lockdown News: कोरोना के समय आज ही के दिन लगा था जनता कर्फ्यू, फिर लॉकडाउन

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lockdown News: कोरोना के समय आज ही के दिन लगा था जनता कर्फ्यू, फिर लॉकडाउन

lockdown News: गुरुग्राम, संजय कुमार मेहरा। कोरोना महामारी को हराकर दुनिया धीरे-धीरे आगे बढ़ी है। बीमार लोगों से भरे अस्पताल, डेड बॉडी से भरे शमशान घाट और ना जाने कैसे-कैसे लोगों ने उस दौरान में दिक्कतें झेलीं। अपने बचाव के लिए एक-दूसरे से दूर रहना ही एक विकल्प था। उस दौर में चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों ने जो हिम्मत दिखाई, उन्हें हम सबका सेल्यूट है। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के कारण 22 मार्च को 14 घंटे के लिए जनता कर्फ्यू लगा था। इसी दिन शाम के 5 बजे सभी नागरिकों को अपने दरवाजे, बालकनियों या खिड़कियों पर खड़े होकर आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों के प्रोत्साहन के लिए ताली, थाली या घंटी बजाने को कहा गया था। पूरे देश में ताली, थाली और घंटी बजाई। महामारी बढ़ी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को 21 दिन के लिए देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी। हालांकि हरियाणा में इसी महीने यानी 4 मार्च 2020 को कोरोना का पहला केस आया था।

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कोरोना संक्रमित पहला मरीज गुरुग्राम में ही आया था। गुरुग्राम की रहने वाली 26 वर्षीय महिला है मलेशिया और इंडोनेशिया से लौटी थी। उसे खांसी और छींक आने के कुछ लक्षण थे। उसने विभाग को सूचित किया और खुद को अपने घर में क्वारंटीन कर लिया। उसमें कोरोना वायरस की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य ने उसे आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया। साथ ही उसके परिवार के सभी सदस्यों और उसके आसपास रहने वाले अन्य लोगों को भी क्वारंटीन कर दिया गया। इस तरह से कोरोना का भय यहां पर बढ़ता गया। कोरोना महामारी ने देश के अन्य शहरों, गांवों की तरह खूब उतार-चढ़ाव देखे। सभी ने हिम्मत करके कोरोना को हराया। कोरोना को हराकर आगे बढ़ते हुए आज सब मुख्यधारा में आकर काम कर रहे हैं। अपने गुरुग्राम की तरक्की में अपने-अपने हिसाब से सहयोग दे रहे हैं। कोई भी कोरोना जैसी महामारी का दौर फिर से नहीं देखना चाहता। क्योंकि ऐसा समय इंसान ही नहीं पशु-पक्षियों और प्रकृति पर खतरा ही है।

गरीबों के लिए अभिशाप बन गई थी कोरोना महामारी | lockdown News

कोरोना महामारी से पूरी दुनिया में आपातकाल स्थिति पैदा हो गई थी। एक तरफ तो देश में लोग बेरोजगारी से जूझ रहे थे, दूसरी तरफ कोरोना वायरस के कारण लोगों का रोजगार बंद हो गया था। लेबर तबके को बहुत अधिक कोरोना ने प्रभावित किया। काम धंधे बंद होने के कारण बाहरी प्रदेशों से आकर यहां रह रहे लोग पलायन करने को मजबूर हुए। जहां से वे अब तक रोजगार करके पेट पाल रहे थे, उसी जगह पर उन्हें अपने जीवन की समाप्ति नजर आ रही थी। जीवन बचाने के लिए लोग अपने परिवारों के साथ पैदल ही अपने राज्यों में चल दिए। वह तस्वीर कोई नहीं देखना चाहेगा, जो तस्वीर हमने कोरोना महामारी के समय में देखी। हालांकि लोगों का पेट भरने के लिए धार्मिक, सामाजिक संस्थाओं ने दिल खोलकर दान भी दिया। राहगिरों को भोजन कराया। उन्हें कपड़े, जूते, चप्पलें भेंट की। पंछियों का जीवन बचाने के लिए उन्हें दाना-चोगा की व्यवस्था की गई।

