एएन-32: लापता विमान की तलाश में जुटीं सेनाएं

AN-32: Armies engaged in search of missing aircraft

नौसेना का स्पेशल रडार एयरक्राफ्ट भी ऑपरेशन में शामिल

वायुसेना ने बताया- खराब मौसम की वजह से तलाशी अभियान में दिक्कत आ रही

एएन-32 ने 3 जून को असम के जोरहाट से उड़ान भरी, इसके बाद संपर्क टूट गया

नई दिल्ली। वायुसेना के लापता विमान एएन-32 का पता लगाने के लिए शुक्रवार को सघन तलाशी अभियान जारी है। 3 जून को असम के जोरहाट एयरबेस से उड़ान भरने के बाद अरुणाचल की मेनचुका एयरफील्ड में विमान का संपर्क टूट गया था। इसमें क्रू मेंबर्स समेत 13 लोग सवार थे। अभियान में नौसेना के स्पेशल रडार एयरक्राफ्ट पी8आई (टोही विमान) को भी लगाया गया है, जो मौसम ठीक होने पर शनिवार को दोबारा उड़ान भरेगा। सेना के चीता हेलिकॉप्टर पहले ही खोज में जुटे हैं।

वायुसेना ने ट्वीट किया कि एएन-32 को ढूंढने के लिए वायुसेना के लड़ाकू विमान, सी130, चीता हेलिकॉप्टर, मानव रहित विमान और विशेष सेंसर से लैस एयरक्राफ्ट की मदद ली जा रही है। उपग्रहों और स्थानीय पुलिस-प्रशासन से भी बराबर सहयोग मिल रहा है। आम नागरिकों से भी जानकारियां जुटाई गई हैं।

वायुसेना के एयरक्राफ्ट ने 100 घंटे उड़ान भरी

सूत्रों ने बताया कि खराब मौसम तलाशी अभियान में बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। बुधवार को दिन में अभियान रोकना पड़ा था। इसके बाद हेलिकॉप्टर, सुखोई-30 एमकेआई और सी130जे एयरक्राफ्ट ने रात में उड़ानें भरी थीं। वायुसेना के विमान अब तक 100 घंटे उड़ान भर चुके हैं।

रडार से गायब होते वक्त एटीसी ड्यूटी पर थीं पायलट की पत्नी

रिपोर्ट्स के मुताबिक, एएन-32 के पायलट आशीष तंवर की पत्नी संध्या ने विमान को रडार से लापता होते हुए देखा था। उस वक्त वे एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) में ड्यूटी कर रही थीं। संध्या ने विमान के लापता होने की खबर घरवालों को एक घंटे बाद दी थी। आशीष की मां ने कहा- मुझे मेरा बेटा चाहिए। इतने दिन हो गए। अब तक कुछ भी नहीं हुआ।

1980 में वायुसेना में शामिल हुआ था एएन-32

सोवियत दौर का यह एयरक्राफ्ट 1980 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। इसे लगातार अपडेट किया गया। हालांकि लापता प्लेन एएन-32 इन अपग्रेडेड एयरक्राफ्ट का हिस्सा नहीं है। तीन साल पहले 22 जुलाई 2016 को भारतीय वायुसेना का एयरक्राफ्ट एएन-32 लापता हो गया था। इसमें 29 लोग सवार थे। एयरक्राफ्ट चेन्नई से पोर्ट-ब्लेयर की ओर जा रहा था। बंगाल की खाड़ी के बाद इसका संपर्क टूट गया।

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