डेराबसी (सच कहूँ/एमके शायना)। Honesty: आधुनिकता के युग में जहां लोग मोह, भ्रम और स्वार्थ के वशीभूत होते जा रहे हैं, वहीं वे अपनों को धोखा देने से भी नहीं चूक रहे हैं। इससे लोगों में इंसानियत और ईमानदारी खत्म होने लगी है। लेकिन पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रेरणा से ब्लॉक डेरा बस्सी की डेरा श्रद्धालु आशा इन्सां ने साबित कर दिया है कि आज के समय में भी कहीं न कहीं ईमानदारी जिंदा है। उन्होंने बताया कि राजपुरा से डेराबस्सी जाते समय उन्हें बस में एक पर्स गिरा हुआ मिला, जिसे उन्होंने अपने पास रख लिया और उसके असली मालिक का पता लगाने की कोशिश की। Honesty
आशा इंसा ने कहा कि वह डेरा सच्चा सौदा से जुड़ी हुई हैं और डेरा सच्चा सौदा में 85 मैंबर सदस्य के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं। पर्स देखकर बस कंडक्टर ने पर्स उसे सौंपने की मांग की। लेकिन आशा इंसा ने उस कंडक्टर को पर्स नहीं दिया बल्कि जांच करने के बाद पर्स मालिक को लौटाने का फैसला किया। पर्स में मौजूद दुकान के बिल से पर्स के मालिक का पता लगाया गया और जब फोन पर संपर्क किया गया तो पर्स पटियाला की रहने वाली सुरेखा रानी का निकला।
इस पर आशा इंसान ने उन्हें अपने पास बुलाया और चाय-पानी पिलाया तथा पर्स सुरक्षित उनके हवाले कर दिया। पर्स के मालिक ने कहा कि पर्स गिरने के बाद से वह बहुत परेशान हो गई क्योंकि उसमें दो एटीएम, महत्वपूर्ण दस्तावेज और कुछ नकदी थी। पर्स में सारा सामान देखकर सुरेखा रानी ने पूज्य गुरु को अपने शिष्यों को ईमानदारी का पाठ पढ़ाने के लिए लाख-लाख धन्यवाद दिया। पारस सौंपने के मौके पर 85 मैंबर विजय इन्सां और साहिल इन्सां मौजूद रहे।
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