नवकल्प ने इंसानों के साथ पंछियों को भी संभाला

गुरुग्राम की अग्रणी संस्था नवकल्प फाउंडेशन ने कोरोना महामारी के समय फ्रंटलाइन में आकर काम किया। इंसानों के साथ पंछियों को भी संस्था ने संभाला। प्रभावित लोगों को भोजन, पानी के साथ अलावा पैदल जाने वालों को चप्पलें, जूते पहनाने में नवकल्प ने सक्रियता से काम किया। शहरी क्षेत्र से लेकर शहरी के बाहर से गुजर रहे कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे तक जाकर नवकल्प फाउंडेशन के संस्थापक अनिल आर्य व सुनील आर्य की टीम ने राहगिरों के पांवों के छाले देखे। उन्हें जूते, चप्पलें पहनाकर, भोजन कराकर उनके जीवन में मंगल और सफर मंगलमय होने की कामना की। इसी के साथ नवकल्प फाउंडेशन की ओर से पंछियों का जीवन बचाने पर भी काम शुरू किया। नवकल्प ने दाना-पानी घोंसले तैयार कराकर सोसायटियों, पार्कों, सडकों किनारे पेड़ों पर लगाने का काम किया। वहां से दाना-पानी ग्रहण करके पंछियों का जीवन बचा। उसके बाद से यह कार्य नवकल्प फाउंडेशन हर साल गर्मी के मौसम में इस कार्य को करती आ रही है। जनसेवा के लिए नवकल्प फाउंडेशन समेत और भी अनेक संस्थाओं ने भी कोरोना महामारी में काम किया। किसी ने भोजन तो किसी ने राशन बांटा।

सेवा करते-करते खुद भी संक्रमित हुए थे विधायक सुधीर सिंगला

गुरुग्राम के तत्कालीन विधायक सुधीर सिंगला ने भी कोरोना महामारी में सक्रियता से काम करते हुए स्वयंसेवी संस्थाओं, सरकारी कर्मचारियों, पुलिस कर्मचारियों का हौंसला बढ़ाया। वे रात-रातभर पुलिस नाकों पर पुलिसकर्मियों को चाय, बिस्किट वितरित करते नजर आते थे। खुद भी कोरोना से संक्रमित होने के बाद जैसे ही वे ठीक हुए तो फिर से लोगों की सेवा में खड़े नजर आए। उन्हें देखकर सभी में हिम्मत बढ़ती थी और लोग उनसे प्रेरित होकर काम करते थे।

कोरोना जैसी महामारी फिर कभी ना आए: पूनम सहराय

यहां सेक्टर-10 नागरिक अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग आॅफिसर पूनम सहराय सरकारी अस्पताल में सबसे पहले कोरोना संक्रमित हुई थीं। उनकी ड्यूटी आइसोलेशन वार्ड में लगी थी। कोरोना संक्रमितों का इलाज करते-करते वे भी कोरोना की चपेट में आईं। उन्हें उपचार के लिए सेक्टर-9ए स्थित ईएसआई अस्पताल में भर्ती किया गया। उनके बाद संक्रमित हुई अन्य नर्सिंग आॅफिसर को भी वहीं पर भर्ती कराया गया। कोरोना को हराकर वे जब फिर से ड्यूटी पर लौटीं तो पहले से भी अधिक ऊर्जा के साथ उन्होंने काम किया। कोरोना वॉरियर बनकर उन्होंने मरीजों की सेवा शुरू की। नर्सिंग आॅफिसर पूनम सहराय का कहना है कि हर किसी को अपने प्रोफेशन के साथ न्याय करना चाहिए। जिस तरह की सेवा का भी हमें अवसर मिला है, उसमें 100 प्रतिशत हमें काम करना चाहिए। नर्सिंग प्रोफेशन सेवा का सबसे बड़ा माध्यम है। हमारी आजीविका भी चलती है और हम सेवा भी करते हैं। इसलिए उन्हें अपने प्रोफेशन पर सदा गर्व महसूस होता है। उनका यह भी कहना है कि कोरोना ही नहीं, कोई भी महामारी कभी नहीं आनी चाहिए। इससे देश आर्थिक रूप से भी कमजोर होता है और उभरने में समय लगता है। हम सब ने हिम्मत करके कोरोना को हराया। किसी ने तनाव झेला तो किसी ने एक-दूसरे का तनाव कम करने का काम किया।