एक संत…जिनके वचनों, प्रवचनों, गीतों, भजनों में नशों पर प्रहार

Ashirwaad-Maon-Ka
  • आशीर्वाद माओं का गीत की मीडिया, सोशल मीडिया समेत हर प्लेटफार्म पर मची धूम
  • सरपंचों से गुरूजी का आह्वान…हर तरह के नशों की करें रोकथाम
  • नशों को रोकने के लिए हरियाणवी में गुरूजी द्वारा गाया गया गीत हुआ हिट

संजय कुमार मेहरा
गुरुग्राम। डेरा सच्चा सौदा के गद्दीनशीन संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां (Ashirwaad Maon Ka) दुनिया के पहले ऐसे संत हैं जो वचनों से, प्रवचनों से, गीतों से और भजनों के माध्यम से नशों का खात्मा करने में लगे हैं। विशेषकर युवा पीढ़ी को गुरूजी ने आह्वान किया है कि वे नशे त्यागकर खुशहाल जीवन जीने की तरफ कदम बढ़ाएं। रविवार को पूज्य गुरूजी ने जब आशीर्वाद मांओं का गीत लॉन्च किया तो यह पलों में ही यूट्यूब पर हिट हो गया। समाचार लिखे जाने तक इस भजन को 13 मिलियन से अधिक लोग देख चुके हैं।

यह कड़वा सच है कि 21वीं सदी में युवाओं में सबसे अधिक नशे की लत लगी है। नशा भी अलग-अलग तरह का। कहीं शराब तो कहीं सूखे नशे में युवा डूबे हुए हैं। एक तरह से अपनी संस्कृति दूर होकर पाश्चात्य संस्कृति (वेस्टर्न कल्चर) को अपनाने वाली युवा पीढ़ी को पूज्य गुरू संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां वापस अपने संस्कृति से जोड़ने में लगे हैं। इन दिनों आॅनलाइन गुरूकुल के माध्यम से गुरूजी नशों से छुटकारा दिलाने का एक तरह से विश्व व्यापी अभियान चला रहे हैं। पूरी दुनिया में उनके प्रवचनों, गीतों, भजनों (‘आशीर्वाद मांओं का’) का प्रसारण हो रहा है। इन्हीं के माध्यम से दुनियाभर में उनसे जुड़कर लोग अपने जीवन को एक नई दिशा दे रहे हैं।

पूज्य गुरूजी के आह्वान और अभियान को डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत भी आगे बढ़ा रही है। समाज में नशे की लत में डूबे लोगों का नशा छुड़ाने के लिए आॅनलाइन गुरूकुल से जोड़ रही है। नशों के कारण घरों में बनी अशांति, कलह मात्र 5-10 मिनट में दूर हो रही है। राम-नाम की दवा से पूज्य गुरूजी नशों के आदी हो चुके लोगों को सार्वजनिक जीवन में सम्मान दिला रहे हैं। लोग नशों से तौबा करके अपने घर-परिवार में खुशियों का माहौल बन रहा है।

समाज से नशों को जड़ से खत्म करने का बीड़ा लेकर चल रहे पूज्य गुरूजी संत डा. राम रहीम सिंह जी इन्सां ने इस बार अपने नये गीत-आशीर्वाद मांओं (Ashirwaad Maon Ka) का में सरपंचों से इस मुहिम में साथ देने का आह्वान किया है। गुरूजी ने ठेठ हरियाणवी भाषा में यह गीत गाकर ग्रांउड लेवल तक अपनी आवाज पहुंचाई है। उनके गीत के एक-एक बोल का बड़ा महत्व है। खास बात यह है कि पूज्य गुरूजी ने गीत में परिवार को भावुकता से भी जोड़ा है।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।