केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को मोदी सरकार 2.0 का प्रथम बजट प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने बजट में आने वाले दशक में विकास का लक्ष्य देश के सामने रखा। इस दौरान उन्होंने प्रदूषण मुक्त भारत,चिकित्सा उपकरणों पर जोर,जल प्रबंधन,अंतरिक्ष कार्यक्रम चंद्रयान, गगनयान इत्यादि का भी वर्णन किया। लेकिन वित्त मंत्री ने सबसे अधिक प्रमुखता से 2024 तक भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को रखा। भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय 2.87 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच चुकी है और जीडीपी के दृष्टि से दुनिया की 6 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि इस वर्ष के अंत तक भारतीय अर्थव्यवस्था 3 ट्रिलियन डॉलर तक का हो सकता है।
यानी तय लक्ष्य पाने के लिए अगले 5 वर्ष में इसमें 87% की बढ़ोतरी करनी होगी। ऐसे समय में जबकि अर्थव्यवस्था 6 फीसदी से भी कम दर से बढ़ रही है,इस तेजी को हासिल करना अत्यंत कठिन है। जनवरी से मार्च 2019 के तिमाही की बात करें तो इस अवधि में वृद्धि दर 5.8 फीसदी रही। यानी उक्त लक्ष्य को हासिल करने के लिए 12.8 फीसदी की समेकित वार्षिक वृद्धि दर हासिल करनी होगी। फिलहाल अर्थशास्त्री 8 फीसदी की वृद्धि दर को भी हासिल करना कठिन मानते हैं,ऐसे में द्विअंकीय वृद्धि दर के बिना इस लक्ष्य की पूर्ति संभव नहीं है। स्वयं गुरुवार को प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा 2018-19 में भी बताया गया है कि इस वित्त वर्ष का अनुमानित विकास दर 7% रहने की संभावना है। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था की दिक्कतों से निपटने के लिए कहीं अधिक तार्किक तौर तरीके अपनाने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में सरकार का तात्कालिक लक्ष्य होना चाहिए, उसे मौजूदा संकट से उबरना और मध्यम अवधि में उसे स्थायित्व के साथ 8 फीसदी वार्षिक की दर से आगे ले जाना चाहिए।
वृद्धि दर में इजाफा लाने के लिए केंद्र सरकार को सहयोगी संघवाद अर्थात सभी राज्यों से व्यापक सहयोग के साथ तैयारी करनी होगी। उदाहरण के लिए पिछले कुछ समय से निर्यात की स्थिति खराब बनी हुई है। ट्रेड वार के कारण अमेरिका का बाजार छुटता चला जा रहा है,जबकि यूरोप अभी मंदी से उबरा नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार दक्षिण पूर्वी एशियाई देश अर्थात आसियान देशों,अफ्रीकी देशों तथा दक्षिण अमेरिकी देशों के नए बाजार को विकल्प के रूप में देख सकती है। साथ ही वहाँ के जरुरतों के अनुसार राज्यों के साथ तालमेल कर तत्संबंधी उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा सकता है। इसी तरह वित्तीय तंत्र को निरंतर संकट का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी बैंकों की चिंता बरकरार है और इसी बीच गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों की ओर से नई समस्या खड़ी हो गई है। बुनियादी ढांचागत विकास के लिए धनराशि कहाँ से आएगी, यह सवाल बरकरार है। आईएलएंडएफएस मामले के बाद जाहिर है कि एनबीएफसी यह काम करने की स्थिति में नहीं है। निजी-सार्वजनिक भागीदारी मॉडल की अपनी दिक्कतें हैं और सरकार हमेशा बुनियादी फंडिंग के लिए संसाधन नहीं जुटा सकती। निरंतर दो अंकों में वृद्धि हासिल करने के लिए बेहतर निर्यात और शिक्षित उत्पादक श्रम शक्ति की आवश्यकता है। अब तक यह हमारी प्राथमिकताओं में नहीं रहा है। इसे जल्द से जल्द हल करना होगा।
वित्त मंत्री के बजट भाषण में कृषि’ उत्पादन केंद्रित ‘के बजाए ‘आय केंद्रित ‘बनाने पर जोर दिया गया है। वर्ष 2022 तक कृषकों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार की योजनाओं पर कारगर अमल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में डेढ़ गुना तक की वृद्धि,खाद्य प्रसंस्करण में शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की छूट,अधूरी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने और फसल बीमा योजना को तेज किया जाएगा। इस संदर्भ में राष्ट्रपति ने संयुक्त संसद को संबोधित अभिभाषण में कहा था कि कृषि क्षेत्र के ढ़ाँचागत विकास के लिए सरकार आने वाले कुछ वर्षों में 25 लाख करोड़ रुपए का निवेश करेगी। कृषि क्षेत्र पर सरकार द्वारा ध्यान देना स्वागत योग्य कदम है,परंतु मुख्य चुनौती उपरोक्त घोषणाओं को क्रियान्वित करना है।
2016-17 के बजट में सरकार ने पहली बार 2022 तक किसानों की आमदनी दुगुनी करने का लक्ष्य रखा,परंतु पिछले तीन वर्षों में इसमें कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली। 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लिए सुझाव देने के मकसद से केंद्र सरकार ने उच्चाधिकार प्राप्त अशोक दलवाई समिति बनाई थी। इसमें कहा गया है कि अगर सरकार किसानों की आय दुगुनी करने का लक्ष्य 2022 तक हासिल करना चाहती है,तो उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि कृषि की सलाना विकास दर 12 फीसदी या इससे अधिक रहे। कृषि विकास दर 2014 से 2019 तक औसतन 2.7% रहा है। स्पष्ट है कि इस गति से लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता। अशोक दलवाई समिति ने कृषि क्षेत्र में आय में वृद्धि के लिए भारी निवेश की बात की थी। इस संदर्भ में राष्ट्रपति के अभिभाषण में कृषि के ढ़ाँचागत विकास के लिए 25 लाख करोड़ निवेश की बात महत्वपूर्ण है,परंतु मुख्य प्रश्न यह है कि निवेश की यह भारी राशि कहाँ से आएगी?
प्रदूषण मुक्त भारत के निर्माण के लक्ष्य के दृषि से बजट में इलेक्ट्रिक वाहनों पर काफी जोर दिया गया है। वित्त मंत्री ने बजट में ऐलान किया कि इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की खरीद पर जीएसटी वर्तमान के 12% से घटाकर के 5% कर दिया गया है। सड़कों पर इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार बैट्री से चलने वाले सभी वाहनों का रजिस्ट्रेशन फीस माफ करेगी। बता दें कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ई-रिक्शा को लोकप्रिय बनाने के लिए एक बड़े कार्यक्रम की शुरूआत की थी। अब सरकार ने भारत को इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने पर सरकार का जोर रहेगा। वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि ई वाहनों की खरीद के लिए जाने वाले लोन के 1.50 लाख रुपए तक के ब्याज पर आयकर में छूट मिलेगा। ई-व्हीकल के पूरे लोन पर करीब 2.5 लाख रुपये का फायदा मिलेगा। मंत्री ने वर्ष 2019-20 का आम बजट पेश करते हुए यह भी बताया कि पेट्रोल डीजल पर 1-1 रूपया का अतिरिक्त सेस लगाया जाएगा और ई-वाहनों को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
वित्तमंत्री के भाषण में यह भी कहा गया है कि हर घर तक नल से पानी पहुँचाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है। यह लक्ष्य भी बेहद चुनौती पूर्ण है। वर्तमान में देश के केवल 18% घरों तक ही नल जल की सुविधा सीमित है। वर्तमान में चैन्नई जैसे महानगर भी पानी के गंभीर संकट से जूझ रहे हैं। स्थिति यह है कि कई आईटी सेक्टर कंपनियों और स्कूलों को जल संकट के कारण बंद करना पड़ा है। इससे तरह हम लोग पा रहे हैं कि देश के 18% तक घर जहाँ नल है,वहाँ भी जल नहीं है। स्पष्ट है कि प्रत्येक घर में नल जल के लिए संपूर्ण देश में सुव्यवस्थित व्यापक जल प्रबंधन की आवश्यकता है।
उत्पादन क्षेत्र अब भी उपेक्षित है। वित्त विर्ष 2018-19 में जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 18.2% थी,जो 2013-14 के अंत में 17.2 % थी। 5 साल में महज 1% की वृद्धि से पता चलता है कि अगर भारत को चीन,अमेरिका,जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में खड़ा होना है,तो जीडीपी में उत्पादन की हिस्सेदारी को 2022 तक 25% तक पहुँचाना होगा। इसी स्थिति में देश में युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार का सृजन हो सकेगा। बजट भाषण में घोषित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए भारत को त्वरित तौर पर 9% से अधिक वृद्धि दर पर ले जाने के लिए साहसिक और आक्रामक उपायों की त्वरित आवश्यकता है। प्रधानमंत्री को अब मजबूत और स्थिर सरकार का जनादेश मिला है। इसलिए निर्णायक और प्रभावी कदम की उम्मीद की जानी चाहिए।
-राहुल लाल
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