राज्यपाल के साथ की मुलाकात, राष्ट्रपति से मांगा समय
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देश के इतिहास में पहली बार केंद्रीय कानूनों को रद्द कर बनाए जा रहे हैं तीन कानून
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सरकार ने राज्यपाल को बिल पास करने की विनती की, 2 से 5 नवंबर के बीच राष्ट्रपति से करेंगे मुलाकात
सच कहूँ/अश्वनी चावला चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू में केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को पंजाब में निष्प्रभावी करने के लिए तीन बिल पेश किए गए, जिसे विधानसभा ने सर्वसम्मति से पास कर दिया। प्रस्ताव व बिलों के पास होने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़, नेता प्रतिपक्ष व आप विधायक हरपाल सिंह चीमा व अकाली विधायक शरणजीत सिंह ढिल्लों के साथ राज्यपाल वीपी बदनौर से मिले और उन्हें कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव व विधानसभा द्वारा पास बिलों को सौंपा। उन्होंने राज्यपाल से बिलों को पास करने की भी मांग रखी। उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द से भी मिलने के लिए समय मांगा है। 2 नवंबर से 5 नवंबर के बीच पंजाब का शिष्टमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द को बिलों को पास करने की गुहार लगाएगा। पंजाब के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि चार बिल को सर्वसमिति से विधानसभा में पास किया गया हो। इनमें तीन बिल कृषि कानून और एक बिजली कानून से सबंधित है। यह चौथा बिल भी किसानों से जुड़ा हुआ है। प्रदेश सरकार ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए केंद्र सरकार के कृषि कानूनों व प्रस्तावित बिजली संशोधन बिल को रद्द कर दिया है।
पहला बिल:
किसानों के (सशक्तिकरण और सुरक्षा) कीमत के भरोसे संबंधी करार और कृषि सेवाओं (विशेष उपबंध और पंजाब संशोधन) बिल, 2020 में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर उपज बेचने/खरीदने पर सजा का उपबंध किया गया है। चार बिलों में से एक बिल के तहत एम.एस.पी से कम कीमत पर उपज की बिक्री/खरीद नहीं की जा सकेगी और इसका उल्लंघन करने पर उपरोक्त सजा और जुमार्ना भुगतना पड़ेगा। यह बिल केंद्र सरकार के किसानों के (सशक्तिकरण और सुरक्षा) कीमत के भरोसे संबंधी करार और कृषि सेवाएं एक्ट, 2020 की धारा 1(2), 19 और 20 में संशोधन करने की माँग करता है। इसमें नयी धाराओं 4, 6 से 11 को शामिल करने का प्रस्ताव भी दिया गया है।
दूसरा बिल:
किसान फसल, व्यापार और वाणिज्य (प्रोत्साहित करने और आसान बनाने) (विशेष व्यवस्थाएं और पंजाब संशोधन) बिल, 2020 के अंतर्गत किसान फसल, व्यापार और वाणिज्य (प्रोत्साहित करने और आसान बनाने) एक्ट, 2020 की धारा 1(2), 14 और 15 में संशोधन करने की माँग की गई है, जिससे राज्य में गेहूँ या धान की फसल की बिक्री या खरीद एम.एस.पी. से कम कीमत न होने को यकीनी बनाया जा सके। संशोधित बिल में नयी धारा 6 से 11 शामिल करके किसानों को तंग-परेशान करने या किसानों को कम कीमत की अदायगी करने पर सजा देने की भी माँग की गई है। इन दोनों बिलों का उद्देश्य ए.पी.एम.सी. कानूनों के स्थापित ढांचे के द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की विधि समेत अलग-अलग सुरक्षा बहाल कर केंद्रीय एक्ट के लागू होने से पंजाब के किसानों द्वारा नुकसान के जाहिर की गई आशंकाओं को रोकना है, जिससे किसानों और कृषि मजदूरों के साथ-साथ कृषि धंधो के साथ जुड़ी गतिविधियों में शामिल अन्शें की रोजी -रोटी और हितों की रक्षा की जा सके।
तीसरा बिल:
उपभोक्ताओं को कृषि उपज की जमाखोरी और काला-बाजारी से बचाने के लिए और किसानों और कृषि मजदूरों के साथ-साथ कृषि धंधो के साथ जुड़ी गतिविधियों में शामिल अन्यों की रोजी-रोटी और हितों की रक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा जरूरी वस्तुएँ ( विशेष व्यवस्थाएं और पंजाब संशोधन) बिल, 2020 पेश किया गया है। यह बिल, जरूरी वस्तुएं एक्ट, 1955 की धारा 1(2) और 3(1ए) में संशोधन कर केंद्र के जरूरी वस्तुएँ (संशोधन) एक्ट, 2020 में संशोधन करने की माँग करता है। यह बिल जरूरी वस्तुएँ (संशोधन) एक्ट, 2020 नामी केंद्रीय एक्ट के लागू करने सम्बन्धी 04 जून, 2020 को पहले जैसी स्थिति बहाल करने को यकीनी बनाने की माँग करता है।
चौथा बिल:
किसानों को 2.5 एकड़ से कम जमीन की कुर्की से राहत प्रदान करता है। कोड ऑफ़ सिविल प्रोसीजर (पंजाब संशोधन) बिल, 2020, कोड ऑफ़ सिवल प्रोसीजर 1908 की धारा 60 में 2.5 एकड़ से कम की कृषि वाली जमीन को छूट देने की व्यवस्था शामिल करने की माँग करता है। कोड ऑफ़ सिविल प्रोसीजर 1908 की धारा में विभिन्न चल और अचल जायदादों की कुर्की/फरमान की व्यवस्था है। इस नई संशोधन के अंतर्गत पशु, यंत्र, पशूओं के बाड़े आदि किस्मों की जायदादें कुर्की से मुक्त होंगी,अभी तक कृषि वाली जमीन की कुर्की की जा सकती है।
विधान सभा में शामिल नहीं हुए दोनों भाजपा विधायक
पंजाब विधान सभा के इस विशेष सत्र में दोनों भाजपा विधायक शामिल नहीं हुए। पिछले दो दिनों से चल रहे विशेष सत्र में अबोहर से अरूण नारंग और सुजानपुर से विधायक दिनेश बब्बू दिखाई ही नहीं दिए। जिस पर व्यंग्य कसते हुए अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह भाजपा के विधायक यहां क्या करने के लिए आते, उन्हें पता था कि केंद्र के कानूनों के खिलाफ यह सारा कुछ चल रहा है, जिस कारण ही यह सत्र में भाग लेने के लिए ही नहीं आए।
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