मनमते लोगों से हमेशा सावधान रहें

Anmol vachan, Meditation

सरसा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इस घोर कलियुग में हर इन्सान काल के खेल-खिलौनों में मस्त है। लोग खुदगर्जी, स्वार्थीपन की सभी हदें पार कर रहे हैं। इस भयानक दौर में लोग अल्लाह, वाहेगुरू, खुदा, रब्ब के सत्संग में आकर लाभ लेने की बजाय तरह-तरह के जाल बुनते हैं, तरह-तरह की चालाकियां करते हैं। ऐसे लोगों से हमेशा सावधान रहें। आप जी ने फरमाया कि मालिक का प्यार, उसकी मोहब्बत का रास्ता बड़ा कठिन है। इस पर चलना सूरवीर, बहादुरों का काम है। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि जो लोग दुनियावी बातों में आकर पल में मुंह मोड़ लेते हैं और सतगुरू की सालों-साल समझाई गई बातों का जिन पर असर नहीं होता। उनके कर्मों में जो लिखा होता है उन्हें वो भोगना भी पड़ता है।

प्रभु के नाम का जाप करो

आप जी ने फरमाया कि पहले जब बच्चे पढ़ा करते थे, फट्टी लिखते थे, लकड़ी की फट्टी होती थी, उसे अच्छी तरह से धोकर साफ किया जाता, फिर दोमट माटी या चिकनी माटी से लेप किया जाता। फिर बच्चे कलम-दवात लेकर पूरी लगन से उस पर खूबसूरत लिखते। और जब मास्टर/टीचर चैक कर लेते उसके बाद फिर फट्टी को साफ कर दिया जाता। उसी तरह गुरू, पीर-फकीर बहुत समय लगाकर मालिक के नाम के अक्षर डालते हैं। पर मन या मनमता इन्सान, एक पल में फट्टी साफ कर देता है। और इन्सान उसकी बातों पर यकीन करता है और अपने सतगुरू, मौला से दूर होकर अपने कर्मों का बोझ उठाता रहता है। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि पीर-फकीर कभी किसी से कुछ मांगा नहीं करते। वो हर किसी के भले के लिए प्रार्थना करते हैं, हर किसी के भले के लिए दुआ करते हैं।

किसी को दु:खी देखकर उसका दु:ख दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं, मालिक से प्रार्थना करते हैं। जो उनकी बात सुनकर अमल करते हैं, यकीनन उनके दु:खों का बोझ कम होता है। आप जी ने फरमाया कि संत कहते हैं कि दु:खों से घबराने की बजाय, प्रभु के नाम का सुमिरन करो। संत कहते हैं कि अपने हृदय को शुद्ध कर लो, अपने विचारों को शुद्ध कर लो, प्रभु के नाम का जाप करो तो भगवान आपको आपके अंदर से ही मिल जाएगा। कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं है। कहीं और भटकने की जरूरत नहीं है। वो अल्लाह, वाहेगुरू, राम सबके दिलो-दिमाग में रहता है, वो कण-कण में, जर्रे-जर्रे में रहता है पर उसको पाने के लिए अपने विचारों का शुद्धिकरण करना जरूरी है, जिसके लिए सेवा व सुमिरन करना ही होगा।

अगर आप सुमिरन करेंगे, सेवा करेंगे, तो विचार शुुद्ध होंगे और आप परमपिता परमात्मा को हासिल कर लेंगे। आप जी ने फरमाया कि दृढ़ यकीन रखें, कोई भी आकर आपको भ्रमाता है तो उसकी बात पर यकीन न करें, ऐसे लोगों का संग-सोहब्बत न करें, करना भी पड़ जाए तो उसकी बातों पर अमल न करें। क्योंकि जो इन्सान खुद हत्थे से उखड़ा होता है, वो कभी किसी को बसा नहीं सकता। इसलिए उस अल्लाह, वाहेगुरू, राम की भक्ति में बसना सीखें। उसकी इबादत में आप बस गए या उसकी इबादत आपके दिलो-दिमाग में बस गई तो समझो इस कलियुग का महापाप आपको लेश मात्र भी नहीं चूबेगा।

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