सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इन्सान इस संसार में सदा खुश रहना चाहता है, कोई भी इन्सान ऐसा नहीं होता, जो गमगीन रहना चाहे, दु:खी रहना चाहे, परेशान रहना चाहे। लेकिन सुख को पाने के लिए लोगों ने बहुत सारे रास्ते अपना लिए हैं। सबसे बड़ा, सबसे अहम रास्ता, जो लोग सोचते हैं, वो है रुपया-पैसा। ठग्गी, बेईमानी, किसी का हक मारकर खाना, कमजोर को दबाकर, हर तरीके से लोग पैसा कमाते हैं। ज्यादातर लोग नाजायज तरीके से पैसे कमाते हैं और सोचते हैं इससे सुख मिलेगा।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि पीर-पैगम्बरों ने कहा है, ‘माया होई नागिनी जगत रही ढहकाय, जो इसकी सेवा करे उसको ही ये खाये’। पाप जुल्म की कमाई, किसी को आत्मिक शांति नहीं लेने देती। जैसे-जैसे पाप जुल्म की कमाई बढ़ती जाती है, घर से प्यार-महोब्बत, सुख-शांति सब चला जाता है। शरीर रोगों का घर बन जाता है। परेशानियों का आलम, टेंशन, चिंता इन्सान को घेर लेती है और इन्सान बैचेन रहता है।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि ठग्गी, बेईमानी, भ्रष्टाचार की कमाई कभी किसी को आत्मिक शांति नहीं लेने देती। पैसा कमाओ, जीतने मर्जी अमीर बन जाओ पर धर्मों के अनुसार। हमारे हिंदू धर्म में लिखा है कि कड़ा परिश्रम करो, मेहनत की करके खाओ। इस्लाम धर्म में लिखा है कि हक-हलाल की रोजी रोटी खाओ। सिख धर्म में लिखा है कि दसां नौहां की कीर्त करके खाओ और इसाई धर्म में लिखा है कि हार्ड वर्क करके खाओ। कमाई करने से कोई धर्म नहीं रोकता, जितनी मर्जी कमाई करो लेकिन किसी का हक कभी न मारो, कभी किसी का बुरा न करो, सबके लिए मालिक से दुआ करो और सबका भला मांगों, भला करो तो मालिक आपका भला जरूर करेंगे।
आपजी फरमाते हैं कि जो दूसरों का बुरा करते हैं, बुरा सोचते हैं, उनका कभी भी भला नहीं होता। ये बात जिंदगी में हमेशा याद रखें कि सबका भला करें, सबके भले के लिए आगे बढ़ें और अल्लाह, वाहेगुरू, भगवान, रब्ब की भक्ति इबादत करते रहें कि मालिक मुझसे ऐसा कर्म न हो, जिससे किसी का दिल दु:खे, मुझसे ऐसा कर्म न हो जो किसी को तड़फाए। उस मालिक से ऐसी हिम्मत और शक्ति मांगों कि हमेशा सबका भला करता रहूं। सभी धर्मों में लिखा है कि हम सभी एक ही मालिक ईश्वर की औलाद हैं। इसलिए कभी भी किसी को बुरा न कहो, अगर आप में हिम्मत है तो अपने खुद के अवगुणों को दूर करो। लोग अपने गुण गाते रहते हैं और दूसरों के अवगुण। ऐसे करने से आपके गुण तो चले जाएंगे और दूसरों के अवगुण आप में आ जाएंगे। इसलिए अपने अवगुण देखो और दूसरों के गुण। भक्ति इबादत करो, मालिक का सुमिरन करो, खुद में जो कमियां हैं उन्हें दूर करो, सबका भला मांगों तो मालिक आपका भला जरूर करेंगे।
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