सरसा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि दुनिया में राम-नाम ही ऐसा है, जो इन्सान के सारे दु:ख-दर्द, चिंता, परेशानियों को दूर करता है। राम-नाम लेने के लिए कोई काम-धन्धा, घर-परिवार, धर्म नहीं छोड़ना और न ही कोई रुपया-पैसा लगता है। राम का नाम अनमोल है और संत इसे बिना दाम के देते हैं। जो दान-दक्षिणा लेते हैं, वो संत ही नहीं होते, क्योंकि संत माया के लिए नहीं बल्कि राम-नाम जपाने के लिए इस दुनिया में आते हैं। जब भगवान ही पैसा नहीं लेते तो संत पैसा क्यों लें? सभी धर्मों में लिखा है कि भगवान दाता था, दाता है और दाता ही रहेगा।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि भगवान हर इन्सान के अंदर समाया हुआ है। भगवान को देखने के लिए किसी जंगल, पहाड़ आदि कहीं पर भी जाने की कोई आवश्यकता नहीं होती। इन्सान भगवान को अपने घर-परिवार में रहते हुए ही देख सकता है। ऐसे-ऐसे रोग जिनको डॉक्टर लाईलाज बता देते हैं, राम-नाम के द्वारा वो लाईलाज रोग भी ठीक होते हुए देखे गए हैं। भगवान सर्वव्यापक है। भगवान को अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब चाहे जो भी नाम दें लेकिन वो एक ही है। जिस तरह पानी को जल, आब, वाटर, नीर आदि कहने से उसके रंग, स्वाद में कोई परिवर्तन नहीं आता, उसी तरह भगवान का नाम बदलने से उसकी ताकत नहीं बदलती।
आप जी फरमाते हैं कि इन्सान को हर रोज सुबह-शाम आधा-आधा घंटा राम-नाम का सुमिरन जरूर करना चाहिए। जिस तरह इन्सान खाने-पीने, सोने के लिए समय निश्चित करता है, सुबह नाश्ता, दोपहर का भोजन और शाम का भोजन खाना इन्सान नहीं भूलता उसी तरह राम का नाम भी नहीं भूलना चाहिए। भोजन तो केवल शरीर को ताकत देता है लेकिन राम का नाम आत्मा, रूह को ताकत देता है। जिस तरह मजबूत पेड़ पर लगने वाली टहनियां, फल आदि अपने आप आ जाते हैं, उसी तरह जिस इन्सान की आत्मा शुद्ध होती है तो उसे सारे सुख मिल जाते हैं।
जिस समय इन्सान के आत्मबल में कमी आती है तो बहुत से लोग सोचते हैं कि वो तो मरने की कगार पर है और उस पर कोई भी दवा काम नहीं करती, लेकिन उस समय अगर इन्सान राम के नाम का जाप करे तो राम-नाम एक दवा का काम करता है और वो इन्सान ठीक हो जाता है। पूज्य गुरू जी फरमाते हैं कि धर्मानुसार सुबह 2 से 4 बजे का समय मालिक को याद करने का सबसे उचित समय है। हिन्दू धर्म में इस समय को ब्रह्ममुहूर्त, सिक्ख धर्म में अमृत वेला, इस्लाम धर्म में बांगे वक्त और इंग्लिश फकीर इस समय को द गॉड्स प्रेयर टाइम कहते हैं।
विज्ञान के अनुसार भी यह सबसे उचित है, क्योंकि इस समय में ऑक्सीजन की मात्रा सबसे अधिक होती है। इस समय में आधा घंटा या एक घंटा सुमिरन किया जाए तो इन्सान का सारा दिन अच्छा गुजरता है और इन्सान के सारे दु:ख-दर्द, चिंता, परेशानियां दूर हो जाती हैं, लेकिन यह जरूरी है कि इन्सान इस समय में सुमिरन करे, न कि हाथों में तो माला फेरता रहे और ख्यालों में चलता रहे कि मेरा बेटा पास हो जाए, मेरा बिजनेस अच्छा हो जाए। इस तरह ख्याल चलते हैं तो यह सुमिरन नहीं, बल्कि बिजनेस के बारे में सोचना है। ऐसा नहीं करना चाहिए।
सुमिरन में बैठे हैं तो सुमिरन ही करें। इस कलियुग के समय में 15 मिनट भी अगर कोई सच्चे दिल से सुमिरन करता है तो यह नहीं हो सकता कि मालिक की दया-मेहर इन्सान पर न बरसे। पूज्य गुरु जी आगे फरमाते हैं कि इन्सान जब सुमिरन करने बैठता है तो उसके विचार उसे तंग करते हैं। इसलिए विचारों को कंट्रोल करने के लिए गुरुमंत्र का जाप करें। गुरुमंत्र इन्सान को अंदर की आवाज से मिला देता है। इस आवाज को धर्मों में धुन, अनहद नाद कहा गया है। इन्सान अगर इस धुन को सुनता है तो उसका मैमोरी पावर मजबूत होती है और परेशानियों से निकलने का रास्ता मिल जाता है। इन्सान अगर इस रास्ते पर चले और सच्चे दिल से सुमिरन में समय लगाए तो इन्सान सभी गम, चिंता, परेशानियों से दूर होता हुआ मालिक के रहमो-करम से मालामाल हो जाता है।
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