कमजोर विदेश नीति के कारण चुनौतियों से जूझ रहा है देश : सोनिया
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विदेश नीति का इस्तेमाल भी वोट के लिए करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वह विपक्ष को साथ लेकर नहीं चलते जिसके कारण विदेश नीति कमजोर पड़ गई हैं और सीमाओं पर देश को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। श्रीमती गांधी ने शनिवार को यहां कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि विदेश नीति के मामले में हमारी हमेशा मजबूत स्थिति रही है। इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि पहले की हर सरकार ने विपक्ष को साथ लेकर देश की विदेश नीति को मजबूत बनाए रखने का निरंतर काम किया है लेकिन मोदी का विपक्ष के प्रति उदासीन और उपेक्षा का रुख है जिसके कारण देश की विदेश नीति कमजोर पड़ गई है। वहीं सूत्रों के अनुसार बैठक में कांग्रेस नेता अंबिका सोनी ने कहा कि सभी नेता चाहत हैं कि राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाए।
उधर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को पार्टी के सर्वोच्च मंच कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में कहा कि यदि पार्टी ने उन पर अध्यक्ष पद पुन: संभालने का दबाव बनाया तो वह यह जिम्मेदारी निभाने पर विचार कर सकते हैं। यह जानकारी पार्टी सूत्रों ने दी। सूत्रों के अनुसार गांधी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस कार्यसमिति में उन्हें पुन: अध्यक्ष बनाने के प्रस्ताव पर सदस्यों के मौन के बीच कहा, ‘पार्टी के नेताओं ने मुझ पर दबाव बनाया तो मैं अध्यक्ष पद संभालने पर विचार कर सकता हूं। एक सूत्र के अनुसार श्री गांधी को पुन: पार्टी अध्यक्ष बनाने के गहलोत के प्रस्ताव पर समिति के सदस्य मौन रहे जिसे सदस्यों की स्वीकृति के रूप में देखा जा रहा है।उधर कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के बाद यह तय हो गया है कि पार्टी की कमान अभी करीब एक साल तक सोनिया गांधी के हाथ ही रहेगी। पार्टी ने अध्यक्ष पद के लिए अगले साल अगस्त-सितंबर में चुनाव कराने का फैसला किया है। कांग्रेस के संगठन महासिचव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष का चुनाव 21 अगस्त से 20 सितंबर के बीच होगा।
देश की सुरक्षा से जुड़े मामले में सरकार ने झूठ बोला
उन्होंने कहा कि विदेश नीति के कमजोर होने का ही परिणाम है कि देश को आज सीमाओं पर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री ने पिछले साल विपक्ष के नेताओं के साथ बैठक में देश की सुरक्षा से जुड़े मामले में असत्य बोला था। उन्होंने कहा था कि चीन देश की सीमा में नहीं घुसा है और उनकी इसी चुप्पी का खामियाजा हमको आज तक भुगतना पड़ रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ उपेक्षा करने का भी मुद्दा उठाया और कहा कि मोदी सरकार में सहकारी संघवाद केवल एक नारा बनकर रह गया है और केंद्र गैर-भाजपाई शासित राज्यों को नुकसान में रखने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है।
कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा किसानों का साथ दिया
श्रीमती गांधी ने किसानों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा किसानों का साथ दिया है और उनके हितों को वैधानिक सुरक्षा प्रदान की है लेकिन मोदी सरकार ने उनके हितों पर बुल्डोजर चलाया है। किसान तथा किसान संगठन लगातार कृषि विरोधी तीन काले कानूनों को खत्म करने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार अपने कुछ चुने हुए पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों की बात नहीं सुन रही है। उनकी मांग को नजर-अंदाज किया जा रहा है और उनको कुचला जा रहा है।
लखीमपुर-खीरी की घटना पर बोली सोनिया
उन्होंने हाल की लखीमपुर-खीरी की घटना का भी जिक्र किया और कहा कि इस भयावह घटना ने भाजपाई मानसिकता को उजागार किया है कि वह किसान आंदोलन को कैसे देखती है और किसानों द्वारा अपने जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए इस दृढ़ संघर्ष से कैसे निपटती है। कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार की आर्थिक नीतियों की भी आलोचना की और कहा कि देश की आर्थिक स्थिति इस सरकार की कमजोर नीति के कारण डांवाडोल हो गई है। उन्होंने कहा कि महंगाई चरम पर है और पेट्रोल डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं और सरकार उसे नियंत्रित करने के लिए कोई कदम नहीं उठा पा रही है। सरकारी क्षेत्र की कंपनियों को बेचा जा रहा है और दशकों में देश ने जो अर्जित किया है उसको लूटा जा रहा है। उनका कहना था कि सार्वजनिक क्षेत्र के न केवल सामरिक और आर्थिक उद्देश्य रहे हैं बल्कि इसके सामाजिक लक्ष्य भी हैं लेकिन यह सब सार्वजिनक संपत्तियां मोदी सरकार के ‘बेचो, बेचो, बेचो’ के एक मात्र एजेंडे के कारण खतरे में पड़ गए है।
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