अन्ना ने कहा- सरकार चाहती तो लोकपाल की नियुक्ति में 5 साल नहीं लगते
महाराष्ट्र (एजेंसी)। समाजसेवी अन्ना हजारे ने बुधवार को लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए अपने गांव में अनशन शुरू किया। इससे पहले उन्होंने यादव बाबा के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की। कुछ दिन पहले अन्ना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर लोकायुक्त नियुक्त करने की मांग की थी।
अन्ना से जब पुरानी टीम (2011) के अनशन में आने को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन लोगों को तो लोकपाल और लोकायुक्त याद ही नहीं है। वे सब भूल चुके हैं। जैसे नरेंद्र मोदी भूल गए, वैसे ये लोग भी भूल गए। कुर्सी पर बठने के बाद ये सब भूल जाते हैं। केजरीवाल के विधायकों द्वारा अपनी संपत्ति घोषित करने से मना करने के संबंध में उन्होंने कहा, “यह गलत है। हर चीज में पारदर्शिता होनी चाहिए।”
सरकार बार-बार बहानेबाजी करती है- अन्ना
अन्ना ने मंगलवार को कहा कि लोकपाल कानून बने हुए 5 साल हो गए और नरेंद्र मोदी सरकार बार-बार बहानेबाजी करती है। मोदी सरकार के दिल में अगर होता तो क्या इसमें 5 साल लगना जरूरी था? यह मेरा अनशन किसी व्यक्ति, पक्ष या पार्टी के विरुद्ध नहीं है। समाज और देश की भलाई के लिए बार-बार मैं आंदोलन करता आया हूं, यह आंदोलन भी उसी तरह का है।” अन्ना ने कुछ दिन पहले पीएम को लिखे पत्र में आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार देशवासियों के साथ धोखाधड़ी कर रही है। लोकपाल और लोकायुक्त जैसे महत्वपूर्ण कानून पर अमल नहीं होना और सरकार का बार-बार झूठ बोलना मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता। इसलिए महात्मा गांधी की पुण्यतिथि से आंदोलन करूंगा।
आंदोलन से दूर रहेंगे राजनीतिक दल
अन्ना हजारे ने साफ कह दिया है कि इस बार राजनीतिक दल उनके आंदोलन में शामिल नहीं होंगे। माना जा रहा है कि योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, शांति भूषण और कुमार विश्वास जैसे कुछ पुराने सहयोगी आंदोलन को समर्थन देने पहुंच सकते हैं। 2011-12 में अन्ना हजारे के नेतृत्व में दिल्ली के रामलीला मैदान पर तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन हुआ था। उस आंदोलन में शामिल कई चेहरे अब राजनीति में आ चुके हैं। इनमें अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं।
लोकपाल के लिए उम्मीदवार ढूंढने वाले पैनल की पहली बैठक
लोकपाल का चयन करने के लिए बनाए गए 8 सदस्यीय पैनल ने मंगलवार को अपनी पहली मीटिंग की। मोदी सरकार द्वारा गठन के बाद यह पैनल की 4 महीनों में पहली बैठक है। इस पैनल के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई हैं।
महाराष्ट्र सरकार का फैसला, मुख्यमंत्री कार्यालय अब लोकायुक्त के दायरे में आएगा
मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार ने मुख्यमंत्री कार्यालय को लोकायुक्त के अधिकार क्षेत्र में लाने का फैसला किया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इसपर अंतिम मुहर लगाई गई। जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने बताया कि मुख्यमंत्री के अलावा मंत्री, विधानसभा में विपक्ष नेता भी लोकायुक्त के दायरे में आएंगे। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त शासन सुनिश्चित करने के लिए यह बहुत अच्छी पहल है।” महाराष्ट्र पहला ऐसा राज्य था, जिसने 1971 में लोकायुक्त और उप लोकायुक्त कानून के जरिए लोकायुक्त संस्था की शुरुआत की थी।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।