महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को खत्म होगा, राज्य में अभी भाजपा-शिवसेना की गठबंधन सरकार
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90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 2 नवंबर तक, राज्य में भाजपा की सरकार
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21 अक्टूबर को ही बिहार-उप्र समेत 17 राज्य और पुड्डुचेरी में उपचुनाव होंगे, 24 अक्टूबर को परिणाम
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने शनिवार को महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया। दोनों राज्यों में एक चरण में 21 अक्टूबर को वोटिंग होगी। नतीजे 24 अक्टूबर को आएंगे। विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही दोनों राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई।
महाराष्ट्र में 8.94 करोड़ और हरियाणा में 1.28 करोड़ वोटर
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा, ‘‘हरियाणा में 1.28 करोड़ वोटर हैं और 1.3 लाख ईवीएम का इस्तेमाल होगा। महाराष्ट्र 8.94 करोड़ वोटर हैं और 1.8 लाख ईवीएम का इस्तेमाल होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र के लिए चुनाव आयोग ने दो विशेष पर्यवेक्षकों को भेजने का फैसला किया है, जो सिर्फ चुनावी खर्च पर नजर रखेंगे। पहले भी महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक में ऐसे पर्यवेक्षकों को चुनाव के दौरान भेजा जा चुका है। आयोग ने राजनीतिक दलों से यह भी अपील की है कि वे पर्यावरण के लिए अनुकूल सामग्री का ही प्रचार में इस्तेमाल करें और प्लास्टिक के इस्तेमाल से बचें।’’
अरोड़ा ने बताया कि 21 अक्टूबर को ही अरुणाचल प्रदेश, बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मेघालय, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना और केंद्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी में 64 सीटों पर उपचुनाव होगा। इसका नतीजा भी 24 अक्टूबर को आएगा।
हरियाणा में भाजपा और महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन सत्ता में
महाराष्ट्र में 288 सीटें हैं और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा-शिवसेना की गठबंधन सरकार है। विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को खत्म हो रहा है। हरियाणा विधानसभा में 90 सीटें हैं और मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है। विधानसभा का कार्यकाल 2 नवंबर तक है। दोनों राज्यों में पिछली बार चुनाव की घोषणा 20 सितंबर को ही हुई थी। 15 अक्टूबर को मतदान हुआ था। नतीजे 19 अक्टूबर को आए थे। ये चुनाव अनुच्छेद 370 और तीन तलाक खत्म करने के फैसले के बाद मोदी सरकार का पहला टेस्ट होंगे। दोनों राज्यों में इस बार स्थानीय मुद्दों की तुलना में कश्मीर से अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी करने का मुद्दा ज्यादा
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