बरनावा (सच कहूँ न्यूज) । पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने हार्ट-टू-हार्ट एमएसजी पार्ट-14 में फरमाया कि खानपान में भी थोड़ा बदलाव ला सकते हैं। बहुत ज्यादा तेज मसाले हैं, तली हुई चीजें हैं, वो भी कारण बनती हैं कई बार। आपके अंदर गैस है या आपके अंदर तेजाब बना गया तो वो आपको परेशान करेगा। क्योंकि अंदर बना हुआ तेजाब, गैस दिमाग को भी चढ़ता है, आम भाषा में कहा जाता है। तो उसमें आप परेशान रहते हैं, दु:खी रहते हैं। तो फिर सुख कहां से आएगा? चाहता तो हर आदमी है यहां, कि मैं सुखी रहूँ। अब छोटे बच्चों को ले लो, जरा-जरा सी बात पर टैंशन ले लेते हैं। दोस्त बन गया तो भी टैंशन कि कहीं रूठ ना जाए और रूठ गया तो टैंशन नेचुरली है कि भई वो रूठ क्यों गया?
दूसरों को सुखी देखकर मालिक से खुद के लिए भी मांगें सुख
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि तीसरा किसी को भी सुखी देखकर आप ये तो सोच सकते हो कि यार मैं मेहनत करूँगा, राम जी तू कृपा करना, मैं भी ऐसा सुखी हो जाऊं। पर आप ये मत सोचा करो कि यार ये सुखी क्यों है? आज ज्यादातर लोग दुखी इसी बात से हैं कि दूसरा सुखी क्यों हैं? इस बात से नहीं कि मैं सुखी नहीं हूँ। तो आप ये सोचें कि वो खुश है, वो सुख में है, सुखमय जीवन व्यतीत कर रहा है तो मैं भी ऐसी हिम्मत करूँ। वो भी इन्सान है, मैं भी इन्सान हूँ। अगर मैं हिम्मत करूंगा तो मैं भी सुखी हो जाऊंगा। मैं भी उस पदवी पर पहुंच जाऊंगा, मैं भी उस मंजिल को पा लूंगा जो उसने पाई है। तो ये अपने विचारों को बदलना है और ये सारी तारें आकर जुड़ जाती हैं आत्मबल पर। आत्मबल होना चाहिए। आपकी सोच को पॉजीटिव करने के लिए बात घूमकर वहीं आ गई कि राम का नाम जरूरी है।
जो आपके दिमाग में एक शक्ति भर देता है, एक ताकत भर देता है, जिससे आप पॉजीटिव सोचते हैं, पॉजीटिव देखते हैं और नेगेटिव कोई भी चीज आती है, उसको इग्नोर कर देते हैं। हम ये नहीं कहते कि टोटल इग्नोर कर दीजिये, क्योंकि अगर आपको कुछ गलत लगता है तो उसे सुधारने की कोशिश करना, ये जरूरी है। तो अंदर की खुशी पाना चाहते हो, आत्मिक शांति, वो तो प्रभु के नाम के सिवाय और कहीं से मिलती नहीं। लेकिन बाहर से भी खुश रहना चाहते हो और अंदर से भी खुश तो भी प्रभु का नाम ही पहले नंबर पर है।
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