44 साल बाद आया कोर्ट का निर्णय, फैसला सुन रोने लगे दोषी
- 75 साल से अधिक की उम्र है सभी की, 1981 में 24 दलितों की हुई थी सामूहिक हत्या
फिरोजाबाद (सच कहूँ/विकास पालीवाल)। Dihuli Murder Case: अपनी मुखबिरी करने का आरोप लगा हत्याकांड की वारदात को अंजाम देने वाले गैंग के लोगों ने थाना जसराना के दिहुली में जमकर लूटपाट करने के साथ ही सामूहिक नरसंहार की वारदात को अंजाम दिया था। 44 वर्ष पूर्व सन 1981 में हुए नरसंहार में 24 लोगों की मौत होने के साथ नौ लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। कई सालों बाद आए फैसले में उक्त मामले में अदालत ने तीन लोगों को हत्या एवं अन्य गंभीर धाराओं में दोषी माना है। आज मंगलवार को अदालत ने तीनो दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। इसके साथ ही दो दोषियों पर दो-दो लाख और एक दोषी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। तीनों दोषियों की उम्र 75 से 80 साल के बीच है। Firozabad News
तहसील जसराना (जो उस समय मैनपुरी जिला का हिस्सा था) के गांव दिहुली में 24 दलितों की हत्या कर दी गई थी। मामले में 44 साल बाद अब न्यायालय का फैसला आया है। जसराना के गांव दिहुली में 18 नवंबर 1981 को हुई 24 दलितों की सामूहिक हत्या में मंगलवार को मैनपुरी में एडीजे के कोर्ट ने तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। एडीजे विशेष डकैती इंदिरा सिंह की अदालत में आज सुबह 11.30 बजे दोषी कप्तान सिंह, रामसेवक और रामपाल को मैनपुरी जिला कारागार से भारी सुरक्षा के बीच लाकर पेश किया गया। कोर्ट ने साक्ष्यों और गवाही के आधार पर उस नरसंहार के दोषीयो को फांसी की सजा सुनाई गई। सजा सुनते ही तीनों की आंखों में आसूं दिखे। इधर मंगलवार को तीनों के चेहरों पर सजा पाने का अजीब सा खौफ साफ दिखाई दे रहा था।
44 साल पहले यह हुई थी वारदात | Firozabad News
फिरोजाबाद जनपद के जसराना थाना क्षेत्र के ग्राम दिहुली (घटना के समय मैनपुरी का हिस्सा) में 24 दलितों की सामूहिक हत्या कर दी गई थी। वर्ष 1981 में 18 नवंबर की शाम 6 बजे की यह घटना थी। संतोष ठाकुर और राधे के गिरोह ने एक मुकदमे में गवाही के विरोध में हथियारों से लैस होकर दिहुली गांव में घुसकर महिलाओं, पुरुषों और बच्चों पर गोलियां चलाई गई थी । इसमें 24 लोगों की मौत हुई थी।
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