क्या आप तनाव में होने पर या मूड खराब होने पर खर्चा करते हैं? क्या आप अक्सर अपने पैसे उन चीजों पर भी खर्च करते हैं, जिनकी आपको वास्तव में कोई जरूरत नहीं है? क्या आप अपनी कमाई से ज्यादा खर्च करती हैं और इसके लिए उधार लेने से भी नहीं झिझकतीं? क्या जब भी आप अकेली होते हैं तो आरामदेह भोजन करना, चॉकलेट खाना या फिर शॉपिंग करके आपको अच्छा महसूस होता है? अगर इन सभी सवालों के जवाब हां है तो हो सकता है कि आप इमोशनल स्पेंडिंग हैं। भावनात्मक खर्च एक ऐसा शब्द है, जिसके बारे में बहुत से लोगों को पता ही नहीं होता और इसलिए वह अपनी मेहनत की कमाई को यूं ही बर्बाद करते रहते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको इमोशनल स्पेंडिंग, उसके नकारात्मक प्रभाव और उससे निपटने के उपायों के बारे में बता रहे हैं-
क्या है भावनात्मक खर्च
भावनात्मक खर्च उसे कहा जाता है, जब आप अपने मूड को बेहतर बनाने के लिए पैसे खर्च करते हैं, आप उस सामान पर खर्च करते हैं जिसकी आपको वास्तव में जरूरत नहीं है, बस आप उसे खरीदाना चाहते हैं। दूसरों शब्दों में, आप बोरियत, तनाव, कम आत्मसम्मान की भावना या नाखुशी के कारण खुद को संतुष्ट करने के लिए खर्च करने का रास्ता चुनते हैं। इस तरह वह अपनी भावनाओं व खराब मूड से उबरने के लिए पैसे का सहारा लेते हैं। आपने इमोशनल ईटिंग के बारे में अवश्य सुना होगा। यह काफी हद तक वैसे ही है। लेकिन इमोशनल ईटिंग में जहां व्यक्ति खुद को खुशी देने के लिए भोजन करने का रास्ता चुनता है, वहीं इसमें वह शॉपिंग करना या खर्चा करना अधिक पसंद करता है।
ऐसे निपटें इस समस्या से:
इमोशनल स्पेंडिंग की समस्या से निपटना यकीनन आपके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है। लेकिन कुछ उपायों को अपनाकर और सतत् प्रयास के जरिए आप अपनी इस आदत पर जीत हासिल कर सकते हैं।
सबसे पहले आप अलग-अलग चीजों के लिए एक बजट तय करें। मसलन, आप हर महीने बर्थडे व अन्य सेलिब्रेशन के लिए एक बजट तय कर सकते हैं। कई बार हमें पता ही नहीं चलता और हमारे इतने पैसे खर्च हो जाते हैं कि आखिरकार जेब खाली हो जाती है। इसलिए, बजट बनाकर आप इस समस्या से बच सकते हैं।
जिस तरह आप अपने खर्चों का बजट बनाते हैं, ठीक उसी तरह सेविंग्स का भी एक बजट बनाएं। मसलन, आप एक निश्चित रकम तय करें, जो आप हर माह बचाएंगी। हर महीने सैलरी आने पर आप पहले उस बचत को निकालकर एक तरफ रख दें। इसके बाद जब आपके पास सीमित पैसे होंगे तो आप उसी के अनुसार खर्च करेंगी। इससे आपको अपने भावनात्मक खर्च की आदत पर भी नियंत्रण करने में मदद मिलेगी|
इसके अलावा, अगर आप खुद को खुश करने के लिए खर्च करने का रास्ता अपनाते हैं तो बेहतर होगा कि अब आप इसकी जगह दूसरे रास्ते ढूंढें। कुछ महिलाएं अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए और बेहतर महसूस करने के लिए चीजें खरीद लेती हैं। हालाँकि, यह लंबे समय तक नहीं चलने वाला है। भावनात्मक खर्च वास्तव में अकेलेपन से निपटने में मदद नहीं करता है, बल्कि जब आप फाइनेंशियल प्रॉब्लम्स से गुजरेंगे तो इससे आपको अपराधबोध होगा। इसलिए, बेहतर महसूस करने के लिए आप वह करें जो वास्तव में आपको खुशी दें। आप बागवानी कर सकते हैं, पेंटिंग कर सकते हैं, एक कप कॉफी पी सकते हैं, अपनी पसंदीदा किताब पढ़ सकते हैं या फिर अपनों के साथ समय बिता सकते हैं। ऐसा बहुत कुछ है जो आपको वास्तविक खुशी प्रदान करेगा।
अगर आपको भावनात्मक खर्च करने की आदत है, तो ऐसे में आपको एक बैलेंस शीट बनाने की आदत डालनी चाहिए। इससे आपके लिए खुद के लिए बजट बनाना और उस पर टिके रहना अधिक आसान हो जाता है। याद रखें कि कभी-कभार अपने लिए अच्छी चीजें खरीदना गलत नहीं है बशर्ते आप इसे वहन कर सकें और इससे आपके वित्त को नुकसान नहीं होगा।
इसके अलावा, जब भी आप ऑनलाइन शॉपिंग कर रही हों या फिर डिपार्टमेंट स्टोर में हो, एकदम से भावनात्मक होकर शॉपिंग ना करें। बल्कि किसी भी चीज को बास्केट में एड करने से पहले खुद से एक बार यह जरूर पूछें कि क्या आपको सच में इसकी जरूरत है और फिर उसके बाद भी कुछ भी खरीदें।
भावनात्मक खर्च से बचने के लिए ट्रिगर्स से बचने का प्रयास करें। मसलन, अगर आप खाली वक्त में ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर विजिट करती हैं तो यकीनन आपको कुछ ना कुछ खरीदने का मन करेगा और आपके लिए खुद पर नियंत्रण रखना मुश्किल होगा। इसलिए, आप अपना खाली वक्त इन साइट्स पर बिताने की जगह पार्क में टहलने जाएं या फिर दोस्तों से बात करें या फिर कुछ लिखें।
भावनात्मक खर्च पर काबू पाने के लिए आपको खुद की जवाबदेही तय करनी होगी। मसलन, आपको अपनी वित्तीय प्राथमिकताओं को लिखने की आदत डालनी चाहिए ताकि हर बार जब आप कुछ अनियोजित खरीदने का मन बनाएं तो आप इसे पढ़ सकें। उसके बाद आपके लिए इस पर काबू पाना आसान हो जाएगा।
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