यूएस ने कहा- तालिबान को अलकायदा से खत्म करने होंगे रिश्ते
(Peace-Agreement)
दोहा (एजेंसी)। कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच शनिवार को बहुप्रतीक्षित शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें कहा गया है कि अगर तालिबान अमेरिका की शर्तें मान लेता हैं तो नाटो अफगानिस्तान से अपनी सेना 14 माह के भीतर वापस बुला लेगा। अमेरिका और तालिबान ने कतर की राजधानी दोहा में शनिवार को शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद जारी एक बयान में कहा कि अगर तालिबान अमेरिका की शर्ते मान लेता है तो अमेरिका और नाटो 14 महीनों में अफगानिस्तान से अपने सेनाओं को पूरी तरह वापस बुला लेगा। बयान के अनुसार समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अमेरिका 135 दिनों के भीतर अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या में कमी कर इसे 8,600 तक ले आएगा।
अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य बलों की संख्या घटाकर 8,600 की जाएगा
अफगानिस्तान और अमेरिका ने संयुक्त रूप से घोषणा की है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य बलों की संख्या घटाकर 8,600 की जाएगा। साथ ही अमेरिकी-तालिबान शांति समझौते में किए गए वादों को 135 दिन में लागू किया जाएगा। इस बीच अमेरिका ने फिर से जोर देकर कहा कि वह अफगानिस्तान की सरकार की सहमति से लगातार सैन्य आॅपरेशन चलाने को तैयार है। (Peace-Agreement) अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा, हम इसकी करीब से निगरानी करेंगे कि तालिबान अपने वादों को लागू करता है या नहीं। इसके साथ ही हम अफगानिस्तान से अमेरिकी सैन्य बलों को निकालने का फैसला लेंगे।
पाक का नाम, भारत का जिक्र नहीं
तालिबान के प्रतिनिधि अब्दुल बरादर ने समझौते में मदद के लिए पाकिस्तान का नाम तो लिया, लेकिन भारत का कोई जिक्र नहीं था। अब्दुल्ला बरादर ने अफगानिस्तान में राष्ट्रपति अशरफ गनी का भी नाम नहीं लिया। इस समझौते में अफगानिस्तान सरकार की सक्रिय भागीदारी ना होने के कारण पहले से चिंता जताई जा रही थी।
भारत क्यों है चिंतित
अफगानिस्तान के विकास के लिए भारत अरबों रुपए खर्च कर चुका है। इस वक्त भी कई विकास कार्य चल रहे हैं। भारत को आशंका है कि तालिबान के हाथ में सत्ता आने के बाद वह इन विकास कार्यों को बंद करा सकता है। भारत अफगानिस्तान में महिला सुरक्षा और उनके अधिकारों की भी बात करता रहा है।
- तालिबान हमेशा से महिलाओं पर अत्याचार का समर्थन करता रहा है।
- वह महिलाओं पर कई तरह की बंदिशें लगाने की बात करता रहा है।
- तालिबान 16 साल की लड़की की शादी का समर्थन करता है।
- समझौते में महिलाओं की आजादी का कोई जिक्र नहीं है।
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