नकली हादसे देखकर रुकते हैं, असली को करते हैं अनदेखा…
- सड़क पर एक्सीडेंट की शूटिंग देखने को लगी लोगों की भीड़
गुरुग्राम। (सच कहूँ/संजय मेहरा) आज के दौर में इंसान सड़कों पर होने वाले हादसों में घायलों को बचाने के लिए कम ही दिलचस्पी दिखाते हैं। बहुत से लोग तो हादसा देखकर रुकना भी जरूरी नहीं समझते। अगर घायलों को अस्पताल पहुंचाया जाए तो बहुत से लोगों का जीवन बचाया जा सकता है। यह सीख और संदेश दिया है युवा कलाकार निखिल सहराय ने। दरअसल, एचकेआई फिल्म अकादमी की ओर से निखिल यहां सेक्टर-10 चौक के सड़क दुर्घटनाओं की शूटिंग कर रहे थे। साथ में टीम के कुछ और सदस्य भी थे। जैसे ही उन्होंने अपना काम शुरू किया तो उन्हें देखने वालों की भीड़ लग गई। शूटिंग के दृश्य देखकर वहां हर कोई ठहरता जा रहा था।
बाइक चालक हो या गाड़ी चालक। सभी के बे्रक वहां लग रहे थे। शूटिंग कर रहे कलाकारों को हर कोई अपने मोबाइल में रिकॉर्ड करने में लगा था। सभी को मालूम हो गया था कि वह सड़क दुर्घटना की शूटिंग हो रही है। लोगों की इस आदत कलाकार निखिल सहराय के दिमाग में सवाल पैदा कर दिया और उस सवाल से निखिल ने लोगों को जवाब भी दिया है। निखिल कहते हैं कि, नकली एक्सीडेंट के जिस तरह से सब वीडियो बना रहे थे। कलाकारों के बहुत पास आने की कोशिश कर रहे थे, अगर असली एक्सीडेंट होता तो ये ही लोग दूर से निकलते। ऐसा नहीं होना चाहिए।
हर कदम कुछ अच्छा सीखें
उनका कहना है कि हमें हर कदम पर कुछ ना कुछ अच्छा सीखना चाहिए। असली हादसे जब हमारे सामने होते हैं तो हमारी सोच बदल जाती है। जबकि हादसे में घायलों को हमारी मदद की जरूरत होती है। जरूरी है कि हम एक्सीडेंट में घायलों को देखकर दूर से निकलने की बजाय उन्हें अस्पताल पहुंचाएं। हमें एक जिम्मेदार नागरिक बनकर हर व्यक्ति के साथ हुई अप्रिय घटनाओं में अपनेपन की सोच के साथ काम करना चाहिए। विशेषकर युवाओं को निखिल संदेश देते हैं कि वे अपनी जिम्मेदारियों को समझें। हमने अपने देश के सम्मान के लिए तिरंगे लहराकर एक रस्म तो निभा ली है, लेकिन तिरंगे और राष्ट्र का सम्मान, रक्षा का महत्व तब और बढ़ जाता है जब हम अपने देश के नागरिकों का सम्मान करें। उनकी रक्षा में अपना योगदान दें।
किसी का जीवन बचाने से न चूकें
निखिल कहते हैं कि, हम राह चलते किसी दुर्घटना में घायल की सहायता करके उसका बचाव कर सकते हैं। घायलों के लिए हम रक्तदान कर सकते हैं। हमारा खून किसी का जीवन बचाने में काम आए, यह भी बहुत बड़ी समाजसेवा है। निखिल कहते हैं कि वे कोई दार्शनिक तो नहीं हैं, लेकिन एक अपनी शूटिंग से ही उसने बहुत कुछ सीख लिया है।
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