नयी दिल्ली । केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से अलग राय जाहिर करते हुए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमईएस) के सचिव एम राजीवन ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रों (एनसीआर) में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कृत्रिम बारिश(Artificial Rain) के विकल्प से साफ इंकार किया है।
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बादल के सहारे बारिश कराने की केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक परियोजना को मंजूरी प्रदान की है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर,ने कृत्रिम बारिश कराने के लिए एक परियोजना तैयार की है।
डॉ. राजीवन ने यूनीवार्ता से कहा,ह्लसर्दियों के इस मौसम में वायु प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए दिल्ली में यह परियोजना बहुत कारगर नहीं है। कृत्रिम बारिश की प्रक्रिया के लिए, हमें कुछ गतिविधियों के साथ पर्याप्त मात्रा में बादलों की आवश्यकता होती है। इस मौसम में, इस तरह के बादलों को हासिल करना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बारिश कराना अब भी एकदम सही विज्ञान नहीं है, हालांकि 1960 के दशक के बाद से भारत इसका निरंतर अभ्यास कर रहा है।
उन्होंने कहा,ह्लहम यह समझ नहीं पाये हैं कि कृत्रिम बारिश (या क्लाउड बीजिंग) बनाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है और यहां तक कि यदि इसका प्रदर्शन हुया तो इसकी सफलता दर क्या है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में इस प्रक्रिया में सुधार हुआ है। उन्होंने हालांकि, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और उसके सहयोगियों की विशेषज्ञता को नजरअंदाज करते हुए बाहरी संस्थान को इसमें शामिल करने के पर्यावरण मंत्रालय के कदम पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो।