पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि भगवान, अल्लाह, राम, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब, अरबों नाम हैं उसके, पर वह शक्ति एक थी, एक है और एक ही रहेगी। क्या आपने सुना है लोग पानी के नाम पर कभी झगड़ा करते हों? पानी के जल, नीर, वाटर, वाशर, आब, नीलू, नीरू, अनि बहुत से नाम हैं। क्या आपने सुना है कि मेरे पानी को तूं जल क्यों कहता है, जल को वाटर, वाटर को आब क्यों कहता है? (Anmol Vachan)
लोग कहते हैं कि गुरु जी हम क्यों झगड़े? हमें पता है कि पानी तो वही है, नाम बदल गया तो क्या हुआ, स्वाद और रंग थोड़ी बदलता है। हम तो समझदार हैं। हमने कहा कि वाकयी आप समझदार हैं। आपजी आगे फरमाते हैं कि खाने पीने की चीजों के नाम अलग-अलग हैं, कभी उसको लेकर आपने झगड़ा किया? लोग कहते हैं कि गुरू जी हम झगड़ा क्यों करेंगे? जब वही सब कुछ है, सिर्फ नाम बदला है तो हम झगड़ा क्यों करेंगे? हम तो समझदार हैं। (Anmol Vachan)
हमने कहा कि वाकयी आप तो समझदार हैं। क्योंकि पानी का नाम बदलने से पानी का रंग, स्वाद नहीं बदलता। कोई भी खाने-पीने की चीज का नाम बदलने से उसका स्वाद नहीं बदलता। जब छोटे से पानी का नाम बदलने से उसका स्वाद रंग नहीं बदलता तो अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब, वो तो सबसे बड़ी ताकत है, उसका नाम बदलने से वो कैसे बदल जाएगा? उसके लिए क्यों झगड़ा करते हो? तब समझदारी किधर चली जाती है? तब क्यों नहीं समझ आती कि हम सब एक और हमारा मालिक एक, ये धर्मों में शिक्षा है। (Anmol Vachan)
हमें एक चीज बताओ भगवान ने आपको अलग क्या दिया है?
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि अब प्रैक्टिकली देखो आपका ब्लड ग्रुप अगर एक समान है, हिन्दू का खून मुसलमान के, मुसलमान का खून सिक्ख के, सिक्ख का खून इसाई के, छोटी जात वाले का बड़ी जात वाले के, बड़ी जात वाले का छोटी जात वाले के लग जाता है तो फिर बताओ की फर्क कहां पर और किस जगह पर है। अपने आप को जो बड़ा कहते हैं, वो बताएं कि क्या जब वे जन्मे ताज लगा हुआ था और छोटी जात वाले के पूंछ लटक रही थी। क्या ऐसा था? कुछ बताइए तो सही। क्या दांतों की जगह आपके मुंह में हीरे लगे हुए हैं, जो छोटों के हड्डियां लगी हुई हैं, कुछ तो बताओ। जो जात-पात का भेदभाव करते हैं, जो ऊँच-नीच का फर्क करते हैं, हमें एक चीज बताओ भगवान ने आपको अलग क्या दिया है?
यही वास्तविकता है, जिसे बदला नहीं जा सकता
कुछ लोग कहते हैं कि हमें तो बड़ा घर दे दिया जी, अरे बड़े घर में जन्म हो गया तो अच्छे कर्म, लेकिन अगर उसमें रहकर बुरे कर्म करोगे तो नरकों का दरवाजा खुला है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि भगवान ने कोई फर्क किया है। वो अपने-अपने कर्मों का खेल है, पर फर्क नहीं है इन्सान में। तो ये भावना अगर इन्सान के अंदर रहे तो वो किसी को ऊँचा-नीचा नहीं कहेगा, किसी को छोटा-बड़ा नहीं कहेगा। हम सब एक हैं और हमारा मालिक है, यही सच है, यही वास्तविकता है, जिसे बदला नहीं जा सकता। (Anmol Vachan)
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि आप सफाई पसंद हैं ये गलत नहीं, सही है। लेकिन कोई सफाई नहीं करता तो आप उसे समझा सकते हैं, उससे किनारा थोड़ा सा कर सकते हैं। थोड़ा दूरी पर बैठ जाएंगे या थोड़ा दूर रहेंगे। लेकिन आप उसे बुरा नहीं कह सकते। आप उसे गालियां नहीं दे सकते। सफाई जरूरी है। शरीर की सफाई, उससे जरूरी है आत्मा की सफाई। जब तक आदमी की आत्मिक विचार शुद्ध नहीं होते तब तक वो भगवान के कृपापात्र नहीं बन पाते, वो जीवात्मा, वो रूह। (Anmol Vachan)
और अपने विचारों का शुद्धिकरण आप अपनी शक्ति से, माता-पिता के जोर से, या किसी और प्रयास से कभी भी नहीं कर सकते। आपका शुद्धिकरण होगा तो खुद आपके द्वारा। सच्चा संत मिले, गुरु, पीर-फकीर मिले, वो गुरुमंत्र, नाम शब्द दे, आप उसका अभ्यास करें तो यकीनन आपके विचार बदल जाएंगे, आपके दिमाग का शुद्धिकरण होगा और घर में खुशियां, बरकतें आएंगी और ये शरीर रूपी घर भी मालिक के इंतजार में पलके बिछा देगा। (Anmol Vachan)