सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इस घोर कलियुग के समय में परमात्मा का नाम लेना बड़ा मुश्किल है लेकिन मालिक को पाना बड़ा आसान है। आज से पहले जितने भी युग हुए हैं, उनमें इन्सान को सैकड़ों सालों तक भक्ति-इबादत में बैठना पड़ता था, तब जाकर कहीं मालिक की दया-मेहर होती थी। इस कलियुग में काम-धन्धा करते हुए मालिक का नाम जपने से मोक्ष-मुक्ति कुछ देर में ही हो जाती है। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि घोर कलियुग में मन-इंद्रियां बड़े फैलाव में हैं। लोग राम-नाम को स्वादहीन समझते हैं लेकिन लोग यह भूल जाते हैं कि मन जिस राम-नाम को सुनने नहीं देता, अगर उसे सुन लिया जाए, अमल कर लिया जाए तो दोनों जहान की खुशियां तो मिलेंगी ही साथ ही गम, चिंता, परेशानियों से भी मुक्ति मिल जाएगी।
आप जी फरमाते हैं कि मालिक के नाम में बेइन्तहा ताकत है, लेकिन इसे वही इन्सान जानता है, जो मालिक का नाम लेता है। जिसने कभी सुमिरन नहीं किया, सुन्न समाधि में नहीं गया, जिसका दसवां द्वार नहीं खुला वो इन्सान सुमिरन की ताकत के बारे में क्या बता सकता है। वह तो यह कहता रहता है कि इसमें कुछ नहीं है, इससे कोई फायदा नहीं होता लेकिन जो इन्सान सुमिरन करता है, वह मालिक के नजारों से मालामाल होता है। फिर न अंदर कमी रहती है और न बाहर।
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