एस्ट्रोटर्फ मैदान है खराब, ऐसे कैसे तैयार होंगे हॉकी के जादूगर

Gururam

कांग्रेस शासन में खेल मंत्री सुखबीर कटारिया के दावे भी खोखले रहे

  • एस्ट्रोटर्फ के सुधार को अभी तक नहीं उठाए गये हैं कोई ठोस कदम

  • वर्ष 2003 में बिछाया गया था हॉकी मैदान में यह एस्ट्रोटर्फ

सच कहूँ/संजय मेहरा, गुरुग्राम। खिलाड़ियों को सुविधाएं देने के लिए तो सरकारें बड़े-बड़े दावें करती हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नजर नहीं आता। कुछ काम होते हैं तो उनके रख-रखाव पर ध्यान नहीं दिया जाता। ऐसा ही हुआ है गुरुग्राम के नेहरू स्टेडियम के हॉकी मैदान में बिछाए गए एस्ट्रोटर्फ के साथ। करीब 10 करोड़ की लागत से बिछाया गया यह एस्ट्रोटर्फ पूरी तरह से खराब हो चुका है। मंत्रियों ने इसे हटाकर नया बिछाने के खूब दावे किए हैं, लेकिन काम नहीं हुआ। नेहरू स्टेडियम में यह हॉकी एस्ट्रोटर्फ मैदान वर्ष 2003 में बनाया गया था। इसका उद्घाटन केंद्रीय खेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्री विक्रम वर्मा ने किया था। यह हरियाणा का पहला एस्ट्रोटर्फ मैदान बना था। इसी मैदान पर नवम्बर 2009 में 20वीं लाल बहादुर शास्त्री हॉकी टूर्नामेंट आयोजित किया गया था। छह साल तक तो यह मैदान ठीक रहा, इसके बाद इसका हालत खस्ता होती चली गई।

खेल मंत्री संदीप सिंह भी दो बार कर चुके हैं दौरा

एस्ट्रोटर्फ मैदान छह साल तक ही ठीक से चल पाता है। 18 साल पहले बिछाए गए इस एस्ट्रोटर्फ के रखरखाव और इसे नया बिछाने के दावे तो खूब हुए हैं, लेकिन इस पर काम कभी आगे नहीं बढ़ पाया। हुड्डा सरकार में गुरुग्राम के विधायक सुखबीर कटारिया खेल मंत्री बने थे। हर बात उनके समक्ष भी एस्ट्रोटर्फ के सुधार की बात रखी गई। लेकिन वे भी सिवाय आश्वासनों के कुछ नहीं दे पाए। वहीं वर्तमान भाजपा सरकार में खेल मंत्री संदीप सिंह भी यहां दो बार दौरा कर चुके हैं। उनके समक्ष भी एस्ट्रोटर्फ समेत अन्य कई समस्याएं रखी गई। उन्होंने आश्वासन तो दिया है, लेकिन काम अभी भी तक नहीं हुआ।

इस मैदान से निकले हैं कई राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी

गुरुग्राम के नेहरू स्टेडियम में स्थापित इस एस्ट्रोटर्फ हॉकी मैदान पर खेलते हुए झाड़सा गांव निवासी प्रीतम सिवाच ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया है। वह भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान थीं। सुकन्या व रोशन देवी भी यहां से बेहतरीन खिलाड़ी निकली हैं। निर्मल डागर यहां खेलकर अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिताओं में रेफरी रह चुकी हैं। इनके अलावा भी कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर चुके हैं। वर्ष 2014-15 में मनीषा और पायल यहां से प्रशिक्षण लेकर राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं। इसके बाद कोई खिलाड़ी यहां से राष्ट्रीय स्तर तक नहीं पहुंच पाया है।

खेल निदेशालय को भेजी गई है फाइल: डीएसओ

जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम अधिकारी जेजी बैनर्जी का कहना है कि हॉकी के इस मैदान पर एस्ट्रोटर्फ लगवाने के लिए प्रदेश के खेल निदेशालय को फाइल तैयार करके भेजी गई है। एस्ट्रोटर्फ कब तक लग पाएगा, यह जानकारी खेल विभाग के उच्च अधिकारी ही बता सकते हैं।

10 साल में कोई सुधार नहीं हो पाया: प्रीतम सिवाच

भारतीय हॉकी टीम की पूर्व कप्तान प्रीतम सिवाच कहती हैं कि गुरुग्राम के हॉकी मैदान की तरफ से खेल विभाग ने आंखें बंद कर रखी हैं। उन्हें दुख है कि पिछले 10 से इस एस्ट्रोटर्फ मैदान में सुधार की मांग की जा रही है, फिर भी कोई सुधार नहीं हो पाया। खराब मैदान से अच्छे खिलाड़ी बनने की उम्मीद करना सही नहीं।

अभ्यास के लिए बेहतर मैदान जरूरी: फूल कुमार

हॉकी के पूर्व प्रशिक्षक फूल कुमार कहते हैं कि किसी भी खेल में खिलाड़ियों के अभ्यास को बेहतर मैदान बहुत जरूरी है। गुरुग्राम से अच्छे हॉकी खिलाड़ी तैयार नहीं होने का बड़ा कारण खराब मैदान है।

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