चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग और अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस के भाषणों का स्पष्ट प्रभाव देखने को मिला | Apek leaders
पोर्ट मोरेस्बी (एजेंसी)। एशिया प्रशांत क्षेत्र के 21 देशों के नेता यहां एक सम्मेलन में रविवार को अपने मतभेदों को दूर करने में नाकाम रहे। क्षेत्र में अपना – अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे अमेरिका और चीन के बीच जुबानी जंग का प्रभाव सम्मेलन पर पड़ता हुआ स्पष्ट रूप से नजर आया। एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग (Apek leaders) के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि सदस्य देशों के नेता व्यापार नीति पर गहरे मतभेद के चलते औपचारिक लिखित उद्घोषणा पर सहमत नहीं हो पाए।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियोलोंग ने कहा, ‘नेताओं के बीच इस बात पर सहमति बनी कि नेताओं की पारंपरिक उद्घोषणा के बजाय वे पापुआ न्यू गिनी को (एपेक) अध्यक्ष के तौर पर सभी सदस्य देशों की ओर से अध्यक्षीय बयान जारी करने की जिम्मेदारी देते हैं।’
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडू ने स्वीकार किया है कि व्यापार के सिलसिले में कुछ खास मुद्दों पर अलग अलग दृष्टिकोण थे, जिससे उद्घोषणा दस्तावेज पर सहमति नहीं बन पायी। पापुआ न्यू गिनी में पहली बार यह वार्षिक सम्मेलन हुआ है। इसमें चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग और अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस के भाषणों का स्पष्ट प्रभाव देखने को मिला।
पेंस ने छोटे देशों को चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिश्एटिव’ (बीआरआई) परियोजना के लालच में नहीं आने की चेतावनी दी, जिसमें निर्माण एवं विकास परियोजनाओं के लिए गरीब देशों को चीन की ओर से धन की पेशकश की गई है। पेंस ने आरोप लगाया कि यह ‘अस्पष्ट’ ऋण कर्ज का बोझ बढ़ाएगा। उन्होंने ‘एकतरफा’ मार्ग बता कर इस परियोजना का मजाक उड़ाया। उन्होंने देशों से इसके बजाय अमेरिका के साथ रहने की अपील की, जो अपने सहयोगियों को कर्ज में नहीं डुबोता है, उनके साथ जबर्दस्ती नहीं करता और उनकी आजादी के साथ समझौता नहीं करता।
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