बठिंडा : सरकारी गौशाला हरराएपुर में नरक भरी जिंदगी जी रहे पशु

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एनजीओ जागो ग्राहक के नेताओं ने किया दौरा, सरकार से की गौशाला के सुधार की मांग | Government Cowshed

बठिंडा(अशोक गर्ग )। बठिंडा जिले में गांव हरराएपुर में बनी (Government Cowshed) सरकारी गौशाला में गाय नरकभरी जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं। यह गाय बेशक बोल कर नहीं बता सकतीं परंतु इनकी हालत यह ही बयान करती हैं। बीते दिनों एनजीओ ‘जागो ग्राहक जागो’ के संजीव गोयल और वातावरण प्रेमी क्लब के संजीव कुमार सिंगला, पंकज कुमार ने सरकारी गौशाला हरराएपुर का दौरा किया। उन्होंने बताया कि वहां गायों, सांडों व बछड़ियों का का बुरा हाल था और काफी गाय मरी हुई थी। गौशाला में कई बछड़ियों की टांगें भी टूटीं हैं जो चल फिर नहीं सकती, जिनका कोई इलाज नहीं किया जा रहा। संजीव सिंगला ने बताया कि जब वह गौशाला के दौरे पर गए थे तो वहां हर सैड में लगभग 4-5 गाय व बछड़ियां मरी हुई थी।

कुल मिला कर 12 -13 पशु मृत अवस्था में पड़Þे थे, जब कि 5-6 गाय मरने के किनारे पड़ी थी, जिनको बाकी पशु कुचल रहे थे। गौशाला में पशुओं के खाने को सिर्फ भूसा ही दिया जा रहा है और इसके अलावा किसी भी तरह का कोई चारा नहीं दिया जा रहा। यहां तक कि हरा काटने वाली मशीन भी पता चला खराब पड़ी है। सिंगला ने बताया कि गौशाला को जो रास्ता जाता है वह भी कच्चा है और बारिशों के दौरान इस रास्ते का बुरा हाल हो जाता है, जिससे गौशाला को जाने वाले सेवकों को बहुत दिक्कत आती है। संस्था नेताओं ने सरकार से मांग की कि इस गौशाला का सुधार कर गायों को बचाया जाये। जब डिप्टी कमिशनर बठिंडा के साथ संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

उल्लेखनीय है कि पहले भी इस गौशाला में संभाल के बिना करीब 1200 पशु मर चुके हैं जबकि इस गौशाला के चेयरमैन डिप्टी कमिशनर बठिंडा हैं।

गौशाला में किसी किस्म की कोई कमी नहीं : मैनेजर

  • गौशाला के मैनेजर बलजीत सिंह ने कहा कि गौशाला में किसी किस्म की कोई कमी नहीं है।
  • उन्होंने बताया कि हरे चारों की किल्लत के कारण हरे की समस्या आई है।
  • जो हरा कतरन वाली मशीन खराब थी वह चालू करवा दी है।
  • सरकारी डॉक्टर भी रोजमर्रा ही इन पशुओं का चैकअप करते हैं।
  • उनसे गायों के मरने संबंधी पूछे सवाल में कहा कि गायों व सांड नगर निगम की ओर से यहां छोड़े जाते हैं।
  • शहर अंदर गन्दगी, लिफाफे आदि खाने साथ पहले ही बीमार होते हैं ।
  • जब यह पशु मर जाते हैं तो डॉक्टरों की ओर से बाकायदा पोस्टमार्टम किया जाता है।
  • इनके अंदर से लिफाफे, सिरिंजें व गली वस्तुएं मिलती हैं, जिस कारण यह मर जाते हैं।

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