श्रीगंगानगर (सच कहूँ न्यूज)। जम्मू कश्मीर में अमरनाथ की पवित्र गुफा के पास विगत शुक्रवार को बादल फटने की प्राकृतिक त्रासदी में जान गंवाने वाले राजस्थान के श्रीगंगानगर के एक कपड़ा व्यापारी मोहनलाल वधवा(59) और उनकी पत्नी सुनीता वधवा(57) के शव चौथे दिन आज सोमवार को सुबह करीब सात बजे पहुंचे। स्थानीय गौशाला रोड पर शनि मंदिर के पीछे जी-ब्लॉक में उनके निवास स्थान पर पहले से ही रिश्तेदार और परिजन मौजूद थे।
ताबूत से आए इन दोनों शवों को बाहर निकाला गया और गली में ही परिजनों ने अंतिम दर्शन किए। इसके बाद पदमपुर रोड स्थित कल्याण भूमि की ओर से शवों अलग-अलग वाहनों से अंतिम संस्कार के लिए लाया गया। गमगीन माहौल में उनका अंतिम संस्कार किया। मोहनलाल वधवा को मुखाग्नि उनके ज्येष्ठ पुत्र अपूर्व वधवा और सुनीता वधवा को मुखाग्नि उनके छोटे बेटे हर्षित ने दी। दोनों बेटों के लिए यह क्षण काफी दुखदायी था।
बादल फटने के हादसे में मारे गए
इस मौके पर अरोड़वंश समाज के काफी लोग मौजूद रहे। वहीं विभिन्न व्यापारिक संगठनों, धार्मिक और सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी अंतिम संस्कार के समय मौजूद रहे उन्होंने शोक संतप्त परिवार का ढांढस बंधाया। विगत शुक्रवार शाम को पवित्र गुफा के पास बादल फटने के हादसे में मारे गए लोगों में इस दंपति के श्रीगंगानगर निवासी समधी और पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर सुशील खत्री की भी मौत हो गई।
सुशील खत्री का शव कल रविवार सुबह दिल्ली से श्रीगंगानगर लाए जाने के बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया, लेकिन विगत शनिवार की रात्रि श्रीनगर से नई दिल्ली लाए गए शवों को देखा गया तो उसमें सुनीता वधवा की जगह महाराष्ट्र की किसी सुनीता नाम की एक अन्य महिला का शव आ गया था। इस पर श्रीनगर प्रशासन ने वहां के एक हॉस्पिटल में रखें बाकी शवों की जांच करवाई तो सुनीता वधवा का शव वही मिला। इधर, नई दिल्ली में मोहनलाल वधवा के शव को एम्स हॉस्पिटल के मुर्दाघर में सुरक्षित रखवा दिया गया। सुनीता वधवा का श्रीनगर से शव कल देर रात को नई दिल्ली पहुंचा।
तत्पश्चात लगभग मध्यरात्रि परिवार जन मृतक दंपति के शव लेकर श्रीगंगानगर को रवाना हुए।
ऐसे हुई गड़बड़ – नई दिल्ली से यह मामला श्रीनगर पहुंचा तो खोजबीन शुरू हुई। रातभर चली कवायद के बाद यह पता चला कि ताबूत पर नाम की स्लिप लगाते समय चूक हो गई। श्रीनगर से जो शव नई दिल्ली आया था उस पर नाम की स्लिप तो श्रीगंगानगर की सुनीता वधवा की थी। लेकिन शव किसी और महिला का था। अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रशासन डॉ. हरीतिमा ने जम्मू कश्मीर प्रशासन से मिली जानकारी के बाद बताया कि अमरनाथ गुफा के पास किसी परिचित के शिनाख्त करने के बाद मृतका शव पहले पॉलीबैग में डाला गया और फिर ताबूत में।
गड़बड़ी तब हुई जब सुनीता वधवा के नाम की स्लिप किसी दूसरी महिला के ताबूत पर लग गई। इस हादसे में सुनीता वधवा के अलावा उनके पति मोहनलाल वधवा और समधी सुशील खत्री की मृत्यु हो गई थी। इन तीनों के शव शनिवार रात श्रीनगर से नई दिल्ली पहुंचे तब इस गड़बड़ी का पता चला। डॉ. हरीतिमा ने बताया कि सुनीता वधवा का शव श्रीनगर में ही मोर्चरी में रखा हुआ था। घर वालों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए शिनाख्त करवाने के बाद कल रात सवा आठ बजे की फ्लाइट से शव श्रीनगर से नई दिल्ली रवाना कर दिया गया।
शव लेने के लिए जो रिश्तेदार शनिवार को दिल्ली गए
जिस महिला का शव शनिवार को सुनीता वधवा समझ कर भेजा गया था, उसे नई दिल्ली में एम्स की मोर्चरी में रखवाया गया है। शव बदलने से सुनीता वधवा के पति मोहनलाल वधवा का शव भी नई दिल्ली में रोक लिया गया। मृतका सुनीता वधवा के भाई राधाकिशन चलाना ने बताया कि शव लेने के लिए जो रिश्तेदार शनिवार को दिल्ली गए थे।इस गड़बड़ी का पता लगने पर वे वहीं ठहर गए। कल रविवार देर रात जैसे ही सुनीता का शव नई दिल्ली पहुंचा तो वहां से एम्बुलैंस से दोनों शवों को श्रीगंगानगर लेकर आए। इधर श्री वधवा के जी ब्लॉक स्थित आवास पर रिश्तेदारों और परिचितों का जमावड़ा लगा रहा।
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