सरकारी स्कूलों में रंग भरकर व्यवस्था में ला रहे बदलाव
(Art Teacher Pradeep Malik)
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सामाजिक बुराइयों पर करते करती स्कूल पर बनी चित्रकारी
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सरकारी स्कूल की बेरंग जिन्दगी में भरे मनमोहक रंग भरे
सच कहूँ/सन्नी कथूरिया
पानीपत। सरकारी व्यवस्था को लेकर हर किसी को कोसते हुए आपने जरूरत देखा होगा, लेकिन उस व्यवस्था को बदलने की कोई छोटी सी कोशिश भी नहीं करता। लेकिन आज आपको ऐसे शख्स से परिचित करवा रहे हैं जिन्होंने अपने हुनर को पहचाना और उस हुनर की बदौलत वो कर दिखाया, जिसे अब देखने के लिए लोगों की लंबी कतारें लगी हंै। जी हां हम बात कर रहे हैं इसराना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत कला अध्यापक प्रदीप मलिक की। गांव बुआना लाखू में जन्मे प्रदीप मलिक ने सरकारी स्कूल की बेरंग जिन्दगी में ऐसे मनमोहक रंग भरे कि उसे देखने वाले लोग अपनी पलभर भी पलकें नहीं झुकाते।
इसराना स्कूल में उनके द्वारा बनाई गई शिक्षा शताब्दी शैक्षणिक रेल व स्वच्छता परिवहन ने हरियाणा में ही नहीं अपितु भारत वर्ष में अलग पहचान बनाई है। इनकी शिक्षण एवं पाठ्यक्रम को समर्पित पेंटिंग न केवल मुंह से बोलती हैं अपितु छात्रों को सीखने के लिए आकर्षित करती हैं। नि:स्वार्थ भाव से निरंतर सरकारी शिक्षा को बेहतर व प्रभावी बनाने में कला अध्यापक प्रदीप मलिक कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।
जिस भी स्कूल में गए वहां अपनी विशिष्ट कार्यशैली की बिखेरी महक
अपने शिक्षण कार्य की शुरूआत एसएम हिन्दू स्कूल सोनीपत से सन् 2000 में करने वाले कला अध्यापक प्रदीप मलिक जिस भी विद्यालय में गए, वहीं उन्होंने अपनी विशिष्ट कार्यशैली की महक बिखेर शिक्षा व्यवस्था को मजबूत किया। सन 2004 में सरकारी नौकरी में आने के बाद भी अपने जोश, जज्बे व जुनून को कम नहीं होने दिया। इनके अथक प्रयासों से राजकीय स्कूल पूठर के बच्चों ने सन 2007 से 2013 तक हर क्षेत्र में परचम लहराया। बात चाहे वृक्षारोपण की हो, साफ सफाई, छात्र संख्या बढ़ाने, शैक्षणिक माहौल बनाने, विद्यालय में शिक्षण को रुचिकर बनाने की हो ये जीतोड़ मेहनत करते हैं। दूसरे जिले के स्कूलों के प्राचार्य भी उन्हें बड़े खुशी खुशी अपने विद्यालय में कार्यभार का न्यौता देते रहते हैं।
बचपन के शौक को जुनून में बदला
जिस उम्र में हर कोई बड़े-बड़े सपने देखता है उस बचपन से कला अध्यापक प्रदीप मलिक ने शिक्षक बन राष्ट्र निर्माण की ठान ली थी। पढ़ना, पढ़ाना अपने घर पर उन्हें विरासत में मिला। बचपन से ही अपनी क्लास के बच्चों को पढ़ाने की लत उन्हें अध्यापक पेशे की ओर खींच लाई। बतौर कला अध्यापक प्रदीप मलिक का कहना है कि शिक्षण को अपना जुनून समझकर राष्ट्र निर्माण करने के प्रति संकल्पित हूँ। कला अध्यापक को बचपन से ही घर में ऐसा माहौल मिला जिसमें एक दूसरे से सीखने व सिखाने का भरपूर मौका मिलाता था।
भ्रूण हत्या पर कटाक्ष
अपनी कला से भ्रूण हत्या का चित्र बनाकर लोगों तक संदेश पहुंचा रहे हैं कि भ्रूण हत्या करना महापाप है आज के समय में बेटा-बेटी एक समान है अगर अच्छी शिक्षा बेटी को भी दी जाए तो वह भी बेटों से आगे निकल सकती है। हमारे देश में ऐसी कई महान बेटियां पैदा हुई है जिन्होंने देश का नाम ऊंचा करके दिखाया है आज भी उन बेटियों को याद किया जाता है।
अनेकों बच्चों को राज्य स्तर पर दिला चुके सम्मान
अपने कला के गुर छात्रों से सांझा कर कला अध्यापक प्रदीप मलिक अनेकों छात्रों को राज्य स्तर पर पेंटिंग, रंगोली व स्काउंटिंग में पुरस्कार दिला चुके हैं। छात्र अनस, आशीष, नवीन, बिट्टू, बलित, अर्जितपाल ने पेंटिंग, स्लोगन व रंगोली में अपनी प्रतिभा के बलबूते पर विद्यालय व गांव का नाम रोशन कर चुके हैं। इनके व बच्चों द्वारा रंगोली को देखते ही सबको पता चल जाता है कि ये रंगोली प्रदीप मलिक द्वारा बनाई गई है। इनके मार्गदर्शन में छात्र आशीष, बलित व नवीन पेंटिंग प्रतियोगिता ने विजेता बनकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल से व स्काउंटिंग में नवीन कुमार महामहिम राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी से पुरस्कृत हो चुके हैं।
अपने विशिष्ट कार्यों व उत्कृष्ट प्रयासों पर जिला प्रशासन पानीपत द्वारा पिछले छह सालों से निरंतर गणतंत्र या स्वतंत्रता दिवस पर सराहनीय सेवाओं के लिए हरियाणा सरकार से मंत्रीगण द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। स्काउंटिंग में प्रभावी सेवाओं के लिए महामहिम राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा व समाज सेवा, उत्कृष्ट शिक्षण व गऊ सेवा के लिए परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। ग्राम पंचायत बुआना लाखू द्वारा दादा लाखू पद्म भूषण अवार्ड,कोहिनूर ए हरियाणा अवार्ड व प्राइड आॅफ बुआना लाखू सम्मान से नवाजा जा चुका है।
कला अध्यापक प्रदीप मलिक का कहना है कि उन्होंने शिक्षक पेशे को मजबूरी वश नहीं अपितु अपने शौक से लिया है। उन्होंने हमेशा अपने काम को पूजा माना है। अपने कर्तव्य को पूर्ण निष्ठा से पूरा किया जाता है जिसके बलबूते उन्हें ना केवल सुकून मिलता है अपितु खुशी व सम्मान भी मिलता है। बच्चों संग मिलकर काम करने का आनन्द ही अलग है। बच्चे नवाचार व सीखने के प्रति गम्भीर रहते हैं। उनके साथ काम करने ये फायदा भी है वो क्रियाशील तो बनते ही हैं वहीं दूसरी ओर वो पेंटिंग को अपना मानकर सुरक्षित भी रखते हैं। मुझे शिक्षक होने पर गर्व है। जिससे राष्ट्र निर्माण में अपना शत प्रतिशत योगदान दे सकूं ।
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