीराम जन्मभूमि न्यास को दी जायेगी तथा सुन्नी वक्फ को बोर्ड अयोध्या में ही पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन उपलब्ध करायी जाये।

  • गर्भगृह और मंदिर परिसर का बाहरी इलाका राम जन्मभूमि न्यास को सौंपा जाये। (Ram Janam Bhoomi Samachar)
  • पीठ ने कहा है कि विवादित स्थल पर रामलला के जन्म के पर्याप्त साक्ष्य हैं
  • और अयोध्या में भगवान राम का जन्म हिन्दुओं की आस्था का मामला है और इस पर कोई विवाद नहीं है।

जय श्री राम के नारों से गूंजा अदालत परिसर

Ayodhya Ram Mandir Ka Faisla: अयोध्या भूमि विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला आते ही अदालत परिसर में मौजूद राम मंदिर समर्थकों के बीच उत्साह की लहर दौड़ गयी और उन्होंने ‘जय राम’ का उद्घोष कर प्रसन्नता व्यक्त की। अदालत ने विवादित जमीन पर राम मंदिर के निर्माण और मस्जिद निर्माण के लिए अलग से पांच एकड़ भूमि आवंटित करने का आदेश दिया। इससे यहां मौजूद मंदिर समर्थकों में उत्साह की लहर दौड़ गई।

जय श्री राम के नारों (Jai Shri Ram Slogan) से गूंजा अदालत परिसर

अयोध्या भूमि (Ram Mandir Ayodhya ka Samachar) विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला आते ही अदालत परिसर में मौजूद राम मंदिर समर्थकों के बीच उत्साह की लहर दौड़ गयी और उन्होंने ‘जय राम’ का उद्घोष कर प्रसन्नता व्यक्त की। अदालत ने विवादित जमीन पर राम मंदिर के निर्माण और मस्जिद निर्माण के लिए अलग से पांच एकड़ भूमि आवंटित करने का आदेश दिया। इससे यहां मौजूद मंदिर समर्थकों में उत्साह की लहर दौड़ गई।

इस विवाद में 206 साल के बाद फैसला आया

  • फैसले में कहा गया है कि निमोर्ही अखाड़े को केन्द्र सरकार द्वारा मंदिर (Ram Temple in Ayodhya) के निर्माण के लिए बनाए जाने वाले न्यास में प्रतिनिधित्व मिलेगा।
  • पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि 2.77 एकड़ की समूची विवादित भूमि राममंदिर निर्माण के लिए दी जाएगी।
  • पिछले पांच सौ वर्षों से चले आ रहे इस विवाद में 206 साल के बाद फैसला आया है।
  • विवादित स्थल पर हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों में मालिकाना हक का विवाद 1813 में शुरू हुआ था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court Latest News in Hindi) की लखनऊ खंडपीठ ने 30 सितम्बर 2010 को अयोध्या में विवादित जमीन को रामलला विराजमान, निमोर्ही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बांटने का फैसला किया, जिसके खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 विशेष अनुमति याचिकाएं दायर की गयीं। शीर्ष अदालत ने इस मामले की सुनवाई मध्यस्थता की कोशिशों के विफल होने के बाद शुरू की थी। इससे पहले शीर्ष अदालत ने मध्यस्थता के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला के नेतृत्व में तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल का गठन किया था।

 पक्षों को अपनी-अपनी बात रखने के लिए पर्याप्त अवसर दिए

मध्यस्थता की कोशिश विफल होने के बाद संविधान पीठ ने गत सितम्बर में इसकी सुनवाई शुरू की थी और लगातार 40 दिन की सुनवाई के बाद गत 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। संविधान पीठ ने सुनवाई में सभी पक्षों को अपनी-अपनी बात रखने के लिए पर्याप्त अवसर दिए। भारतीय राजनीति पर दशकों से छाए इस विवाद की सुनवाई के दौरान राम जन्मभूमि पर अपने दावे के पक्ष में जहां रामलला विराजमान, निमोर्ही अखाड़ा, आॅल इंडिया हिन्दू महासभा, जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति एवं गोपाल सिंह विशारद ने दलीलें दी, वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड (Sunni Waqf Board), हासिम अंसारी (मृत), मोहम्मद सिद्दिकी, मौलाना मेहफुजुरहमान, फारुख अहमद (मृत) और मिसबाहुद्दीन ने विवादित स्थल पर बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक का दावा किया।

 

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